
दोस्त हर उम्र में बनते हैं. लेकिन बचपन के दोस्त, असली दोस्त होते हैं... साथ खेलना, साथ पढ़ना. हर किसी की जिंदगी में ऐसे दोस्त होते हैं. हां, ये सभी सच है कि समय के साथ कुछ दोस्त कामयाबी की सीढ़ी चढ़कर बुलंदी पर पहुंच जाते हैं और कुछ सामान्य जिंदगी जीते हैं. लेकिन जब भी बचपन के दोस्त मिलते हैं, तो पुरानी यादें भी ताजा हो जाती हैं, लगता है कि फिर से बचपन लौट आया है.
दरअसल, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बचपन की कुछ यादें एक पोडकास्ट में शेयर कीं. पीएम मोदी शेयर ट्रेडिंग एप जेरोधा के फाउंडर निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट में नजर आए. इस पॉडकास्ट में निखिल कामथ ने प्रधानमंत्री को उनकी बचपन में ले जाने की कोशिश की. जिसके बाद पीएम मोदी ने बेहद भावुक कर देने वाली कहानी बताई. प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम हो या सीएम, दोस्त सबको चाहिए. वो भी बचपन का.
पीएम मोदी से सवाल पूछा गया कि आप बचपन में पढ़ने में कैसे थे? पीएम मोदी ने बिना लाग-लपेट कहा, "मैं एक बहुत ही सामान्य विद्यार्थी रहा, किसी भी प्रकार से नोटिस करने जैसा मेरे में कुछ नहीं था. लेकिन मेरे एक टीचर थे- बिरजी भाई चौधरी, उनको मेरे से काफी उम्मीदें थीं."
पीएम मोदी कहते हैं, "बिरजी भाई चौधरी एक दिन मेरे पिताजी मिलने गए और उनसे कहने लगे कि इसके अंदर बहुत टैलेंट है, हर चीज को बहुत जल्दी कैच कर लेता है. लेकिन ध्यान केंद्रित नहीं करता है, और फिर अपनी ही दुनिया में खो जाता है."
कंपीटिशन वाली पढ़ाई से दूर भागते थे पीएम मोदी
बातों-बातों में पीएम मोदी ने कहा कि मैं कंपीटिशन वाली पढ़ाई से दूर रहता था. ज्यादा पढ़ने से भागता था. मन में रहता था कि ऐसे ही परीक्षा पास कर लूं. लेकिन और एक्टिविटीज में बहुत बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था. नई चीजों को तुरंत पकड़ लेना मेरा नेचर था.
निखिल कामथ का एक सवाल था कि क्या आप अपने बचपन के दोस्तों के टच में रहते हैं? इसका जवाब देते-देते पीएम मोदी बचपन की यादों में खो गए. वो कहते हैं, "मेरा केस थोड़ा विचित्र है. बहुत छोटी उम्र में घर छोड़ दिया. घर छोड़ा यानी सबकुछ छोड़ दिया. किसी से कोई कॉन्टेक्ट नहीं था. बहुत बड़ा गेप हो गया. किसी से कोई लेना-देना नहीं था. लगता था कि कोई मुझे क्यों पूछेगा, मेरी जिंदगी भी एक भटकते इंसान की तरह थी."
उसके बाद पीएम मोदी बताते हैं कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो मन में कई इच्छाएं जगीं. प्रधानमंत्री के मुताबिक, "मेरी एक इच्छी थी कि क्लास के सभी पुराने दोस्तों को CM हाउस में बुलाऊं. इसके पीछे मेरी साइकोलॉजी ये थी कि मैं नहीं चाहता था कि मेरे किसी आदमी को ये लगे कि अब मुख्यमंत्री बन गया है... बड़ा आदमी हो गया है.. 'तीस मार खां' बन गया है. मैं उनको बताना चाहता था, कि मैं वही हूं, जो गांव छोड़कर गया था. मैं बचपन के उस पल को जीना चाहता था. उन साथियों के साथ बैठूं. लेकिन वो सभी भी काफी उम्र दराज हो गए थे. सबके बच्चे बड़े हो चुके थे. सबके बाल पक चुके थे... मैं उनके चेहरे पहचान नहीं पा रहे थे."
बकौल पीएम मोदी, "मैंने सबको बुलाया था, करीब 30-35 दोस्त आए थे. सबके साथ रात में खाना खाया, गपशप की. पुरानी यादों को ताजा किया. लेकिन मुझे बहुत आनंद नहीं आया, क्योंकि मैं उनमें दोस्त खोज रहा था, उनको मैं मुख्यमंत्री नजर आ रहा था, तो वो खाई पटी नहीं. और मेरे जीवन में शायद 'तू' कहने वाला कोई नहीं बचा है. हालांकि कुछ लोग ऐसे हैं, लेकिन वो सम्मान की नजर से देखते हैं. हां, एक थे- रासबिहारी मनियार... वे हमेशा चिट्ठी लिखते थे, जिसमें वो 'तू' लिखते थे. उनका अभी हाल ही में 93-94 साल की उम्र में देहांत हुआ. वो हमेशा मुझे चिट्ठी लिखते थे और तू करके ही लिखते."
पीएम मोदी ने इस पॉडकास्ट में कहा कि अगर कुछ बड़ा करना है तो रिस्क लेना पड़ता है. उनकी जो रिस्क लेने की क्षमता है, उसका अभी पूर्णरूप से इस्तेमाल नहीं हुआ है.