
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बीजेपी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए वंशवाद की राजनीति पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्य से कश्मीर से कन्याकुमारी तक परिवारवादी पार्टियों का जाल लोकतंत्र के लिए खतरा बनता जा रहा है. देश का युवा भली-भांति जानता है. परिवारों की पार्टियां या परिवारवादी पार्टियां, लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं.
भारतीय राजनीतिक में सियासी परिवारों का वर्चस्व उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक कायम है. देश में भले ही नेहरू-गांधी परिवार वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देने का अगुवा माना जाता है, लेकिन यह परंपरा सभी पार्टियों में व्याप्त है. सियासत में परिवारवाद की जड़ें किस हद तक प्रवेश कर चुकी हैं, इसका नमूना अब करीबन हर राज्य और ज्यादातर पार्टियों में दिखाई पड़ रहा है. ऐसे ही सियासी परिवारों का जिक्र हम करेंगे.
नेहरू-गांधी परिवार
देश में परिवारवाद को बढ़ाने का आरोप नेहरू-गांधी परिवार पर लगा. देश की सत्ता से लेकर कांग्रेस की कमान नेहरू-गांधी परिवार के पास लंबे समय तक रही. इस परिवार से तीन सदस्य प्रधानमंत्री रह चुके हैं. पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री रहे. नेहरू के बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के साथ-साथ देश की प्रधानमंत्री रही. इंदिरा गांधी के निधन के बाद उनके बेटे राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने और कांग्रेस अध्यक्ष रहे. हालांकि, राजीव गांधी की हत्या के बाद गांधी परिवार ने राजनीति से कुछ समय के लिए किनारा कर लिया था.
छह साल के बाद 1997 में राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस की कमान अपने हाथ में ली. सोनिया 2018 तक कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहीं, जिसे बाद में उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी को सौंप दिया था. 2019 के चुनाव में मिली हार बाद राहुल ने कांग्रेस पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद सोनिया गांधी दोबारा पार्टी की अध्यक्ष बनीं. कांग्रेस की इस परंपरा को आगे बढ़ाने में राहुल गांधी के साथ उनकी बहन प्रियंका गांधी भी राजनीति में एंट्री ले चुकी हैं और कांग्रेस की महासचिव यूपी की प्रभारी हैं. इंदिरा गांधी के दूसरे बेटे संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी भी राजनीति में हैं, लेकिन वो कांग्रेस के बजाय बीजेपी से अपनी सियासत करते हैं.
महाराष्ट्र में ठाकरे-पवार परिवार
महाराष्ट्र में ठाकरे और पवार परिवार का पावर कायम हैं. शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने भले ही कभी चुनाव नहीं लड़ा हो, लेकिन मौजूदा समय में उनके बेटे उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं. बाल ठाकरे के पोते और उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं और पार्टी के भविष्य का चेहरा माने जाते हैं. इसके अलावा बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे अपनी अलग पार्टी बनी ली और उन्होंने अपने बेटे को सियासी तौर पर सक्रिय किया है. ऐसे ही महाराष्ट्र में पवार परिवार है, जिसकी नींव एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने रखी है. शरद पवार खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के साथ केंद्र में कई बार मंत्री रह चुके हैं और उनकी सियासी विरासत बेटी सुप्रिया सुले सासंद हैं. इसके अलावा शरद पवार के भतीजे अजीत पवार महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम हैं. इसके अलावा मुंडे और चव्हाण परिवार भी महाराष्ट्र में अपना राजनीतिक वर्चस्व स्थापित किए हुए है.
कश्मीर में दो सियासी परिवार
जम्मू-कश्मीर की सियासत दो सियासी परिवारों की इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. एक अब्दुल्ला परिवार तो दूसरा मुफ्ती परिवार राजनीति में सक्रीय है. दोनों में से सबसे प्रमुख अब्दुल्ला परिवार है, जिनकी तीन पीढ़ियों के तीन सदस्य मुख्यमंत्री रहे हैं. शेख अब्दुल्ला पहले मुख्यमंत्री बने थे और उनके बाद फारूक अब्दुल्ला ने सत्ता की कमान संभाली, जो शेख अब्दुल्ला के बेटे हैं. ऐसे ही फारूख अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला भी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने. इतना ही नहीं नेशनल कॉफ्रेंस की कमान भी अब्दुल्ला परिवार के पास है.
मुफ्ती परिवार
जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार की तरह ही मुफ्ती परिवार भी है. दिवंगत नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के संस्थापक के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. मुफ्ती सईद के निधन के बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती कश्मीर की मुख्यमंत्री बनी और फिलहाल पीडीपी की अध्यक्ष की कमान संभाल रही हैं. मुफ्ती सईद के बेटे तसद्दुक मुफ्ती राजनीति में एंट्र ले चुके हैं.
पंजाब: बादल-अमरिंदर परिवार
पंजाब में बादल परिवार का एकक्षत्र राजनीति कायम है. प्रकाश सिंह बादल शिरोमणी अकाली दल के संस्थापक के साथ-साथ पंजाब के चार बार मुख्यमंत्री रहे. मौजूदा दौर में प्रकाश बादल के बेटे सुखबीर सिंह बादल अकाली दल के अध्यक्ष हैं. इतना ही नहीं प्रकाश बादल के सीएम रहते हुए 2009 से 2017 के बीच सुखबीर उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं. सुखबीर लोकसभा सांसद हैं और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर भी लोकसभा सदस्य हैं. वो नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रही हैं, लेकिन किसान कानून के खिलाफ उन्होंने इस्तीफा दे दिया है.
वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के परिवार के भी सदस्य राजनीति में हैं. उनकी पत्नी प्रिनीत कौर तीन बार की लोकसभा सांसद हैं और वे यूपीए-2 में मनमोहन कैबिनेट में मंत्री भी रह चुकी हैं जबकि उनके बेटे रनिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी के साथ रहे हैं. अमरिंदर सिंह की मां मोहिंदर कौर भी कांग्रेस की नेता और सांसद रह चुकी हैं. इस तरह से पंजाब की राजनीति में अमरिंदर परिवार का भी सियासी वर्चस्व कायम है.
यूपी में मुलायम परिवार
उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा सियासी परिवार मुलायम सिंह यादव का है. सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यूपी के चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं. मौजूदा समय में मुलायम की विरासत उनके बेटे अखिलेश यादव संभाल रहे हैं, वो भी सूबे के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और आजमगढ़ से अभी सांसद हैं. मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव विधायक हैं और दूसरे भाई के बेटे धर्मेंद्र यादव तीन बार सासंद रहे हैं. इसके अलावा चचेरे भाई रामगोपाल यादव सांसद हैं, उनके बेटे अक्षय यादव भी संसद रह चुके हैं.
अखिलेश की पत्नी तीन बार सांसद रही हैं और इस बार चुनाव हार गई है. इसके अलावा परिवार के तमाम सदस्य जिला पंचायत से लेकर सहकारिता क्षेत्र में सक्रिय हैं. सूबे में मुलायम सिंह के परिवार की तरह ही चौधरी चरण सिंह परिवार है, उनके बेटे चौधरी अजित सिंह केंद्रीय मंत्री रहे चुके हैं. अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी भी सांसद रह चुके हैं.
बिहार में लालू परिवार
बिहार की राजनीति में सबसे बड़ा सियासी परिवार लालू प्रसाद यादव का है. आरजेडी प्रमुख लालू यादव दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. लालू के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी तीन बार मुख्यमंत्री बनी और मौजूदा समय में एमएलसी हैं. इसके अलावा लालू के दोनों बेटे विधायक दूसरी बार बने हैं. मौजूदा समय में तेजस्वी यादव आरजेडी का चेहरा हैं और सत्ता में पार्टी आती तो मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार थे. इससे पहले डिप्टी सीएम रह चुके हैं. लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव भी विधायक बने हैं जबकि बड़ी बेटी मीसा भारती राज्यसभा सासंद हैं.
हरियाणा में कई सियासी परिवार
हरियाणा की सियासत में परिवारों की भरमार है. हरियाण में सबसे प्रमुख चौटाला परिवार. इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को राजनीति अपने पिता चौधरी देवीलाल से विरासत में मिली है. देवीलाल हरियाणा के सीएम रहने के साथ देश के उपप्रधानमंत्री भी रहे हैं. मौजूदा समय में ओम प्रकाश चौटाला परिवार की विरासत दो धड़ों में बटी हुई है. लोकदल की कमान ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला के हाथ में तो बड़े बेटे अजय चौटाला ने अपने दोनों बेटों के साथ अलग पार्टी बना ली है. अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत डिप्टी सीएम हैं.
हरियाणा का हुड्डा परिवार भी शक्तिशाली राजनीतिक परिवारों में से एक गिना जाता है. कांग्रेसी नेता रणबीर सिंह हुड्डा विधानसभा सदस्य थे. उनके बेटे और प्रभावशाली जाट नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और मौजूदा समय में विपक्ष के नेता हैं. हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा कांग्रेस से सांसद हैं. वहीं, भजनलाल परिवार का अपना वर्चस्व कायम है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल एक बेटे कुलदीप बिश्नोई विधायक हैं जबकि उनके दूसरे बेटे मोहनचंद्र डिप्टी सीएम रह चुके हैं. इसके अलावा जिंदल परिवार का अपना राजनीतिक वर्चस्व हरियाणा में कायम है.
हिमाचल के सियासी घराना
काग्रेंस नेता वीरभद्र सिंह 2017 का चुनाव भले ही हार गए हैं, लेकिन उन्हें हिमाचल में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का गौरव प्राप्त है. वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सांसद रह चुकी हैं और उनके बेटे विक्रमादित्य 2017 में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. इसके अलावा हरियाणा में बीजेपी के नेता प्रेम सिंह धूमल का अपना सियासी वर्चस्व है. प्रेम सिंह धूमल हिमाचल के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनकी सियासी विरासत बेटे अनुराग ठाकुर संभाल रहे हैं. वो मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं.
झारखंड में सोरेन परिवार
झारखंड के मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत उनके बेटे हेमंत सोरेन संभाल रहे हैं. सोरेन दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं. शिबू के अन्य बेटे दुर्गा जिनकी 2009 में मृत्यु हो चुकी है, वो भी एक बार विधायक रह चुके हैं. दुर्गा की पत्नी सीता विधायक रही हैं और उनके तीसरे बेटे बसंत सोरेन उपचुनाव जीतकर विधायक चुने गए हैं. जेएमएम की कमान हेमंत सोरेन के हाथों में है.
दक्षिण के सियासी परिवार
आंध्र प्रदेश की सत्ता पर काबिज जगन मोहन रेड्डी को सियासत विरासत में मिली हैं. उनके पिता वाई एस राजशेखर रेड्डी कांग्रेस के कद्दावर चेहरा थे और तीन बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. जगन मोहन रेड्डी और उनकी मां सांसद रही हैं और अपने पिता के निधन के बाद अपनी राजनीतिक खुद खड़ी की और 2014 मं मुख्यमंत्री बने. ऐसे ही तेलंगाना में सीएम केसीआर के परिवार का भी वर्चस्व कायम है. केसीआर खुद सीएम हैं जबकि उनके बेटे राज्य में मंत्री हैं और उनकी बेटी सांसद थी, लेकिन इस बार हार गई हैं.
कर्नाटक में देवगौड़ा परिवार
कर्नाटक में कई सियासी परिवार हैं, जिनमें प्रमुख तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा का परिवार हैं. देवगौड़ा कर्नाटक के सीएम भी रहे हैं और जेडीएस से संस्थापक हैं. मौजूदा समय में उनकी विरासत एचडी कुमारस्वामी संभाल रहे हैं. वो कर्नाटक के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा कुमारस्वामी की पत्नी और बेटे भी विधायक रहे हैं. ऐसे ही बीएस येदियुरप्पा खुद तो मुख्यमंत्री हैं और उनके बेटे सासंद हैं.
करुणानिधि परिवार
तमिलनाडू की सियासत में करुणानिधि का सियासी वर्चस्व कायम हैं और मौजूदा दौर में यह विरासत उनके एमके स्टालिन संभाल रहे हैं. करूणानिधी की बेटी कानिमोझी सासंद हैं और दूसरे बेटे एमके अलागिरी भी सांसद के साथ-साथ केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. हालांकि, करुणानिधी की विरासत को लेकर अलागिरी और स्टालिन के बीच सियासी वर्चस्व की जंग हो चुकी है, लेकिन पार्टी की कमान स्टालिन अपने हाथ में लेने में सफल रहे हैं.
मध्य प्रदेश के सियासी घराने
मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा सियासी घराना सिंधिया का है. विजयराजे सिंधिया सांसद रही हैं और उनके बेटे माधवराव सिंधिया भी केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा विजयराजे की दोनों बेटियां भी राजनीति में है. एक बेटी वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं जबकि दूसरी बेटी यशोधरा राजे सिंधिया शिवराज सरकार में मंत्री हैं. वहीं, माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा सांसद हैं और दो बार केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. ऐसे ही दिग्विजय सिंह खुद सांसद हैं और उनके बेटे विधायक हैं और कमलनाथ सरकार में मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा पूर्व सीएम कमलनाथ खुद विधायक हैं और बेटे नकुलनाथ सांसद हैं.