
मणिपुर में बीते कई महीनों से लगातार हत्या और हिंसा की खबरें आती हैं. इसी बीच राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्य को लेकर बड़ा फैसला करने के लिए तैयार है.
अधिकारियों से भी की मुलाकात
सीएम ने अपनी मुलाकात के बाद बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मणिपुर के महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हुई. हालांकि, मुख्यमंत्री ने ये नहीं बताया कि राज्य को लेकर क्या फैसले हो सकते हैं. उन्होंने नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात की.
अपनी इस मुलाकात के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर सीएम ने लिखा, आज केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई. हमने मणिपुर के लिए महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा की. केंद्र सरकार ने मणिपुर के लोगों के हित में महत्वपूर्ण फैसले लेने का आश्वासन दिया है.
क्या है विवाद
मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित होने के बाद 3 मई, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गई. इस हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. जबकि कुकी के एक वर्ग ने अलग प्रशासन या मणिपुर सरकार से अलग होने की मांग की थी और मैतेई समुदाय ने उनकी इस मांग का विरोध किया है और विधायकों को ऐसे किसी भी डिजाइन के खिलाफ चेतावनी दी है.
53 प्रतिशत है मैतेई की आबादी
बता दें कि मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं. उनकी आबादी 40 प्रतिशत है और वह मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में रहते हैं. सरकार ने सभी समुदायों के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. साथ ही हिंसा के मामलों में न्यायिक जांच के लिए समिति का भी गठन किया गया है और पीड़ितों को वित्तीय सहायता के साथ-साथ सेना को भी भेजा गया है.
मणिपुर में रुक-रुककर हो रही हिंसा के बाद सरकार ने पिछले साल 13 नवंबर को नौ मैतेई चरमपंथी समूहों और उनके सहयोगी संगठनों पर एंट्री नेशनल एक्टिविटी और सुरक्षा बलों पर घातक हमले के लिए लगाए गए प्रतिबंधों को पांच साल के लिए बढ़ दिया.