Advertisement

Modi@8: पॉलिटिक्स से डिप्लोमेसी तक, 8 साल में मोदी सरकार के 8 सबसे टफ मोमेंट

देश की सत्ता पर नरेंद्र मोदी को काबिज हुए आठ साल पूरे हो गए हैं. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की तीसरी सालगिरह आज (26 मई) है. मोदी सराकर ने अपने आठ साल के कार्यकाल में जता दिया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली सरकार अपने फैसलों से कैसे राजनीति की दशा-दिशा बदल सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 26 मई 2022,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST
  • 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने पहली बार PM पद की शपथ ली थी
  • साल 2019 में बीजेपी दोबारा चुनाव जीती, मोदी फिर पीएम बने

नरेंद्र मोदी सरकार ने आठ साल का सफर पूरा कर लिया है. 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री बने. इस दौरान मोदी का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. बीते आठ सालों में पॉलिटिक्स से डिप्लोमेसी तक कभी उनके काम को सराहा गया तो, कभी उनके फैसले पर सवाल भी उठे.

Advertisement

ऐसे में आज हम बात कर रहे हैं, मोदी सरकार के आठ सबसे मुश्किल मोमेंट, जिनके निर्णय लेने से जमीन पर उतारने तक काफी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है.

कृषि कानून: सबसे बड़ा और सबसे मुश्किल फैसला

मोदी सरकार के आठ साल के दौरान सबसे टफ फैसला कृषि कानून लाने का था. कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए मोदी सरकार तीन कृषि कानून लेकर आई तो बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन संसद में कानून के पास होते ही पंजाब के किसान सड़क पर उतर आए थे, जिसके बाद हरियाणा और यूपी सहित कई राज्यों के किसानों ने विरोध शुरू कर दिया.

यह भी पढ़ें - मोदी सरकार में आए कितने 'अच्छे दिन'? ये है पिछले 8 साल का रिपोर्ट कार्ड

किसान इस हद तक नाराज थे कि कृषि कानून की वापसी के लिए दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से ज्यादा समय तक डेरा डाले रखा और कई किसानों को जान भी गंवानी पड़ी थी. इस दौरान किसान बीजेपी नेताओं का गांव में घुसने तक पर विरोध करने लगे थे. मोदी सरकार की तमाम कवायद के बाद भी किसान मानने को तैयार नहीं थे. ऐसे में मोदी सरकार को कृषि कानून को वापस लेना पड़ा.

Advertisement

जीएसटी: एक देश-एक टैक्स

मोदी सरकार के लिए जीएसटी कानून पास कराना काफी चुनौतीपूर्ण रहा था. हालांकि यह सरकार के सबसे बड़े फैसलों में से एक है. जीएसटी को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के नाम से जाना जाता है. पूरे देश के लिए एकल घरेलू अप्रत्यक्ष कर कानून है. जीएसटी ने भारत में कई अप्रत्यक्ष करों जैसे उत्पाद शुल्क, वैट, सेवा कर इत्यादि को रिप्लेस कर दिया है. जुलाई 2017 से देश में जीएसटी लागू है.

'एक देश-एक कानून' को ध्यान में रखते हुए जीएसटी कानून अस्तित्व में आया. इस टैक्स सिस्टम का मुख्य उद्देश्य अन्य अप्रत्यक्ष करों (इनडायरेक्ट टैक्स) के व्यापक प्रभाव को रोकना है और देश भर में एक टैक्स सिस्टम को लागू करना. इसके बावजूद जीएसटी को लेकर व्यापारियों ने तमाम विरोध किए थे. केंद्र और राज्य सरकार में अभी तक जीएसटी को लेकर तनातनी बनी हुई है. ऐसे में मोदी सरकार के लिए जीएसटी कानून लाना और लागू करना काफी टफ रहा था. 

नोटबंदी: एक झटके में 500-1000 के नोट बंद

देश की सत्ता पर विराजमान होने के दो साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा बड़ा फैसला लिया, जिससे देश का हर शख्स आश्चर्यचकित रह गया था. 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी 500 और 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण यानी डिमोनेटाइजेशन (Demonetization) की घोषणा की. सरकार के इस फैसले को नोटबंदी कहा गया.

Advertisement

यह भी पढ़ें - Modi@8: मोदी सरकार के 8 साल पूरे, इन 8 योजनाओं से घर-घर में पीएम मोदी लोकप्रिय!

सरकार ने बंद किए गए नोटों के बदले में 500 और 2,000 रुपये के नए नोट जारी किए. नोटबंदी के बाद कई महीनों तक देश में लोग अपने पुराने नोट बदलवाने के लिए अफरा-तफरी के माहौल के बीच बैंकों की कतारों में दिखे. लोगों को पुराने नोट जमा करने और नए नोट हासिल करने के लिए काफी परेशानियों को समाना करना पड़ा था. 

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म

मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में सबसे बड़ा और टफ फैसला जम्मू-कश्मीर के संबंध में लिया. 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष रूप से बनाई गई धारा 370 तथा अनुच्छेद 35-ए के प्रावधानों को निरस्त कर दिया. यह मोदी सरकार के सबसे बड़े फैसलों में से एक है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार प्राप्त थे. 2019 में दूसरी बार सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद को हटाया व इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया. इसके अलावा लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में घोषित किया. मोदी सरकार के लिए यह कदम उठाना काफी मुश्किलों भरा था, लेकिन सरकार ने इस दिशा में कदम उठाकर एक देश, एक विधान का संदेश दिया. 

Advertisement

सर्जिकल-एयर स्ट्राइक

उरी हमले के बाद भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर क्षेत्र के आतंकवादी लॉन्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक कर बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया किया. वहीं, पुलवामा अटैक के बाद भारतीय सेना के जवानों पाकिस्तान के बालाकोट पर एयर स्ट्राइक कर आतंकियों के ठिकाने के ध्वस्त किया था. सर्जिकल और एयर स्ट्राइक ने भारत के जवाब देने के तरीके का रुख बदल दिया था, लेकिन मोदी सरकार के लिए यह काफी मुश्किल भरा कदम था.

मोदी सरकार ने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के जरिए ये बता दिया कि भारत पारंपरिक लड़ाई के साथ-साथ मॉडर्न लड़ाई में दुनिया की पेशेवर सेनाओं में से एक है.

सीएए-एनआरसी

मोदी सरकार 2019 में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए नागरिकता (संशोधन) कानून लेकर आई. इस कानून को लेकर पूर्वोत्तर के असम से लेकर दिल्ली का आंदोलन हुए. दिल्ली शाहीन बाग में सीएए-एनआरसी को लेकर लंबा आंदोलन चला था, क्योंकि इस कानून के तहत केवल 6 शरणार्थी समुदायों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है और इसमें मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है.

यूपी में सीएए आंदोलन के दौरान कई लोगों की जान भी चली गई. पीएम मोदी को खुद भी आकर कहना पड़ा था कि इससे देश के किसी भी शख्स की नागरिकता नहीं जाएगी और एनआरसी लाने की कोई मंशा नहीं है. यही वजह है कि सीएए कानून आने के बाद भी अभी तक देश में इसे लागू नहीं किया जा सका है.

Advertisement

मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात

मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया. इसमें मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए कानून लाया गया. यह एक ऐसा कानून है जिसने तत्काल तीन तलाक को एक आपराधिक अपराध बना दिया.

यह भी पढ़ें - Modi Government 8 Years: मोदी सरकार के 8 साल में कितनी सुधरी देश की ‘आर्थिक सेहत’?

तीन तलाक कानून, जिसे औपचारिक रूप से मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 कहा जाता है. मोदी सरकार का तीन तलाक पर कानून लाने का फैसला भी काफी विवादों में रहा, लेकिन कानूनी अमलाजामा पहनाया. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने तीन तलाक कानून को लेकर काफी विरोध किया था. 

रूस-यूक्रेन युद्ध

रुस और यूक्रेन युद्ध के दौरान मोदी सरकार पशोपेश में रही. अमेरिका का लगातार दबाव था कि भारत को यूक्रेन के साथ खड़े होना चाहिए तो दूसरी तरफ रूस पुराना मित्र था. ऐसे में मोदी सरकार ने तटस्थ रहते हुए यूक्रेन और रूस दोनों के साथ अपने संबंध को बनाए रखा.

यूक्रेन के साथ संबंधों को बनाए रखते हुए वहां पर फंसे भारतीय छात्रों को निकालने में मोदी सरकार कामयाब रही तो रूस के इलाके वाले क्षेत्र से भी भारत के लोगों को वापस लाया गया. इस तरह से मोदी सरकार ने डिप्लोमेसी के साथ कूटनीतिक कदम उठाया.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement