
बंगाल की राजनीति में पंचायत चुनाव के अलावा एक अलग हंगामा भी चल रहा है. यह मामला नागेंद्र राय से जुड़ा है जिनको अनंत महाराज के नाम से भी जाना जाता है. अनंत को बीजेपी ने बंगाल से अपना राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित किया है. लेकिन ममता बनर्जी की पार्टी ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. बता दें कि बंगाल की छह राज्यसभा सीटों पर 24 जुलाई को मतदान होना है.
दरअसल, अनंत महाराज बंगाल को काटकर अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग करते हैं. उनकी मांग है कि कूचबिहार जिसमें उत्तर बंगाल का कुछ इलाका शामिल हो, उसे अलग राज्य बनाना चाहिए. उन्होंने सबसे पहले इस मांग को उठाया था. अनंत के बाद बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी ऐसी मांग की थी. हालांकि, बीजेपी आधिकारिक तौर पर बंगाल से कूचबिहार को अलग करने की बात नहीं करती है.
कौन हैं अनंत महाराज, राजवंशी समाज पर फोकस क्यों?
अनंत महाराज राजवंशी समाज का जाना-पहचाना चेहरा हैं. वह कूचबिहार पीपल्स असोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. बंगाल में राजवंशी समाज अनुसूचित जाति के अंतर्गत आता है. नॉर्थ बंगाल में राजवंशी समाज की करीब 30 फीसदी आबादी है. साउथ बंगाल में मतुआ के बाद यह राज्य का सबसे बड़ा SC समुदाय है.
बता दें कि साउथ बंगाल की तुलना में यही इलाका बीजेपी का मजबूत वोट बैंक भी है. इसे ही और मजबूत करने के लिए बीजेपी ने अनंत महाराज को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है.
एक्सपर्ट मानते हैं कि नॉर्थ बंगाल की जो कुल 8 लोकसभा सीट हैं, उनमें से चार में राजवंशी समाज निर्णायक है. साल 2019 में बीजेपी ने इन 8 में से सात सीट जीती थीं.
नॉर्थ बंगाल की 23 विधानसभा और 2 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां राजवंशी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. अनंत महाराज का इस समाज पर बड़ा असर माना जाता है. अगर अनंत राज्यसभा चुनाव जीत जाते हैं तो बीजेपी को इसका फायदा लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों में मिल सकता है क्योंकि अनंत के जीतने का राजवंशी समाज पर सकारात्मक मेसेज जाएगा.
अगर अनंत राज्यसभा के सदस्य बन जाते हैं तो नॉर्थ बंगाल से बीजेपी के राज्यसभा सांसद बनने वाले वह पहले सदस्य होंगे.
TMC ने उठाए सवाल
अनंत की उम्मीदवारी का TMC विरोध कर रही है. सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल एक है और किसी को इसका बंटवारा नहीं करने देंगे. वहीं टीएमसी सांसद और प्रवक्ता शांतनु सेन ने कहा है कि हम बहुत पहले से यह बात कह रहे हैं और अब ये साफ हो गया है कि बीजेपी राज्य में अलगाववाद को बढ़ावा दे रही है. शांतनु ने आरोप लगाया कि बीजेपी नॉर्थ बंगाल में अलगाववादी आंदोलन को बढ़ावा दे रही है.
पहले भी उठी है नॉर्थ बंगाल को लेकर ऐसी मांगें
नॉर्थ बंगाल के इलाके में कुल 8 जिले आते हैं. इसमें दार्जिलिंग भी शामिल है. यह इलाका आर्थिक रूप से बंगाल के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि चाय की पत्ती, लकड़ी और पर्यटन का सारा कारोबार वहीं से होता है. इस क्षेत्र के बॉर्डर नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से लगते हैं. यहां अस्सी के दशक की शुरुआत में राजवंशी के साथ-साथ गोरखा, कोच और कामतापुरी जातीय समूहों ने अलग राज्य का दर्जे की मांग की जा चुकी है.