
एक जुलाई 1933 को गाजीपुर में जन्में अब्दुल हमीद ने कालांतर में ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है. ये बात साल 1965 की है जब भारत पर पाकिस्तान ने हमला कर दिया था. उस युद्ध में अब्दुल हमीद ने दुश्मन की सेना को धूल चटा दिया था. उनके युद्ध कौशल और वीरता ने पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी थी. आज उन्हीं की जन्म जयंती पर संघ प्रमुख मोहन भागवत उनके गांव गाजीपुर जा रहे हैं, जहां वे 'मेरे पापा परमवीर' पुस्तक का विमोचन करेंगे.
सेना में नियुक्ति
अब्दुल हमीद 20 की उम्र में ही भारतीय सेना भर्ती हो गए और देश के सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्होंने 1955 में संभाली थी, जिसके लगभग सात साल बाद एक बड़ी चुनौती इंतजार कर रही थी. 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया था उस युद्ध में सात माउंटेन ब्रिगेड, चार माउंटेन डिवीजन की तरफ से अब्दुल हमीद को रणक्षेत्र में भेजा गया था. जिसमें उन्होंने ने अपनी सूझ-बुझ तथा युद्ध कौशल का परिचय दिया
था और चीन के खिलाफ पूरी हिमाकत से लड़ा था.
दुश्मनों की कमर तोड़ दी
साल 1965 में जब पाकिस्तानी सेना ने भारत पर अचानक हमला कर दिया, उस समय अब्दुल हमीद छुट्टी में अपने घर आए थे, लेकिन सब सीमा पर दुश्मनों की तरफ से तनाव बढ़ने लगा, तब सभी सैनिकों के साथ उन्हें भी वापस बुला लिया गया. उनकी ड्यूटी उस समय पंजाब के खेमकरण में थी, इस दौरान उन्होंने पाकिस्तानी सेना को अपनी युद्ध क्षमता से जमींदोज कर दिया, उनके तीन टैंकों को अपने शौर्य तथा पराक्रम के दम पर ध्वस्त कर दिया. जिससे पाकिस्तान की सेना के हौसले पस्त हो गए.
लेकिन उसी दौरान शत्रु की नजर इस वीर जांबाज पर पड़ गई और दुश्मनों ने उन पर चौतरफा हमला कर दिया. इसके बावजूद भी वीर अब्दुल हमीद पूरी हिम्मत के साथ लड़ते रहे और अपनी वीरता का परिचय देते हुए, विरोधियों के आठवीं टैंक को भी नष्ट कर दिया. लेकिन चारों तरफ से हो रहे हमले की वजह से मां भारती का ये पुत्र अपनी सरजमीं की रक्षा करते हुए शहीद हो गया.
मिला परमवीर चक्र
अब्दुल हमीद को उनके साहस, योद्ध कौशल और वीरता के लिए भारत सरकार ने मरणोपरांत सर्वोच्च शौर्य सम्मान परमवीर चक्र प्रदान किया. इसके बाद साल 2008 में पोस्ट ऑफिस ने वीर अब्दुल हमीद के सम्मान पांच डाक टिकट जारी किया, जिस पर उनकी तस्वीर लगी हुई है.
गृहमंत्री ने किया याद
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने अब्दुल हमीद के जन्म जयंती पर एक्स (X) पर लिखा है 'परमवीर चक्र' से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद जी को जयंती पर नमन. 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए अकेले दुश्मन के 7 पैटन टैंकों को ध्वस्त करने वाले वीर अब्दुल हमीद जी ने देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया.अब्दुल हमीद जी की शौर्य और साहस की गाथाएं देशवासियों को सदैव प्रेरणा देती रहेंगी.