
लोकसभा में बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पर दूसरे दिन चर्चा हुई. इस दौरान राहुल गांधी ने अपना संबोधन दिया. उन्होंने कहा- पिछली बार मैंने सदन में अडानी के मुद्दे पर बोला था, जिससे कुछ सीनियर नेताओं को कष्ट हुआ था, लेकिन अब आपको डरने की जरूरत नहीं है, घबराने की जरूरत नहीं है. आज मैं अडानी पर नहीं बोलने जा रहा है. मेरा भाषण आज दूसरी दिशा में जा रहा है. इसके बार राहुल ने फारसी साहित्य के लेखक और सूफी संत जलालुद्दीन रूमी का जिक्र करते हुए बोले कि रूमी ने कहा था- जो शब्द दिल से आते हैं, वो शब्द दिल में जाते हैं. तो आज मैं दिमाग से नहीं दिल से बोलना चाहता हूं. मैं आप लोगों पर इतना आक्रमण नहीं करूंगा. एक-दो गोले जरूर मारूंगा, लेकिन इतने नहीं मारूंगा.
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में भारत जोड़ा यात्रा का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मैं समंदर के तट से कश्मीर की बर्फीली पहाड़ी तक गया. उन्होंने बताया कि मेरी यात्रा के दौरान बहुत से लोगों ने पूछा कि तुम क्यों चल रहे हो? तुम्हारा मकसद क्या है? तुम कन्याकुमारी से कश्मीर तक क्यों जा रहे हो. शुरुआत में मुझे इस सवाल का जवाब नहीं समझ आता था. शायद मुझे मालूम ही नहीं था कि मैं ये यात्रा क्यों कर रहा हूं. मैं लोगों को जानना चाहता था, उन्हें समझना चाहता था.
उन्होंने कहा कि कुछ दिन बाद मुझे यह बात समझ आने लगी. जिस चीज के लिए मैं मरने को तैयार हूं, जिस चीज के लिए मोदी की जेलों में जाने के लिए तैयार हूं, जिस चीज को मैंने हर रोज गाली खाई. उस चीज को समझना चाहता था. ये है क्या? जिसने मेरे दिल को इतनी मजबूती से पकड़ रखा था, उसे समझना चाहता था.
राहुल गांधी ने बताया कि यात्रा के दौरान एक किसान ने हाथ में रुई पकड़ी हुई थी. उसने वह रुई मुझे दी और मेरी आंख में देखकर कहा कि राहुल जी यही बचा है. बाकी कुछ नहीं बचा. राहुल ने कहा, मैंने किसान ने पूछा कि उसे बीमा का पैसा मिला. उसने मेरा हाथ पकड़कर कहा, नहीं मिला पैसा... भारत के बड़े उद्योगपतियों ने उसे छीन लिया. राहुल ने कहा, उस समय उस किसान के दिल में जो दर्द था, वो दर्द मैंने महसूस किया. पत्नी से बात करते समय जो शर्म उस किसान की आंखों में होती थी, वह शर्म मुझे महसूस हुई. उसकी जो भूख थी, वो मुझे समझ आई. और इसी के बाद मेरी यात्रा बादल गई.
राहुल ने आगे कहा कि लोग कहते हैं कि ये देश है. कोई कहता है कि ये अलग-अलग भाषाएं हैं. कोई कहता है कि जमीन है. कोई इसे धर्म कहता है. ये सोना है. ये चांदी है. मगर सच्चाई है कि ये देश एक आवाज है. अगर हमें इस आवाज को सुनना है, तो जो हमारे दिल में जो अहंकार है, हमारे जो सपने हैं, हमें उससे परे जाना होना. तभी हमें दूसरों की आवाज सुनाई देगी.