
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस (Infosys) की आलोचना करने के लिए निशाने पर आई पान्चजन्य पत्रिका का बचाव किया है. उन्होंने कहा है कि पान्चजन्य धर्म युद्ध की लड़ाई लड़ रहा है. मनमोहन वैद्य का ये बयान तब आया है कि जब पान्चजन्य पत्रिका के एक लेख के लिए उसकी आलोचना हो रही है.
पान्चजन्य पत्रिका ने अपने एक लेख 'साख और आघात' में दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस की आलोचना की थी और उसे 'एंटी नेशनल' करार दिया था. दिल्ली में पान्चजन्य पत्रिका के नए कार्यालय के उद्घाटन के दौरान मनमोहन वैद्य ने यहां तक कहा कि जब 'धर्म युद्ध' की स्थिति रहती है तो कभी कभी "अच्छे लोगों" की भी आलोचना करनी होती है क्योंकि वे गलत पक्ष का साथ दे रहे होते हैं.
Infosys पर संघ में दो विचारधारा
बता दें कि इससे पहले संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने पान्चजन्य द्वारा इंफोसिस पर व्यक्त किए गए विचार से किनारा कर लिया था. उन्होंने कहा था कि पान्चजन्य संघ का मुखपत्र नहीं है और इंफोसिस पर लिखे गए विचार सिर्फ लेखक की भावना को व्यक्त करते हैं.
पान्चजन्य धर्मयुद्ध का शंखनाद है
6 सितंबर को आयोजित इस कार्यक्रम में मनमोहन वैद्य सुनील आंबेकर के विचार से परे हटते हुए पान्चजन्य की प्रशंसा करते नजर आए. उन्होंने कहा, " पान्चजन्य धर्मयुद्ध का शंखनाद है." आगे उन्होंने कहा कि किसी धर्म युद्ध के दो पक्ष होते हैं.
मनमोहन वैद्य ने कहा, "ऐसा भी समय आ सकता है जब गलत पक्ष में अच्छे लोग हो सकते हैं, और आपको उन पर भी अपने तीर चलाने होंगे. भारत के विरोधी ताकतों पर राष्ट्रवादी दृष्टिकोण हावी हो रहा है, लेकिन युद्ध लंबे समय तक चलेगा."
पान्चजन्य और ऑर्गनाइजर संघ के विचारों को प्रकट करते हैं
बता दें कि पान्चजन्य (हिन्दी) और ऑर्गनाइजर (अंग्रेजी) का प्रकाशन भारत प्रकाशन नाम की संस्था करती है, और ऐसा माना जाता है कि दोनों पत्रिकाएं संघ के विचारों को मंच प्रदान करती हैं.
पान्चजन्य ने इस महीने के अपने अंक में इंफोसिस द्वारा विकसित आयकर और जीएसटी पोर्टलों में गड़बड़ियों के लिए कंपनी को फटकार लगाई थी और आश्चर्य जताया था कि क्या इंफोसिस के माध्यम से कोई राष्ट्र विरोधी ताकत भारत के आर्थिक हितों को चोट पहुंचाने की कोशिश कर रही है. पान्चजन्य ने इंफोसिस को ऊंची दुकान और फीका पकवान करार दिया था.
संघ ने पान्चजन्य के लेख से खुद को अलग किया था
पान्चजन्य पत्रिका के इस लेख की विपक्षी पार्टियों ने आलोचना की थी और कहा था कि ये संघ द्वारा भारत के कॉरपोरेट कंपनियों पर सुनियोजित हमला है. इसके बाद संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सफाई दी थी और कहा था कि, "एक भारतीय कंपनी के रूप में, इंफोसिस ने देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इंफोसिस द्वारा विकसित पोर्टल के साथ कुछ समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन इस संदर्भ में पांचजन्य द्वारा प्रकाशित लेख केवल लेखक की व्यक्तिगत राय को दर्शाता है." उन्होंने कहा था कि पान्चजन्य RSS का मुखपत्र नहीं है.