
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए खेमे बंट गए हैं. 39 पार्टियां बीजेपी वाले NDA गठबंधन का हिस्सा हैं. वहीं 26 पार्टियां विपक्षी गठबंधन की तरफ हैं. इस तरह कुल 65 पार्टियों ने अपने पाले तय कर लिए हैं. लेकिन अभी 11 ऐसी पार्टियां भी हैं जो किसी खेमे का हिस्सा नहीं हैं. इन पार्टियों के संसद में 63 सांसद हैं.
इतना ही नहीं तीन राज्यों में इनकी सरकार है, जिसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा शामिल हैं.
बता दें कि कांग्रेस समेत 26 विपक्षी दलों ने बुधवार को बेंगलुरु में मीटिंग की थी. इसमें तय हुआ था कि विपक्षी दलों के इस गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. होगा. इसका मतलब इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस है. ये गठबंधन 2024 के चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA को चुनौती देगा, जिसमें 39 पार्टियां हैं.
पार्टियां जो अब तक न्यूट्रल हैं
पार्टी | सांसद |
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) | 22 |
बीजू जनता दल (BJD) | 12 |
भारत राष्ट्र समिति (BRS) | 9 |
बहुजन समाज पार्टी | 9 |
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) | 2 |
तेलुगु देशम पार्टी (TDP) | 3 |
शिरोमणि अकाली दल (SAD) | 2 |
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) | 1 |
जनता दल (सेक्युलर) | 1 |
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) | 1 |
SAD (मान) | 1 |
तीन न्यूट्रल पार्टियों की तीन राज्य में सरकार
किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनीं इन पार्टियों को हल्के में नहीं लिया जा सकता. इसमें से YSRCP की आंध्र प्रदेश में सरकार है. वहीं बीजू जनता दल (BJD) की ओडिशा में साल 2000 से सरकार है. ये दोनों पार्टियां भले फिलहाल किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है लेकिन कई मुद्दों पर संसद में इन्होंने मोदी सरकार के पक्ष में वोट डाला है.
इन 11 में एक भारत राष्ट्रीय समिति (BRS) भी है, इसकी तेलंगाना में सरकार है. इसके प्रमुख के. चंद्र शेखर राव (KCR) पहले विपक्षी एकता की मुहिम चला रहे थे. लेकिन अब जो विपक्षी गठबंधन बनकर तैयार हुआ है, वह खुद इसका हिस्सा नहीं हैं.
इन तीनों के अलावा मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी अभी न्यूट्रल है. BSP चार बार यूपी में सरकार बना चुकी है. फिलहाल मायावती ने अकेले अपने दम पर लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने का ऐलान कर दिया है. पार्टी मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव भी लड़ेगी.
असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM भी फिलहाल न्यूट्रल है. ओवैसी का आरोप है कि राजनीति में उनकी पार्टी के साथ अछूतों की तरह बर्ताव किया जाता है. तेलंगाना के हैदराबाद और आसपास के इलाकों में AIMIM की अच्छी पकड़ है. इसके साथ ही पार्टी महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और कर्नाटक में अपनी जड़े जमाने की कोशिश कर रही है.
AIMIM के प्रवक्ता वारिस पठान ने नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे और महबूबा मुफ्ती पर निशाना भी साधा था. उनका कहना था कि तीनों पहले बीजेपी के साथ सरकार में रह चुके हैं और अब विपक्षी एकता की दुहाई दे रहे हैं.