
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को आज उसका नया अध्यक्ष मिल जाएगा. 24 साल बाद पहली बार ऐसा होगा जब पार्टी को गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिलेगा. इससे पहले सीताराम केसरी गैर गांधी अध्यक्ष रहे थे. इस पद के लिए वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच मुकाबला है. 9,915 में से 9,500 से ज्यादा निवार्चक मंडल सदस्यों ने सोमवार को मतदान किया था. इन वोटों की गिनती सुबह 10 बजे एआईसीसी मुख्यालय में शुरू होगी, जिसके बाद नए अध्यक्ष केे नाम का ऐलान होगा. कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए इस बार छठी बार चुनाव हो रहा है.
AICC के स्ट्रॉन्ग रूम रखी हैं सीलबंद मतपेटियां
देश भर में स्थापित 68 मतदान केंद्रों से सभी सीलबंद मतपेटियों को पार्टी मुख्यालय के स्ट्रॉन्ग रूम में पहुंचा दिया गया है. सीलबंद मतपेटियों को उम्मीदवारों के एजेंटों के सामने खोला जाएगा और मतपत्रों को मिलाया जाएगा.
नेहरू-गांधी परिवार के अब तक 5 लोग अध्यक्ष बने
- 1939 में जब अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था, तब महात्मा गांधी के उम्मीदवार पी सीतारमैया नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हार गए थे.
- फिर आजादी के बाद पहली बार 1950 में पार्टी अध्यक्ष के पद के लिए चुनाव हुआ. तब पुरुषोत्तम दास टंडन और आचार्य कृपलानी का आमना-सामना हुआ. इस चुनाव में सरदार वल्लभभाई पटेल के खास माने जाने वाले टंडन ने तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू की पसंद को पछाड़ दिया था.
- 1977 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार मिली थी, जिसके बाद देव कांत बरूआ ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे दे दिया था. इसके बाद के ब्रह्मानंद रेड्डी ने पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में सिद्धार्थ शंकर रे और करण सिंह को हराया.
- 20 साल बाद 1997 में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ. इस चुनाव में सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में जीत हासिल की. महाराष्ट्र और यूपी के कुछ हिस्सों को छोड़कर सभी राज्य कांग्रेस इकाइयों ने केसरी का समर्थन किया था. उन्हें 6,224 वोट मिले जबकि पवार को 882 और पायलट को महज 354 वोट मिले थे.
- 2000 में जब चुनाव हुआ तब पहला मौका था किसी ने गांधी परिवार के किसी सदस्य को चुनौती दी थी. इस चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद ने दावा ठोका था. इस चुनाव में प्रसाद को करारी हार मिली थी. सोनिया को 7,400 से ज्यादा वोट मिले थे, जबकि प्रसाद के खाते में 94 वोट पड़े थे.
- सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सबसे लंबे समय तक काबिज रहने वाली एकमात्र नेता हैं. वह 1998 से इस पद पर हैं. हालांकि 2017 और 2019 में राहुल गांधी ने इस पद को संभाला था.
- आजादी के बाद से 40 साल नेहरू-गांधी परिवार के सदसय ही पार्टी के शीर्ष पर रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने वाले परिवार के पांच सदस्यों में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं.
अनुभव का कोई विकल्प नहीं: गहलोत
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए हुए मतों की गणना से एक दिन पहले राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत दिल्ली पहुंच गए हैं. यहां उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर मीडिया से कहा कि अनुभव का कोई विकल्प नहीं है. मल्लिकार्जुन खड़गे का लंबा अनुभव है. शशि थरूर के पास अंतरराष्ट्रीय अनुभव है... जो भी जीते, जीत कांग्रेस की होगी. कांग्रेस को मजबूत करने के लिए सब साथ मिलकर काम करेंगे.
निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हुई वोटिंग: मिस्त्री
कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने बताया कि करीब 96 प्रतिशत मतदान हुआ, हालांकि पूरे आंकड़े आने के बाद इसमें कुछ बदलाव हो सकता है. मिस्त्री ने मतदान के बाद कहा कि कहीं से कोई शिकायत नहीं आई तथा पूरी प्रक्रिया स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी रही है. मतदान गुप्त रहा है. उन्होंने कहा कि इसका पता नहीं लगाया जा सकता कि किसे किसने वोट दिया तथा किस राज्य से किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले.
कांग्रेस की तरह किसी पार्टी में नहीं होता चुनाव: जयराम
कांग्रेस मुख्यालय में मतदान के बाद महासचिव जयराम रमेश ने मीडिया से कहा था, 'यह ऐतिहासिक मौका है. कांग्रेस एकमात्र राजनीतिक दल है, जहां अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होता है। हमारे यहां टी एन शेषन की तरह केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री हैं. किसी दूसरी पार्टी में चुनाव नहीं होता.'