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PM मोदी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं में बंगाल विजय का भरा जोश, तय किया टारगेट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाम किसी का नहीं लिया, लेकिन बिहार में बीजेपी और एनडीए की जीत की झांकी दिखाते हुए कार्यकर्ताओं के लिए लक्ष्य की दिशा तय कर दी. प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार विजय पर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की जमकर तारीफ की. फिर उनके हौसले की उड़ान बंगाल तक पहुंचा दी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यकर्ताओं में भरा जोश (फोटो-PTI) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यकर्ताओं में भरा जोश (फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:12 AM IST
  • पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव
  • बीजेपी के लिए राजनीतिक हिंसा सबसे बड़ा मुद्दा
  • बिहार चुनाव जीत बीजेपी का मनोबल बंगाल पहुंचा

बिहार में जीत एनडीए की हुई है और उस एनडीए में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नंबर वन पार्टी बन गई है. उस जीत का जश्न पटना से दिल्ली तक मनाया गया. लेकिन उसी जश्न के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यकर्ताओं में बंगाल विजय का जोश भी भर दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने वो रणभेरी भर दी जिसका युद्ध अगले साल बंगाल में लड़ा जाना है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाम किसी का नहीं लिया, लेकिन बिहार में बीजेपी और एनडीए की जीत की झांकी दिखाते हुए कार्यकर्ताओं के लिए लक्ष्य की दिशा तय कर दी. प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार विजय पर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की जमकर तारीफ की. फिर उनके हौसले की उड़ान बंगाल तक पहुंचा दी.
 
जनता जनार्दन को अपने चुनावी रण का महारथी बनाकर प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल के चुनावी समर का बिगुल बजा दिया. पटना में जीत का जश्न अभी शुरू हुआ था कि प्रधानमंत्री मोदी ने 550 किलोमीटर दूर कोलकाता में जश्न के लिए जीत का टारगेट तय कर दिया. 

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. वहां दस साल से टीएमसी की ममता बनर्जी का राज है. ममता ने कम्युनिस्टों से सियासी जमीन खींचकर अपने लिए उस पर सत्ता की फूल पत्ती उगाई है, बीजेपी उसकी जगह अपना कमल खिलाना चाहती है.
 
उस वोट की फसल को सींचने के लिए क्या बंगाल में खून बहाया जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने नाम तो नहीं लिया लेकिन संदेश साफ आया कि बंगाल में बीजेपी के लिए राजनीतिक हिंसा सबसे बड़ा मुद्दा है.

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बंगाल के चुनाव को लेकर घमासान तेज है. बिहार चुनाव जीतकर बीजेपी का मनोबल कोलकाता तक पहुंच रहा है. दूसरी तरफ बंगाल में हिंसा का दौर जारी है जिसमें ताजा मामला अलीपुरद्वार में बंगाल बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष के काफिले पर हमला हुआ.
 

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एक हफ्ते पहले गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे से भी सियासी माहौल गरमाया, और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया लेकिन इसके सियासी संकेत बंगाल में सत्ता स्थापना के मनसूबों तक जाते हैं.

अगर अपने नेता पर हिंसक हमले से बीजेपी आक्रामक है तो जवाब में टीएमसी के नेता भी बाहें चढ़ा रहे हैं. बंगाल की मिट्टी से क्रांति और नवजागरण की फसल उगती है लेकिन दुर्भाग्य ये भी है कि चुनाव के वक्त वहां बेगुनाहों का खून भी बहता है. एक बार फिर बंगाल चुनाव के मुहाने पर खड़ा है और हिंसा की आहट तेज हो गई है. 

बीजेपी का लक्ष्य

बंगाल विधानसभा की 294 सीटों के लिए अगले साल चुनाव होंगे. इन चुनावों में बीजेपी ने 200 सीटें जीतकर ममता बनर्जी की सत्ता को उखाड़ फेंकने का लक्ष्य रखा है. बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने ममता बनर्जी को घेरने के लिए चक्रव्यूह रच दिया है.
 
अमित शाह का राजनीतिक संदेश बिल्कुल साफ है. इसी संदेश के साथ अमित शाह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में मिशन बंगाल का टारगेट फिक्स कर दिया. बीजेपी 2021 ने विधानसभा की 294 सीटों में से 200 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है. अमित  शाह के दावे को ममता बनर्जी भी इस बार गंभीरता से ले रही हैं. वजह ये है कि अमित शाह ने पिछली बार टारगेट फिक्स किया था और बीजेपी ने लगभग वैसी ही कामयाबी हासिल की थी. 2019 के लोकसभा चुनावों में अमित शाह ने बंगाल की 42 में से 22 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था. नतीजे आए तो बीजेपी ने 18 सीटों पर जीत हासिल की जबकि टीएमसी को 22 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं.

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बहरहाल, एक बार फिर बंगाल चुनावों की दहलीज पर खड़ा है. बीजेपी और टीएमसी के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में 2021 के विधानसभा चुनावों में भी बंगाल में खूनी खेल की आशंका है.

 

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