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आज से संसद का बजट सत्र, Adani और BBC डॉक्यूमेंट्री के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष

संसद का बजट सत्र मंगलवार से शुरू हो रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के संबोधित करेंगी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2023 को वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी. इस दौरान विपक्षी दलों ने सरकार को अडाणी समूह, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सहित तमाम मुद्दों पर घेरने की पूरी तैयारी कर रखी है.

संसद भवन संसद भवन
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 31 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:56 AM IST

संसद का बजट सत्र आज यानी मंगलवार से शुरू हो रहा है जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2023 को वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी. उससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपना पहला अभिभाषण देंगी. बजट सत्र के दौरान सरकार की नजर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट आदि पर सुचारू रूप से चर्चा कराने पर रहेगी तो वहीं, विपक्षी दलों ने अडाणी समूह, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के मामले पर केंद्र सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है. 

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विपक्ष ने महंगाई, रोजगार, चीन के साथ सीमा विवाद, अर्थव्यवस्था, सेंसरशिप सहित अन्य मुद्दों पर सरकार घेरने की तैयारी कर ली है. अडाणी समूह से जुड़ा विषय, कुछ राज्यों में राज्यपालों के कामकाज, जाति आधारित गणना, महंगाई, बेरोजगरी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने के स्पष्ट संकेत दिए हैं. ऐसे में बजट सत्र के हंगामेदार रहने की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है.

संसद का यह बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर छह अप्रैल तक चलेगा. इस दौरान बीच में करीब एक माह का अवकाश भी रहेगा. बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चलेगा और दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होकर छह अप्रैल तक चलेगा. करीब 66 दिन लंबे इस पूरे सत्र के दौरान कुल 27 बैठकें होंगी. इस दौरान वित्त मंत्री 2023-24 का बजट पेश करेगी तो सरकार की कोशिश संसद में लटके विधेयकों को पास करने पर जोर होगा. राज्यसभा में 26 और लोकसभा में नौ विधेयक पारित होने की प्रतीक्षा में है.

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केंद्र सरकार ने बजट सत्र से पहले विभिन्न विषयों पर आम राय बनाने के लिए सोमवार को सियासी दलों के सदन के नेताओं की सर्वदलीय बैठक किया, जिसमें में 27 दलों के 37 नेताओं ने भाग लिया था. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संसद की कार्रवाई का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए यह बैठक बुलाई. बैठक में एमसीपी, टीएमसी समेत कई दल शामिल हुए थे. 

अडानी से बीबीसी का मुद्दा छाया रहेगा

कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां फिलहाल विदेशी एजेंसी द्वारा भारतीय पूंजीपति अडानी के खिलाफ जारी की गई रिपोर्ट और बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को भारत सरकार द्वारा बैन किए जाने के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में है. वामपंथी दल और आरजेडी ने भारत में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को बैन करने और अडानी के खिलाफ विदेशी एजेंसी की रिपोर्ट के साथ-साथ भारत सरकार की आर्थिक नीतियों पर सरकार को घेरेगी. आरजेडी की ओर से महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा भी सदन में उठाया जाएगा. 

तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने अपने तमाम सांसदों को निर्देश दिया है कि वह बजट सत्र के दौरान सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए, जिसमें एलआईसी द्वारा अडानी की कंपनी में किए गए निवेश और सरकारी कंपनियों के निजीकरण के मुद्दा. बीआरएस के सांसद संसद के दोनों सदनों में राज्यपालों और उनका इस्तेमाल करके केंद्र सरकार द्वारा अपनाए जा रहे रवैया का मुद्दा भी प्रमुख होगा. 

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आम आदमी पार्टी ने बजट सत्र में हिंडनबर्ग, सोनम वांगचुक, एलजी द्वारा संघीय ढांचे का हनन  और  मंहगाई-बेरोजगारी दर कम करने का मुद्दा. आम आदमी पार्टी के सभी राज्यसभा सांसद बजट सत्र के दौरान उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली सरकार के अधिकारों के हनन के मुद्दा उठाएंगे, जिसमें दिल्ली के साथ-साथ लद्दाख के उपराज्यपाल के खिलाफ सोनम वांगचुक द्वारा लगाए जा रहे. शिवसेना भी हिंडेनब्रेग रिपोर्ट को लेकर केंद्र सरकार से सवाल करेगी. सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि पार्टी सदन में महाराष्ट्र में आने वाली निवेश को दूसरे राज्यों में ले जाने, महाराष्ट्र को सरकारी परियोजनाओं से दूर रखने चीन की घुसपैठ के साथ साथ हिंडेनबर्ग रिपोर्ट का मुद्दा उठाएगी. 

आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी की पार्टी के सांसद सदन में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठा सकते हैं. आपको बता दें कि जेडीयू और आरजेडी गठबंधन की सरकार ने बिहार में जातिगत जनगणना की शुरुआत कर दी है और सदन में दोनों ही पार्टियां राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की जनगणना की मांग कर सकती हैं. शिरोमणि अकाली दल के लोकसभा सांसद सदन में पंजाब में कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाएंगे साथी किसानों की दुर्दशा के मुद्दे पर भी अपनी बात संसद में रखेंगे. 

सरकार ने मांगा विपक्ष से सहयोग

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संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि बजट सत्र के दौरान आम बजट 2023-24 पेश किया जाएगा. यह काफी महत्वपूर्ण सत्र है, हम सभी दलों का सहयोग चाहते हैं. विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों के संबंध में उन्होंने कहा कि विपक्ष के मुद्दों पर कार्य मंत्रणा समिति में चर्चा होती है और नियमों के अनुसार उन्हें लिया जाता है. वहीं, विपक्ष द्वारा संभावित संसद में हंगामे को लेकर कि बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि सरकार हर चर्चा और विमर्श के लिए सदन में तैयार है, लेकिन क्या विपक्ष चर्चा चाहता है. विपक्ष सिर्फ हंगामे से सदन का समय खर्च कर सकता है, वो चर्चा नहीं करना चाहता है. 

2023 में 9 राज्यों में चुनाव होने हैं

बजट सत्र ऐसे समय शुरू हो रहा है जब तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव की तपिश गर्म है. इन तीन राज्यों के अलावा छह राज्यों में और भी इसी साल चुनाव होने है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं जबकि अगले साल 2024 में लोकसभा आम चुनाव भी है. बजट सत्र के जरिए भी चुनावी राज्यों को साधने की कवायद की जा सकती है. इसकी वजह यह है कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को 2024 का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. 

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कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां सरकारी कंपनियों के निजीकरण को लगातार चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है. संकेत इस बात के हैं कि कांग्रेस की तरफ से इन चुनावों में पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) और निजीकरण का विरोध एक बड़ा मुद्दा होगा. वहीं, केंद्र की बीजेपी सरकार आम बजट के जरिए चुनावी राज्यों को भी साधने का दांव चल सकती है. 

संसद में 35 विधेयक पेडिंग में पड़े है

संसद के बजट सत्र के पहले चरण में विधेयकों पर चर्चा और पारित किये जाने की संभावना कम है. हालांकि, सत्र के दूसरे चरण में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जा सकते हैं. लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 17वीं लोकसभा के दसवें सत्र के अंत में नौ सरकारी विधेयक लंबित थे. जबकि राज्य सभा में दो सौ अठावनवें सत्र (2022) के अंत में 26 विधेयक लंबित थे.

राज्यसभा में लंबित 26 विधेयकों में से तीन विधेयक पहले ही लोकसभा द्वारा पारित किए जा चुके हैं. इनमें अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2019, संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक 2022 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक 2022 शामिल हैं. वहीं, जिन विधेयकों को किसी भी संसदीय जांच के लिए नहीं भेजा गया है और वे पारित होने के लिए लंबित हैं, उनमें तमिलनाडु विधान परिषद (निरस्तीकरण) विधेयक 2012, संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुन: समायोजन (तीसरा) विधेयक 2013, दिल्ली किराया (निरस्तीकरण) विधेयक 2013, और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2019 शामिल हैं.

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संसद की स्थायी समिति से विधेयक को हरी झंडी

राज्यसभा के पास लंबित कई विधेयकों को संसद की स्थायी समिति जांच में मंजूरी दे चुकी है. इनमें असम विधान परिषद विधेयक 2013, भवन और अन्य निर्माण श्रमिक संबंधित कानून (संशोधन) विधेयक 2013, संविधान (79वां संशोधन विधेयक) 1992 (विधायकों के लिए छोटा परिवार मानदंड), दिल्ली किराया (संशोधन) विधेयक 1997, दिल्ली किराया (निरस्तीकरण) विधेयक 2013, रोजगार कार्यालय (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) संशोधन विधेयक 2013, भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी फार्मेसी विधेयक 2005, अंतरराज्यीय प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) विधेयक, खान (संशोधन) विधेयक 2011, नगर पालिकाओं के प्रविधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) विधेयक 2001 और राजस्थान विधान परिषद विधेयक 2013 शामिल हैं.

लोकसभा में लंबित नौ विधेयकों की सूची में निरस्तीकरण और संशोधन विधेयक 2022 शामिल है. दो विधेयकों को स्थायी समिति के पास भेजा गया था और उनकी रिपोर्ट अभी भी लंबित है. इसमें बाल विवाह निषेध(संशोधन) विधेयक 2021 और बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 शामिल हैं.  ऐसे में देखना है कि बजट सत्र के दौरान मोदी सरकार संसद से किन विधेयकों को पास करने में सफल रहती है? 

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