
मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसे संसद में शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. इस प्रस्ताव को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. जहां विपक्ष के नेताओं ने विरोध किया है, वहीं NDA में शामिल पार्टी इसका समर्थन कर रही हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसकी व्यावहारिकता पर सवाल उठाए हैं, वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संघवाद को खत्म करने वाला प्रस्ताव है.
बुधवार को आजतक के खास शो हल्ला बोल में अंजना ओम कश्यप ने बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी से सवाल किया कि एक देश एक चुनाव क्या व्यावहारिक है? आने वाले वर्षों में कई राज्यों में बारी-बारी से चुनाव हैं? सवाल के जवाब में भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि एक तरफ ऐसे लोग हैं जो सोचते हैं कि कुछ नहीं बदलेगा, जो जैसे चल रहा है, चलता रहेगा और एक तरफ ऐसे लोग हैं जो कुछ करना चाहते हैं, बदलना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इसके दो आयाम हैं. क्या यह उचित है. क्या यह हो सकता है. अगर जरूरी है तो रास्ता क्या है.
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि वर्ष 1967 के बाद कांग्रेस को अनेक विधानसभा में बहुमत नहीं मिला था और विपक्ष मजबूती से उभरा था. तब सरकार ने तोड़ने-जोड़ने का काम किया. अगर इच्छाशक्ती है तो रास्ते निकल सकते हैं. दो तरह के लोग हैं. एक कहते हैं कुछ नहीं बदलेगा सब ऐसे ही चलेगा. दूसरे कहते हैं कि बदलेगा, रास्ता निकलेगा.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, यह व्यावहारिक नहीं
वहीं, 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है, चुनाव आने पर ध्यान भटकाने के लिए वे (बीजेपी) ऐसे मुद्दे उठाते हैं. यह सिर्फ ध्यान भटकाने का भाजपाई मुद्दा है. ये संविधान के खिलाफ है. ये लोकतंत्र के प्रतिकूल है, ये संघवाद के खिलाफ है, देश इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा. हालांकि खड़गे की इस टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विपक्ष को 'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर आंतरिक दबाव महसूस हो सकता है, क्योंकि एडवाइजरी प्रोसेस के दौरान 80 फीसदी से ज्यादा लोगों ने प्रस्ताव को अपना समर्थन दिया है, खासकर युवा इसके पक्ष में हैं.