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सिंधिया समर्थक को BJP का टिकट मिलते ही मुखर हुए 'यादव', बोले- कैंडिडेट नहीं बदला तो 2019 दोहरा देंगे

MP Assembly Election 2023: गुना जिले की राघोगढ़ विधानसभा सीट से बीजेपी ने हीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है जो अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा को नागवार गुजरा रहा है. यादव महासभा ने बीजेपी जिला उपाध्यक्ष आरएन यादव को प्रत्याशी बनाने की मांग की है.

बाएं से RN यादव, ज्योतिरादित्य सिंधिया और हीरेंद्र सिंह. (फाइल फोटो) बाएं से RN यादव, ज्योतिरादित्य सिंधिया और हीरेंद्र सिंह. (फाइल फोटो)
विकास दीक्षित/नीरज चौधरी
  • गुना ,
  • 04 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 3:33 PM IST

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी होने के बाद बीजेपी में विरोध के स्वर फूटने लगे हैं. गुना जिले की राघोगढ़ विधानसभा सीट से बीजेपी ने हीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है जो अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा को नागवार गुजरा रहा है. यादव महासभा ने बीजेपी जिला उपाध्यक्ष आरएन यादव को प्रत्याशी बनाने की मांग की है. इसको लेकर देश के गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा है. पत्र की कॉपी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, चुनाव संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर और मध्यप्रदेश के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा को भेजी गई है.

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अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के प्रदेश सचिव सुल्तान सिंह ने बताया कि यादव समाज की सभी ने अनदेखी की है. दावा किया कि पूरा समाज आरएन यादव के साथ खड़ा है. अनदेखी करना भाजपा को महंगा पड़ेगा. संख्याबल में पूरे गुना जिले में डेढ़ लाख यादव हैं और आधे से ज्यादा राघोगढ़ में हैं.

लेकिन हराने में सक्षम हैं:  सुल्तान सिंह

प्रदेश सचिव ने बताया कि समाज अपनी भूमिका तय करेगा. अगर आरएन यादव को प्रत्याशी बनाया गया तो विरोध करने का काम करेंगे. वोटिंग का भी बहिष्कार करेंगे, जिसका असर जिले की चारों विधानसभा पर पड़ेगा.
 
सुल्तान सिंह ने 2019 के लोकसभा परिणामों का भी हवाला दिया और कहा कि हम जिसे चाहे जिताते हैं और जिसे चाहे हरा देते हैं. हम जीतेंगे नहीं, लेकिन हराने में सक्षम हैं. 

यादव महासभा के प्रदेश सचिव सुल्तान सिंह.

बीजेपी जिला उपाध्यक्ष आरएन यादव ने बताया कि वर्तमान में वे पार्टी के जिला उपाध्यक्ष हैं. पार्टी के लिए काफी समय से कार्य कर रहे हैं. कार्यकर्ता होने के नाते उन्हें टिकट दिया जाना चाहिए था. अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा की ओर से टिकट देने की मांग की जा रही है.

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आरएन यादव ने aajtak से कहा, मैं लगातार क्षेत्र में सक्रिय हूं. यादव समाज का प्रदेशाध्यक्ष भी हूं. यादव समाज मुझे टिकट देने की मांग कर रहा है. वर्तमान में BJP जिला उपाध्यक्ष हूं. पार्टी को मेरे बारे में विचार करना चाहिए. राघोगढ़ नहीं तो पार्टी बमोरी से टिकट दे सकती है. 

सिर पर साफा बांधे हुए बीजेपी नेता RN यादव.

विकास के मुद्दे पर चुनाव लडूंगा: हीरेंद्र सिंह

यादव समाज की नाराजगी को लेकर BJP प्रत्याशी ने हीरेंद्र सिंह ने कहा, मैं विकास के मुद्दे पर चुनाव लडूंगा. राघोगढ़ में पिछले 35 वर्षों से जनता की सेवा कर रहा हूं. पिता ने भी राघोगढ़ से राजनीति की है जिसका लाभ मुझे मिलेगा. ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को धन्यवाद देता हूं जो मुझे राघोगढ़ से उम्मीदवार बनाया है.

सिंधिया समर्थक और BJP प्रत्याशी हीरेंद्र सिंह.


बहरहाल, पहली लिस्ट के बाद अब दूसरी लिस्ट में भी भाजपा  के अंदर बगावत तेज़ हो गई है. इस बार सीधे तौर पर बीजेपी को विधानसभा सीट हराने का दावा किया गया है. 

कहीं ये सिंधिया और यादव के बीच 'जंग' तो नहीं?
दरअसल, बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद को तरजीह देते हुए राघोगढ़ सीट से हीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है. अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा ने पत्र में हवाला देते हुए बताया कि उसने साल 2019 में अपना सांसद (केपी यादव) बनाया और दिग्गज नेता (ज्योतिरादित्य सिंधिया)  को हराकर इतिहास रच दिया था. गौर करने वाली बात है कि अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बीजेपी सांसद केपी यादव हैं.

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PM मोदी के साथ सेल्फी लेते सांसद केपी यादव.

आती रहती हैं मनमुटाव की खबरें

यहां बता दें कि बीते 4.5 साल में बीजेपी सांसद केपी यादव और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले सिंधिया समर्थकों के बीच मनमुटाव और एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की खबरें आती रहती हैं. बीते साल ही केपी यादव ने शिवराज सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया को मूर्ख बता दिया था. मंत्री की ओर से लोकसभा चुनाव में सिंधिया की हार पर माफी मांगने को लेकर सांसद ने यह बात कही थी. BJP सांसद ने कहा, कार्यकर्ताओं को लगने लगा है कि 2020 में पार्टी से गलती हुई है, जो ऐसे लोगों को बिना सोचे-समझे, भाजपा में ले लिया. जिन्हें (सिंधिया समर्थक) भाजपा की रीति-नीति के बारे में जानकारी नहीं है. ऐसे लोगों को भाजपा में लेना, शायद हमारी गलती थी. बता दें कि साल 2020 में कमलनाथ सरकार को गिराकर बीजेपी ने सरकार बना ली थी. इसके ज्योतिरादित्य सिंधिया की अहम भूमिका रही. 

पहली बार सिंधिया परिवार के सदस्य की हार 

विदित हो कि 2014 का चुनाव 1 लाख 20 हजार 792 वोटों से जीतने वाले कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 में BJP प्रत्याशी डॉ. केपी यादव ने 1 लाख 25 हजार 549 वोटों से हरा दिया था. 14 बार लगातार अजेय रहने वाले सिंधिया परिवार के किसी प्रत्याशी की गुना संसदीय क्षेत्र में यह पहली हार थी. हैरानी की बात यह थी कि बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले केपी यादव पहले कांग्रेस में ही थे और सिंधिया के खास लोगों में शुमार थे. 

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ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ केपी यादव की बचपन की तस्वीर.

2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़े

तीन जिलों शिवपुरी, गुना और अशोकनगर के इस संसदीय क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार डॉ. केपी यादव को कुल 6 लाख 14 हजार 049 यानी 52.11%  वोट मिले थे. जबकि उनके मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी सिंधिया को 4 लाख 88 हजार 500 यानी 41.45% मत हासिल हुए थे. संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों पर यादव वोटों की संख्या करीब 3.50 लाख से ज्यादा है. करीब 1.50 लाख यादव वोटर्स सिर्फ गुना जिले में ही हैं.   

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