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मोदी का मंत्रिमंडल विस्तार, चुनावी और चुनौतीपूर्ण राज्यों पर फोकस के आसार

केंद्रीय मंत्रिमंडल में 20 नए चेहरे को शामिल किया जाएगा, जबकि कुछ नेताओं की कैबिनेट से छुट्टी हो सकती है. माना जा रहा है जिन राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, उन राज्यों में सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल में तरजीह देकर एनडीए के कुनबे को बढ़ाने का है.

अमित शाह और नरेंद्र मोदी अमित शाह और नरेंद्र मोदी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 06 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 2:56 PM IST
  • मोदी कैबिनेट का विस्तार इसी सप्ताह होने के आसार
  • मोदी के मंत्रिमंडल में यूपी को खास तवज्जो
  • महाराष्ट्र, पंजाब और बंगाल पर भी होगा फोकस

केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार के दो साल के बाद अब पहली बार कैबिनेट विस्तार होने जा रहा है. इसी हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल में 20 नए चेहरे को शामिल किया जाएगा जबकि कुछ नेताओं की कैबिनेट से छुट्टी हो सकती है. माना जा रहा है जिन राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, उन राज्यों में सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल में तरजीह देकर एनडीए के कुनबे को बढ़ाने का है. इसके अलावा  चुनौती पूर्ण माने जाने वाले राज्यों पर बीजेपी का खास फोकस होगा ताकि पार्टी के सियासी आधार को मजबूत किया जाए. 

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हाल के दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सरकार और संगठन के बीच तक कई बैठकें हुईं, जिसमें मौजूदा मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा करने के साथ-साथ नए चेहरों के चयन पर भी विचार किया गया. मोदी कैबिनेट विस्तार में दो बातों का विशेष ख्याल रखा जा रहा है. पहला 2022 में उत्तर प्रदेश समेत 6 राज्यों में होने वाला विधानसभा चुनाव. दूसरा एनडीए के कुनबे को बढ़ाने पर जोर.

चुनावी राज्यों पर होगा खास फोकस

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, गोवा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी क्या चुनावी राज्यों के नेताओं चेहरे को केंद्रीय मंत्रिमंडल मौका देगी. ऐसे में अगर बीजेपी चुनाव राज्यों के नेताओं को कैबिनेट में जगह देती है तो अपने सहयोगी क्षेत्रीय दलों को भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधत्व देना होगा. इसके पीछे वजह यह है कि 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी केंद्रीय कैबिनेट के जरिए बड़ा दांव खेल सकती है. 

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बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश का चुनाव काफी अहम है. ऐसे में चुनाव को देखते हुए बीजेपी अपने सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी को केंद्रीय कैबिनेट में जगह दे सकती है. हाल में इन दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नेड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इसके चलते संभावना है कि अपना दल (एस) से अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी से संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को मोदी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. इससे न केवल ओबीसी वोटरों में पकड़ मजबूत होगी बल्कि एनडीए का कुनबा बढ़ेगा. 

यूपी के ब्राह्मणों को साधने की चुनौती

वहीं, यूपी चुनाव को देखते हुए प्रदेश के ब्राह्मणों को साधने की चुनौती भी बीजेपी के सामने है. यूपी के पूर्वांचल में ब्राह्मण काफी अहम माने जा रेह हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कलराज मिश्र और शिवप्रताप शुक्ल मंत्री रह चुके हैं. लेकिन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पूर्वांचल के गोरखपुर बेल्ट से किसी को मौका नहीं मिला. शिवप्रताप शुक्ल समेत हरीश द्विवेदी, रमापतिराम त्रिपाठी, सीमा द्विवेदी, विजय दुबे, रविकिशन शुक्ल, हरिद्वार दुबे जैसे ब्राह्मण सांसद पूर्वांचल से आते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पूर्वांचल के समीकरण को साधने के लिए बीजेपी किसी ब्राह्मण चेहरे को अपनी कैबिनेट में जगह देगी. हालांकि, पूर्वांचल के वाराणसी इलाके से महेंद्रनाथ पांडेय एकलौते नेता है, जो अभी मंत्रिमंडल में शामिल है. 

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यूपी की सियासत में ब्राह्मण से ज्यादा बीजेपी के लिए ओबीसी भी काफी अहम माने जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि दलित और ओबीसी चेहरे को मोदी सरकार में तरजीह मिलेगी. ऐसे में ओबीसी चेहरे के रूप में अनुप्रिया पटेल और प्रवीण निषाद को तवज्जो दे सकती है. इसके अलावा बीजेपी के पास भी कई ओबीसी चेहरा है, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका पार्टी दे सकती है. हालांकि, कुर्मी नेता के तौर पर मोदी सरकार में संतोष गंगवार मंत्रिमंडल में शामिल हैं. 

दलित चेहरे को भी मिल सकती तवज्जो

यूपी में 22 फीसदी दलित मतदाता है, जो सियासी तौर पर काफी अहम माने जा रहे हैं. ऐसे में दलित समाज को मोदी कैबिनेट में जगह देकर उन्हें साधने का दांव पार्टी चल सकती है. यूपी से फिलहाल दलित नेता के तौर पर पूर्व आईपीएस और दलित नेता बृजलाल, विनोद सोनकर या बीपी सरोज जैसे कद्दावर नेता है, जिनमें से किसी एक की लॉटरी लग सकती है. 

हिमाचल-पंजाब-उत्तराखंड को मिलेगी जगह

उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि हिमाचल, गुजरात और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने है. उत्तराखंड में बीजेपी ने साढे चार साल में तीसरा सीएम बनाया है. राज्य की सियासत खासियत है कि सत्ता में रहने वाली पार्टी की वापसी दोबारा नहीं हो पाए है. ऐसे में बीजेपी इस मिथ को तोड़ने के लिए सियासी प्रयोग करने में जुटी है. ऐसे में माना जा रहा है कि उत्तराखंड से किसी नेता को कैबिनेट में जगह दे सकती है. 

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इधर, पंजाब में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. किसान आंदोलन के चलते अकाली के साथ बीजेपी का गठबंधन टूट चुका है और पार्टी अपने दम पर सियासी आधार बढ़ाना चाहती है. बीजेपी की नजर राज्य के दलित मतदाताओं पर है. ऐसे में बीजेपी दलित नेता और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री सोमनाथ शामिल हैं. ऐसे में मोदी सरकार क्या उनका सियासी कद बढ़ाएगी या फिर किसी अन्य नेता को जगह देगी.. वहीं, एमपी से ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंत्री बनने की संभावना है. उन्हें फोन करके दिल्ली बुला लिया गया है. एमपी में बीजेपी सरकार को दोबारा से बनाने में सिंधिया की अहम भूमिका रही है, जिसके चलते उनके मंत्री बनना तय है. 

बंगाल और महाराष्ट्र से बढ़ेगा प्रतिनिधित्व? 

कैबिनेट विस्तार में मुख्य रूप से फोकस पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और बिहार पर किया जा सकता है. यहां के नेताओं को मंत्री पद मिल सकता है. पश्चिम बंगाल में बीजेपी को अपना सियासी आधार बढ़ाना चाहती है और अब 2024 के लोकसभा और 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से सियासी समीकरण को मजबूत करके रखना चाहती है. हालांकि, पश्चिम बंगाल कोटे से अभी बाबुल सुप्रियो और देबश्री चौधरी राज्यमंत्री है. ऐसे में माना जा रहा है कि मोदी सरकार में बंगाल  से किसी बड़े नेता को मौका दिया जा सकता है.

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महाराष्ट्र में बीजेपी अब अपने दम पर सत्ता का रास्ता तय करने में जुटी है, जिसके लिए राज्य में पार्टी अपने कोर वोटबैंक ओबीसी के साथ-साथ मराठा समुदाय को भी सहेजकर रखना चाहती है. इस समीकरण के जरिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को सियासी मात देने की जुगत में है. ऐसे में बीजेपी महाराष्ट्र से किसी नेता को मोदी कैबिनेट में एंट्री मिल सकती है. 

महाराष्ट्र में पार्टी के वरिष्ठ नेता नारायण राणे को भी नई दिल्ली बुलाया गया है.नारायण राणे के पास पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के दफ्तर से फोन पहुंचा है. माना जा रहा है कि उन्हें महाराष्ट्र कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है. राणे पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और शिवसेना से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ आए हैं. 

बिहार के सहयोगी दलों को मिलेगी जगह

बिहार में भी बीजेपी अपने समीकरण को दुरुस्त करना चाहती है, जिसके लिए जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी के पशुपति पारस गुट को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिल सकती है. इसके अलावा राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी को भी मोदी कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. हालांकि, 2019 में मोदी सरकार के गठन के दौरान भी जेडीयू को सरकार में शामिल होने का ऑफर दिया गया था, लेकिन एक मंत्री पद मिलने के चलते नीतीश कुमार तैयार नहीं हुए. अब दो साल के बाद जेडीयू कैबिनेट में शामिल होने के लिए रजामंद है. 

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वहीं, हिमाचल प्रदेश में अगले साल चुनाव है, जो बीजेपी के काफी अहम माना जाता है. मोदी सरकार में फिलहाल अनुराग ठाकुर राज्य मंत्री हैं. ऐसे में देखना होगा कि हिमाचल के समीकरण को साधने के लिए बीजेपी अनुराग ठाकुर का सियासी कद बढ़ाती है या फिर अन्य किसी नेता को कैबिनेट में जगह देती है.


 

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