
बिहार में लोकसभा चुनाव के नतीजे से स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जलवा राज्य में अभी भी बरकरार है और जाति की दीवार को तोड़ते हुए लोगों ने ब्रांड मोदी के नाम पर जमकर वोटिंग की है. 30 सीट के साथ बिहार में एनडीए का प्रदर्शन एक मुख्य फैक्टर है, जिसके कारण देश में नरेंद्र मोदी तीसरी बार एनडीए सरकार बनाने जा रहे हैं.
लोकसभा के नतीजों के मुताबिक बिहार में बीजेपी ने 12, जनता दल यूनाइटेड ने 12, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 5 और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 1 सीट प्राप्त हुआ है. बीजेपी ने 17 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने 16 सीट पर लड़कर 12 पर जीत दर्ज की है. उधर, चिराग पासवान की पार्टी में 5 सीटों पर चुनाव लड़कर सभी पर जीत हासिल कर चुकी है.
बिहार में जनता दल यूनाइटेड का जो प्रदर्शन रहा है, उससे एक बात स्पष्ट रूप से समझ में आती है कि जनवरी में नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए में जो आने का फैसला किया था, वह बिल्कुल सही था. सूत्रों के मुताबिक उस वक्त नीतीश कुमार की पार्टी के 16 सांसद थे और उस दौरान सभी ने नीतीश कुमार से वापस एनडीए में आने की अपील की थी, क्योंकि उन सभी का मानना था कि अगर लोकसभा चुनाव में उन्हें दोबारा चुनकर आना है, तो उन्हें ब्रांड मोदी की जरूरत पड़ेगी जैसा कि 2019 में देखने को मिला था, जब नीतीश कुमार की पार्टी ने 17 में से 16 सीट पर जीत हासिल की थी.
दूसरी तरफ अगर महागठबंधन के प्रदर्शन पर नजर डालें, तो तेजस्वी यादव के जबर्दस्त प्रचार प्रसार के बावजूद राजद को केवल 4 सीट ही हासिल कर हुई हैं. जबकि उनकी पार्टी ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था. महागठबंधन में कांग्रेस ने भी 9 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 3 पर हासिल की. महागठबंधन के प्रदर्शन से स्पष्ट होता है कि अगर नीतीश लोकसभा चुनाव में महागठबंधन में रहते तो संभवतः जनता दल यूनाइटेड को और ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता था.
प्रचार के दौरान भी कई लोगों ने यह माना कि नीतीश कुमार पिछले कुछ वर्षों में लगातार पलटते आ रहे हैं, जिसकी वजह से उनकी विश्वसनीयता में भी कमी आई है और इसी कारण लोग उन्हें या उनकी पार्टी को वोट नहीं देना चाहते थे, लेकिन यह लोकसभा चुनाव देश का चुनाव था. जेडीयू इस बार बीजेपी के साथ थी तो बिहार में लोगों ने जनता दल यूनाइटेड को वोट दिया है.
चुनाव के नतीजों से ऐसा लगता है कि बिहार में एनडीए 2019 में 39 सीट से 2024 में 30 सीट पर आ गई है, तो समझ में आता है कि इसकी मुख्य वजह लोगों के बीच तेजस्वी यादव का क्रेज नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के खिलाफ नाराजगी रही है, क्योंकि अगर तेजस्वी यादव के समर्थन में लोगों का उत्साह होता तो फिर आरजेडी 4 सीटों पर नहीं सिमटी होती.