
कांग्रेस में मणिशंकर अय्यर की मौजूदा स्थिति 'उपेक्षा' और 'अपेक्षा' का गड़बड़ाया समीकरण है. मणिशंकर अय्यर वो नेता हैं जिनके दोस्त राजीव गांधी हुआ करते थे.राजीव और मणिशंकर अय्यर की मुलाकात 1980 के दशक में हुई. लेकिन अभी मणिशंकर अय्यर के बयानों को देखें तो ये समझ में नहीं आता कि वे कांग्रेस के पक्ष में या विपक्ष में बोल रहे हैं. अय्यर को लगता है कि पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही है, वहीं कांग्रेस का मानना है कि वे कांग्रेस की सम-सामयिक अपेक्षओं पर खरे नहीं उतर रहे हैं. और बयानबाजियों से पार्टी का नुकसान कर रहे हैं.
मणिशंकर अय्यर ने एक इंटरव्यू में यह कहकर तूफान पैदा कर दिया है कि जो व्यक्ति पायलट था और पढ़ाई में दो बार असफल रहा, वह प्रधानमंत्री कैसे बन सकता है?
मणिशंकर अय्यर ने कहा कि उन्होंने कैम्ब्रिज में राजीव के साथ पढ़ाई की जहां वे फेल हो गए. इसके बाद वे इंपीरियल कॉलेज लंदन गए, वहां भी वे फेल हो गए. अय्यर ने कहा कि कई लोगों ने सवाल उठाया कि ऐसे शैक्षणिक रिकॉर्ड वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री कैसे बन सकता है.
दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स की डिग्री रखने वाले मणिशंकर अय्यर की बुद्धि और हाजिरजवाबी ने राजीव को प्रभावित किया. ये 1985 की बात है. मणिशंकर अय्यर भारतीय विदेश सेवा में नौकरी कर रहे थे. युवा राजीव ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया. अय्यर IFS से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए. यह उनके करियर का पहला बड़ा मोड़ था.
अय्यर हमेशा 10 जनपथ के करीबी रहे और पार्टी और सरकार में शीर्ष पर रहे. राजीव गांधी के नेतृत्व में उन्हें पार्टी में अहम जिम्मेदारियां मिलीं. 1991 में राजीव की हत्या के बाद भी वह कांग्रेस के प्रति वफादार रहे. नरसिम्हा राव सरकार में उन्हें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे मंत्रालयों में मंत्री बनाया गया.
यूपीए सरकार (2004-2009) में अय्यर खेल मंत्री और पंचायती राज मंत्री रहे.
सेल्फ गोल के मास्टर
अय्यर की सबसे बड़ी ताकत-उनकी बेबाकी-उनके लिए सबसे बड़ी कमजोरी भी बनी. सियासी गलियारों में चर्चा होती है कि वे सेल्फ गोल के मास्टर हैं.
2014 लोकसभा चुनाव से पहले उनके उस बयान को कौन भूल सकता है. जब उन्होंने नरेंद्र मोदी को 'चायवाला' कहा था. बीजेपी ने इस बयान को हाथो हाथ लिया. नरेंद्र मोदी ने तब इस बयान का खूब जिक्र किया और कांग्रेस पर हमला किया.
अय्यर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार 'नीच' भी कह चुके हैं.
मणिशंकर अय्यर के विवादित बयानों की बात करें तो इसकी फेहरिस्त लंबी है. कांग्रेस को लगता है कि इससे पार्टी को नैरेटिव का नुकसान हुआ है. भगवान राम पर दिया गया अय्यर का बयान काफी चर्चा में रहा. उन्होंने कहा था कि भगवान राम के जन्म लेने की जगह पुख्ता नहीं है. राजा दशरथ के महल में 10000 कमरे थे. ऐसे में आप कैसे कह सकते हैं कि भगवान राम वहीं जन्मे थे.
अय्यर ने पाकिस्तान में जाकर भारत की नरेंद्र मोदी सरकार को गिराने का बयान दिया था. कांग्रेस नेता ने पाक में दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति सिर्फ तभी हो सकती है, जब मोदी सरकार गिर जाए.
मणिशंकर अय्यर को लगता है कि उनके इन बयानों के चलते पार्टी ने उन्हें बलि का बकरा बनाया और दूरी बना ली.
कांग्रेस ने बनाया, कांग्रेस ने बिगाड़ा
पिछले साल पीटीआई से बातचीत में अय्यर ने कहा था कि मेरे जीवन की विडंबना यह रही है कि मेरा राजनीतिक करियर गांधी परिवार द्वारा बनाया गया और गांधी परिवार द्वारा ही बिगाड़ा गया.
मणिशंकर अय्यर ने इस इंटरव्यू में कहा था, "एक मौके को छोड़ दे तो राहुल के साथ मेरी सीमित सार्थक बात हुई है, प्रियंका के साथ दो बार ही बातचीत करने का मौका मिला है."
इसके बाद उन्होंने कहा था कि 10 सालों तक मुझे सोनिया गांधी से निजी रूप से बात करने का मौका नहीं दिया गया.वह मुझसे फोन पर बात करती हैं इसलिए उनके संपर्क में हूं. मेरे जीवन की विडंबना ही यह है कि मेरा राजनीतिक करियर गांधी परिवार ने बनाया और गांधी परिवार ने ही बिगाड़ा.
अय्यर को लगता है कि गांधी परिवार ने उनकी वफादारी और योगदान को नजरअंदाज किया. 2024 के आम चुनाव में मणिशंकर अय्यर को टिकट नहीं दिया गया.
क्या मुझे जाकर सांसद पद मांगना चाहिए
मणिशंकर अय्यर ने अपनी किताब मणिशंकर अय्यर : ए मैवेरिक इन पॉलिटिक्स में राहुल गांधी पर 2024 के चुनाव में उनका टिकट काटने का आरोप लगाया है. अय्यर के मुताबिक राहुल गांधी ने कहा, 'अय्यर को हरगिज टिकट नहीं देंगे क्योंकि वो बहुत बुड्ढे हो गए हैं.'
मयिलादुथुराई निर्वाचन क्षेत्र से अय्यर सांसद रह चुके हैं लेकिन इस सीट से तमिलनाडु महिला कांग्रेस अध्यक्ष आर सुधा को टिकट दिया गया था. अय्यर ने 1991 में अपना पहला चुनाव इसी सीट से जीता था.
दिसंबर में मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि एक बार उन्होंने तो राहुल को जन्मदिन की बधाई देने के बहाने चिट्ठी भी लिखी थी और उनसे पार्टी में अपनी जिम्मेदारी के बारे में पूछा था लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.
अय्यर ने अपने ताजा साक्षात्कार में स्पष्ट किया है कि उनका कांग्रेस नेतृत्व पर कोई दबाव डालने का कोई इरादा नहीं है, खासकर सोनिया गांधी के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए. उन्होंने कहा, "क्या मुझे जाकर सांसद पद मांगना चाहिए?"
आज मणिशंकर अय्यर कांग्रेस में सक्रिय नहीं हैं, उनकी सक्रियता लेखन में है. लेकिन वह खुद को पार्टी का हिस्सा मानते हैं. उनकी नाराजगी गांधी परिवार से है, मगर वह भाजपा में जाने के पक्ष में नहीं हैं. उनका कहना है कि वह "कांग्रेस के बिना अधूरे" हैं.