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संसद को मिले ये सात नए युवा, नार्थ से साउथ तक इन Youngsters पर जनता ने जताया भरोसा

इस बार सात युवा सांसद लोकसभा में अपनी बात रखते नजर आएंगे. इनमें से ज़्यादातर INDIA ब्लॉक से हैं और एक NDA खेमे से. इस बार चुनकर आए इन नए युवा सांसदों की साख मजबूत है और ज्यादातर राजनीतिक परिवारों से ही आते हैं.

आम चुनाव 2024 में कई नए चेहरे जीतने में सफल रहे. आम चुनाव 2024 में कई नए चेहरे जीतने में सफल रहे.

2024 के लोकसभा चुनावों परिणामों में कई चीजें चौंकाने वाली रहीं. मतगणना के दिन (4 जून), उतार-चढ़ाव के बीच, कई नए चेहरे चुनाव जीतने में सफल रहे. इन्हीं में शामिल हैं सात युवा सांसद, जिनमें से ज़्यादातर INDIA ब्लॉक से हैं और एक एनडीए खेमे से, जो नए लोकसभा में अपनी बात रखते नजर आएंगे. इनमें से हर नए सांसद की साख मजबूत है और ज्यादातर राजनीतिक परिवारों से आते हैं. आइए आपको बताते हैं उन युवा सांसदों के बारे में जिन्होंने दिग्गज नेताओं को पछाड़कर संसद के निचले सदन में पहुंचने का अपना रास्ता तैयार किया. 

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1. संजना जाटव, 26, भरतपुर (राजस्थान)

साल 2023 में अजमेर-जयपुर हाईवे पर चिलचिलाती गर्मी में एक दुबली-पतली महिला, गोद में बच्चा लिए और सिर पर पल्लू डाले, कांग्रेस नेता सचिन पायलट के साथ राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए घोटालों का विरोध करते हुए मार्च कर रही थी. यह वही मौका था जब संजना जाटव ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. 

इस टकराव के छह महीने बाद ही सचिन पायलट ने 25 वर्षीय संजना जाटव को वरिष्ठ नेता बाबूलाल बैरवा की जगह अलवर के कठूमर से टिकट दिया. हालांकि, संजना जाटव महज 409 वोटों से चुनाव हार गईं. बाबजूद इसके संजना ने हार नहीं मानी और अलवर में अपने ससुराल का घर छोड़कर वह अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित भरतपुर सीट पर लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गईं.  

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संजना जाटव ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के गृहनगर में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद रामस्वरूप कोली को 51,000 से ज़्यादा वोटों से हराया. भरतपुर के भुसावर की मूल निवासी 26 वर्षीय संजना पहली बार सांसद बनीं. उनकी शादी अलवर के खेरली के पुलिस कांस्टेबल कप्तान सिंह से हुई है. उन्होंने अलवर लॉ यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है और अलवर जिले के 29वें वार्ड से वर्तमान जिला परिषद सदस्य हैं.

2. पुष्पेंद्र सरोज, 25, कौशांबी (उत्तर प्रदेश) 

इस साल लोकसभा चुनाव जीतने वाले सबसे कम उम्र के उम्मीदवारों में से एक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज (मंझनपुर विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक) के बेटे पुष्पेंद्र सरोज हैं. 1 मार्च को 25 साल के हुए पुष्पेंद्र सरोज ने लंदन से अकाउंटिंग और मैनेजमेंट में ग्रेजुएट हैं. मंझनपुर निवासी पुष्पेंद्र अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में आए. अब वह प्रयागराज के सुलेम सराय इलाके में अपने परिवार के साथ रहते हैं. 

पुष्पेंद्र सरोज के पिता इंद्रजीत सरोज ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी से की थी. वह 1996 में विधायक बने और 2012 तक मंझनपुर (आरक्षित) सीट से लगातार जीतते रहे. वह बसपा से तीन बार मंत्री भी रहने के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे. कौशाम्बी लोकसभा सीट से पुष्पेंद्र सरोज ने दो बार के भाजपा सांसद विनोद सोनकर को एक लाख से अधिक मतों से हराया है. पुष्पेंद्र को 5,09,787 वोट मिले, जबकि सोनकर 4,05,843 वोट पाने में सफल रहे.

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3. शांभवी चौधरी, 25, समस्तीपुर (बिहार)

25 वर्षीय शांभवी चौधरी ने समस्तीपुर से कांग्रेस पार्टी के सनी हजारी को 1,87,251 मतों के अंतर से हराकर इस बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सबसे युवा सांसद बनीं. बिहार के दरभंगा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी प्रशंसा की थी.

शांभवी चौधरी 2016 में पटना में टाइम्स ऑफ इंडिया में इंटर्न के तौर पर काम कर चुकी हैं. अखबार के तत्कालीन संपादक राज कुमार उन्हें "खबरों की समझ रखने वाली" शख्सियत के तौर पर याद करते हैं. वो दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएशन हैं. साथ ही उन्होंने लेडी श्री राम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया हुआ है. वह पटना में ज्ञान निकेतन स्कूल चलाती हैं और फिलहाल मगध विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही हैं.

उनके पति सायन कुणाल पूर्व आईपीएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता आचार्य किशोर कुणाल के बेटे हैं. उनके दादा, स्वर्गीय महावीर चौधरी, लंबे समय तक कांग्रेस के सदस्य रहे. जब कांग्रेस बिहार में सत्ता में थी, तब वे मंत्री थे. शांभवी के पिता अशोक चौधरी नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल होने से पहले बिहार कांग्रेस के प्रमुख थे.

4. प्रिया सरोज, 25, मछलीशहर (उत्तर प्रदेश)

पच्चीस वर्षीय प्रिया सरोज ने समाजवादी पार्टी के बैनर तले मछलीशहर लोकसभा सीट से चुनाव जीता है. 2019 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद, प्रिया सरोज ने 2022 में एमिटी विश्वविद्यालय (Amity University), नोएडा, से कानून की डिग्री प्राप्त की. उनके पिता तूफानी सरोज 1999 और 2004 में सैदपुर लोकसभा (आरक्षित सीट) से सांसद रहे हैं. 

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उन्होंने 2009 में सपा के टिकट पर मछलीशहर लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर जीत हासिल किया था. हालांकि,2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वर्तमान में प्रिया सरोज के पिता तूफानी सरोज केराकत विधानसभा (सुरक्षित सीट) से विधायक हैं. प्रिया सरोज ने भाजपा के बीपी सरोज को 35,850 मतों के अंतर से हराकर इस सीट से जीतने वाली पहली महिला सांसद बन गईं हैं. 

5. सागर खंड्रे, 26, बीदर (कर्नाटक)

बीदर लोकसभा सीट के कांग्रेस उम्मीदवार सागर खंड्रे ने 26 साल की उम्र में  एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की है. ​​वह कर्नाटक से लोकसभा चुनाव जीतने वाले सबसे कम उम्र के उम्मीदवार हैं. भाल्की के प्रसिद्ध खंड्रे परिवार से आने वाले सागर, डॉ. भीमन्ना खंड्रे के पोते हैं, जो एक स्वतंत्रता सेनानी और वीरशैव लिंगायत समुदाय के एक प्रमुख व्यक्ति थे. उनके पिता ईश्वर खंड्रे कांग्रेस सरकार में वन और पर्यावरण मंत्री हैं.

सागर के कानून की डिग्री है. कोविड महामारी के दौरान लोगों की सेवा करने वो भालकी लौट आए. उस समय उनके पिता, जो भालकी से विधायक थे, कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती थे. खाना, किट, इंजेक्शन, अस्पताल में बिस्तर दिलाने और ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रदान करने के प्रयासों ने सागर को भालकी और बीदर में घर-घर में मशहूर कर दिया. सार्वजनिक सेवा के प्रति सागर खंड्रे के इस समर्पण ने उनके लिए राजनीति में प्रवेश पाने का रास्ता खोल दिया. इसके बाद केंद्रीय राज्य मंत्री भगवंत खुबा के खिलाफ चुनाव में उनकी शानदार जीत ने राजनीति में उनके लिए एक नया अध्याय लिखने का काम किया है.

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6. प्रियंका जारकीहोली, 27, चिकोडी (कर्नाटक)

प्रियंका जारकीहोली 2018 से कांग्रेस पार्टी की सदस्य हैं. प्रियंका अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र यमकनमराडी में सतीश जारकीहोली फाउंडेशन के माध्यम से सामाजिक कार्यों से जुड़ी हुई हैं. प्रियंका के पिता ने नेतृत्व ने उन्हें चिकोडी निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी जीत दिलाने में मदद की. उन्होंने यहां से मौजूदा भाजपा सांसद अन्नासाहेब शंकर जोल्ले को हराया. कांग्रेस पार्टी में कोई आधिकारिक पद न होने के बावजूद प्रियंका अपने परिवार के बिजनेस के कामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. वह 14 कंपनियों में भागीदार एवं निदेशक हैं. जिनमें सतीश शुगर लिमिटेड, बेलगाम शुगर प्राइवेट लिमिटेड, गडीगांव रिज़ॉर्ट प्राइवेट लिमिटेड, वेस्टर्न ग्राट्स इंफ्रा लिमिटेड और नेचर नेस्ट हॉर्टिकल्चर एंड फ़ार्म्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल है.

7. इकरा चौधरी, 27, कैराना (उत्तर प्रदेश)

कैराना लोकसभा सीट के परिणाम ने उस समय कईयों को आश्चर्य में डाल दिया जब इकरा चौधरी ने भाजपा उम्मीदवार प्रदीप चौधरी को न सिर्फ कड़ी टक्कर दी और बल्कि उन्हें हराकर चुनाव में जीत हासिल की. ​​इकरा 2021 में अपने भाई नाहिद हसन को जेल से छुड़ाने के लिए लंदन से लौटी थीं. लेकिन जल्द ही राजनीति उन्हें रास आने लगी. लंदन में नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करते हुए लोगों ने उन्हें पहली बार जाना था. 

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27 वर्षीय इकरा ने अपनी स्कूली शिक्षा पहले कैराना में और फिर दिल्ली के क्वीन मैरी स्कूल से की. उन्होंने लेडी श्री राम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय कानून और राजनीति में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. इकरा ने 2016 में जिला पंचायत चुनाव लड़ा था, लेकिन 5,000 वोटों से हार गई थीं. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले जब भाई और विधायक नाहिद हसन जेल में थे, तब उन्होंने चुनाव प्रबंधन की कमान संभाली थी.

2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर इकरा की मां तबस्सुम हसन और भाजपा से प्रदीप चौधरी आमने-सामने थे. तब प्रदीप चौधरी ने तबस्सुम हसन को हराया था. इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रदीप चौधरी ने नाहिद हसन को हराया था. इकरा ने 2024 में कैराना से जीत दर्ज कर हिसाब बराबर कर लिया है.

(इनपुट- कैराना से शरत मलिक)

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