
पटना में विपक्षी दलों की कल शुक्रवार को महाबैठक हुई. 2024 में मोदी के विजयरथ को रोकने के लिए महागठबंधन पर 15 से ज्यादा दलों की रणनीति बनी, लेकिन अभी किसी ठोस फैसले से पहले ही अगले साल की तैयारी की नींव डगमगाने लगी है. दरअसल, शुक्रवार को पटना में 2024 की तैयारियों को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं का महाजुटान हुआ. मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दल एक मंच पर साथ आए और 2024 की जीत की हुंकार भरी. सबका मकसद एक था, नरेंद्र मोदी के विजयरथ को रोकना.
अभी अंतिम फैसला अगले महीने शिमला में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक के दूसरे चरण में लिया जाएगा. इसमें ही तय हो पाएगा कि सभी दल 2024 के लोकसभा चुनाव में एकजुट हो पाएंगे या नहीं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या साथ नजर आ रहे दलों के दिल मिल पाएंगे? क्या आपसी लड़ाई को भूलकर ये सारे दल एक साथ आ पाएंगे?
कारण, केंद्र के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस और केजरीवाल में ठनती जा रही है तो बंगाल में भी ममता और कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है. बैठक में जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने आम आदमी पार्टी द्वारा धारा 370 हटाने पर बीजेपी का समर्थन करने का मामला उठाया तो अब आरजेडी ने केजरीवाल को लेकर एक भड़काने वाला बयान जारी कर पसोपेश और बढ़ा दी है. इसके बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या पटना वाली बैठक विपक्ष के लिए सिर्फ एक ट्रायल था या फिर वाकई में सभी बाधाओं को पारकर विरोधी मोदी को 2024 चुनाव में रोक पाएंगे.
कांग्रेस का अध्यादेश पर AAP को समर्थन से इनकार
बता दें कि आम आदमी पार्टी अध्यादेश को लेकर विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात कर चुकी है. अरविंद केजरीवाल को विपक्ष के कई दलों ने अध्यादेश का विरोध करने का भरोसा दिया है. लेकिन कांग्रेस ने अध्यादेश के विरोध से साफ इनकार कर दिया. ऐसे में कल बैठक में भी इस मुद्दे पर गहमागहमी हुई. बैठक में केजरीवाल समेत आप के कई नेता शामिल हुए लेकिन बैठक के बाद प्रेस कॉफेंस से नदारद हो गए. हालांकि तेजस्वी यादव इस तरह की किसी अनबन से इनकार कर रहे हैं.
बंगाल कांग्रेस ने टीएमसी को बताया चोर
भले ही मंच में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ ममता बनर्जी भी नजर आईं लेकिन बंगाल कांग्रेस के तेवर ममता के खिलाफ ही नजर आ रहे हैं. जिस समय पटना में सर्वदलीय बैठक चल रही थी तो बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को चोर बता रहे थे. पश्चिम बंगाल के कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने मुर्शिदाबाद से TMC को चोरों की पार्टी बताया. अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "साफ-साफ सुन लीजिए. पश्चिम बंगाल में ममता की जी हुजूरी कर कांग्रेस ने कभी राजनीति नहीं की है और ना करेगी. तृणमूल कांग्रेस चोरों की पार्टी है."
आरजेडी ने पीएम मोदी से की केजरीवाल की तुलना
आरजेडी के नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल का किसी ने नोटिस नहीं लिया. अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी में फ़र्क क्या रहा है? आप (केजरीवाल) भी उसी तरह से तानाशाही चला रहे हैं कि हमारा जो कहना है, उसे पहले लीजिए. नरेंद्र मोदी वाला वही अंदाज़ था, उनका इसीलिए सब लोगों ने उनका नोटिस नहीं लिया.
उमर अब्दुल्ला ने भी साधा था निशाना
सर्वदलीय बैठक के दौरान जैसे ही अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के लाए अध्यादेश का विरोध करने के लिए बाकी दलों का समर्थन मांगा, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस पर ऐतराज जता दिया. उन्होंने कहा कि जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब आपकी पार्टी ने हमारा समर्थन नहीं किया था और संसद में सरकार का साथ दिया था.
बीजेपी ने साधा निशाना तो कमलनाथ ने किया पलटवार
वहीं बीजेपी भी इन मुद्दों को हवा दे रही है और पुराना इतिहास याद दिला रही है. शिवराज सिंह ने विपक्ष के गठबंधन की तुलना जानवरों से कर डाली. इस पर कमलनाथ भड़के नजर आए. कमलनाथ ने कहा, "शिवराज जी आपने विपक्ष को सांप, मेंढक और बंदर कहा. पिछले कई दिन से आप रह-रहकर अपशब्दों और स्तरहीन भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. आप जब हमें सांप कहेंगे तो जनता हमें भगवान शिव का कंठहार समझेगी. जब आप हमें बंदर कहेंगे तो जनता हमें भगवान राम की वह वानर सेना समझेगी जिसने रावण की पाप की लंका ध्वस्त कर दी थी."