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75 दिन के आंदोलन का 75 मिनट में जवाब, कल लोकसभा में बोलेंगे पीएम मोदी, आज राहुल की बारी

कृषि कानूनों को लेकर मचे घमासान के बीच सोमवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की. प्रधानमंत्री ने कहा कि MSP था, MSP है और MSP रहेगा, किसानों को आंदोलन खत्म करना चाहिए. 

पीएम मोदी-राहुल गांधी (फाइल फोटो) पीएम मोदी-राहुल गांधी (फाइल फोटो)
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 7:19 AM IST
  • आज राहुल गांधी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलेंगे
  • कृषि कानून पर भरोसा देना ही सरकार की मंशाः पीएम

दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन को 75 दिन हो चुके हैं. सोमवार को संसद के राज्यसभा सदन से 75 मिनट के अंदर प्रधानमंत्री ने साफ संकेत दे दिया कि नए कृषि कानून वापस नहीं होंगे. कृषि कानून पर भरोसा देना ही सरकार की मंशा है. बुधवार को लोकसभा में पीएम मोदी जवाब देंगे. इस दौरान किसानों के मसले पर नरेंद्र मोदी क्या कहते हैं, ये बेहद अहम होगा. वहीं, आज राहुल गांधी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलेंगे. ऐसे में सदन के माहौल पर सबकी नजरें रहेंगी. 

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इससे पहले सोमवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की. प्रधानमंत्री ने कहा कि MSP था, MSP है और MSP रहेगा, किसानों को आंदोलन खत्म करना चाहिए. सदन में सिर्फ आंदोलन की बात हुई है, कानून में सुधारों को लेकर चर्चा नहीं की गई.

विपक्ष क्यों यू-टर्न ले रहा है? 

कृषि कानूनों पर विपक्ष को घेरते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार समेत कई कांग्रेस के नेताओं ने भी कृषि सुधारों की बात की है. शरद पवार ने अभी भी सुधारों का विरोध नहीं किया, हमें जो अच्छा लगा वो किया आगे भी सुधार करते रहेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि आज विपक्ष यू-टर्न कर रहा है, क्योंकि राजनीति हावी है. पीएम मोदी ने कहा कि जो मनमोहन सिंह ने कहा वो मोदी को करना पड़ रहा है, आप गर्व कीजिए.  

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'आंदोलनजीवी' समुदाय पैदा होगा है...

विपक्ष पर तंज कसते हुए पीएम ने कहा कि कुछ लोग किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. देश में एक नया समुदाय 'आंदोलनजीवी' पैदा हो गया है. जो हर विरोध प्रदर्शनों में देखा जा सकता है. पीएम मोदा ने कहा, 'हम लोग कुछ शब्‍दों श्रमजीव और बुद्धिजीवी से बड़े परिचित हैं, लेकिन मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है 'आंदोलनजीवी'. वकीलों का आंदोलेन हो, छात्रों का आंदोलन हो या मजदूरों का आंदोलन ये लोग हर जगह नजर आते हैं. ये पूरी एक टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते खोजती रहती है. हमें ऐसे लोगों की पहचान करनी होगी और उनसे राष्ट्र की रक्षा करनी होगी. 

महुआ मोइत्रा ने टैगोर प्रेम पर निशाना साधा

वहीं, लोकसभा की कार्यवाही के दौरान टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने बीजेपी के रविंद्र नाथ टैगोर प्रेम पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि रविंद्र नाथ टैगौर द्वारा रचित गीत के एक ही अंश को राष्ट्रगान के तौर पर स्वीकार किया गया. रविंद्र नाथ टैगोर और बंगाल को बेहतर समझने में शायद आपको ‘जन गण मन’ का बाकी अंश मदद कर सके.

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महुआ मोइत्रा ने बीजेपी पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत हथियाने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया. महुआ ने कहा कि नेताजी ने दो नारे दिए थे पहला ‘जय हिंद’ जिसे बीजेपी ने एक संकीर्ण धार्मिक नारे में बदल दिया. वहीं दूसरा नारा था ‘दिल्ली चलो’, बीजेपी की सरकार ने ही दिल्ली की सीमाओं को पर लोगों को दिल्ली आने से रोका है, यह सरकार कायरों की सरकार है. उन्होंने अपने संबोधन के आखिर में एक शेर पढ़ा ‘गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे, जो घुटनों के बल चले.’

‘किसान आंदोलन तोड़ने की साजिश’

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार से सवाल किया कि अमित शाह जैसा मजबूत गृहमंत्री होते हुए कुछ उपद्रवी लोग 26 जनवरी को लाल किला तक कैसे पहुंच गए. इस पर सही से जांच होनी चाहिए. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान में क्या हो रहा है उसकी जानकारी आपके पास है. लेकिन यहां क्या हो रहा है उसकी जानकारी आपके पास नहीं है. यह किसान आंदोलन तोड़ने की एक सोची समझी साजिश है. उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर सरकार से कहा कि उसे ‘बहुमत का बाहुबल’ दिखाना बंद करना चाहिए. उसे किसानों से बात करनी चाहिए. 

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