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संसदीय समितियों में कांग्रेस की ताकत कम हुई, कोई चेयरमैन पद न मिलने से TMC भड़की, बोली- यह है न्यू इंडिया की कड़वी सच्चाई

संसदीय स्थायी समितियों में मंगलवार को बड़ा बदलाव किया गया. इसमें कांग्रेस ने गृह और आईटी पर संसदीय पैनल की अध्यक्षता खो दी है. तृणमूल कांग्रेस को किसी भी पैनल की अध्यक्षता नहीं दी गई है. महाराष्ट्र का एकनाथ शिंदे गुट और मजबूत हो गया है. प्रतापराव जाधव को शशि थरूर की जगह आईटी कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है.

संसदीय स्थायी समितियों का मंगलवार को हुआ पुनर्गठन (सांकेतिक फोटो) संसदीय स्थायी समितियों का मंगलवार को हुआ पुनर्गठन (सांकेतिक फोटो)
हिमांशु मिश्रा/पॉलोमी साहा
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:37 PM IST

संसदीय स्थायी समितियों का मंगलवार को पुनर्गठन कर बड़ा फेरबदल कर दिया गया. कांग्रेस ने गृह विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की संसदीय समिति की अध्यक्षता गंवा दी है. तृणमूल कांग्रेस को भी किसी समिति की अध्यक्षता नहीं मिली है.

वहीं संसद में महाराष्ट्र का एकनाथ शिंदे गुट और मजबूत हो गया है. प्रतापराव जाधव को शशि थरूर की जगह आईटी कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है. जाधव इससे पहले ग्रामीण विकास समिति के अध्यक्ष थे. पिछले दिनों एक पत्र ट्विटर पर वायरल हुआ था, जिसमें प्रतापराव ने कुछ सांसदों की तरफ से मांग की थी कि थरूर ही इस पद को संभालते रहें. इस पत्र में बीजेपी सांसद अनिल अग्रवाल का नाम भी था हालांकि पार्टी ने इस पत्र को फर्जी बताया था.

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दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को नहीं दी गई अध्यक्षता

टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि संसद की स्थायी समितियों की घोषणा कर दी गई है. संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस भी दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, जिसे किसी भी समिति की अध्यक्षता नहीं दी गई है. साथ ही, सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी ने दो संसदीय समितियों की अध्यक्षता खो दी है. यह है न्यू इंडिया की कड़वी सच्चाई. 

इससे पहले लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के पास भी एक समिति की अध्यक्ष पद था. लोकसभा में सदस्य सुदीप बंदोपाध्याय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की समिति के अध्यक्ष थे.

17वीं लोकसभा के बीच में अध्यक्ष बदलने से निराश 

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट किया- एकजुटता के लिए थमिजाची थंगापांडियन, बीजेपी सांसद अनिल अग्रवाल, जॉन ब्रिटास, कार्ति चिदंबरम और महुआ मोइत्रा का शुक्रिया. मैं 17वीं लोकसभा के बीच में अध्यक्ष को बदलने के सरकार इस असामान्य फैसले से निराश हूं. इस तरह की असहिष्णुता से संसदीय लोकतंत्र को नुकसान पहुंचता है.

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