
राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी को सियासी मात देने के लिए विपक्ष ने साझा उम्मीदवार के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा पर दांव खेला है, लेकिन द्रौपदी मुर्मू के उतरने से विपक्ष का सारा खेल गड़बड़ा गया है. विपक्ष खेमे से एक-एक कर तमाम दल जिस तरह से एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन में उतर आए हैं, उससे वो इतिहासिक जीत के ओर बढ़ रही हैं. वहीं, यशवंत सिन्हा को करारी मात खानी पड़ सकती है?
बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए मतदाताओं के वोट की कुल वैल्यू 10,86,431 है. बीजेपी और उसके सहयोगियों के पास कुल वोट का करीब 48 फीसदी वोट है जबकि विपक्ष के पास 52 फीसदी वोट. बीजेपी गठबंधन के 5,35,000 वोट तो यूपीए के पास दो लाख 59 हजार 892 और अन्य विपक्षी दलों के पास 2 लाख 92 हजार 894 वोट हैं. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव में सत्तापक्ष एनडीए से ज्यादा विपक्षी दलों के पास वोट है. इसीलिए विपक्ष साझा उम्मीदवार के जरिए एनडीए को मात देने का सपना संजोय रखा था.
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष ने साझा उम्मीदवार के तौर पर यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया जबकि बीजेपी ने आदिवासी कार्ड खेलते हुए द्रौपदी मुर्मू को कैंडिडेट घोषित कर दिया. ऐसे में बीजेपी के सहयोगी दलों के साथ-साथ कई गैर-एनडीए दलों ने भी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन में उतर आए हैं, जिन्हें अभी तक यशवंत सिन्हा का सबसे बड़े समर्थक दल के तौर पर माना जाता था.
यूपी में द्रौपदी मुर्मू को विपक्ष एक और भी दल ने समर्थन का ऐलान कर दिया है. सपा के सहयोगी दल सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन करने की घोषणा की है. इससे पहले बीजेपी, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) के अलावा बसपा और राजा भैया की पार्टी ने मुर्मू को समर्थन का ऐलान कर चुके हैं. सपा और रालोद को छोड़कर सूबे के सभी दल मुर्मू के समर्थन में है. हालांकि, सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव भी एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने की बात कही है.
एनडीए की राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को बीजेपी और उसके सहयोगी जेडीयू, एलजेपी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ अठावले, एनपीपी, एनपीएफ, एमएनएफ, एनडीपीपी, एसकेएम, एजीपी, पीएमके, एआईएनआर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी, अपना दल (एस), एआईएडीएमके, निषाद पार्टी आईपीएफटी, यूपीपीएल का समर्थन हासिल है.
वहीं, विपक्ष के और से बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, टीडीपी, जनता दल (एस), शिरोमणि अकाली दल, जेएमएम, बसपा, यूडीपी और शिवसेना समर्थन दिया है. इन सभी दलों के वोटों को मिला दिया जाए तो बीजेपी प्रत्याशी के पास 6.50 लाख मूल्य से ज्यादा के वोट हो रहे हैं, जो कि जीतने के लिए जरूरी संख्या से काफी ज्यादा हैं. एनडीए प्रत्याशी मुर्मू के पास छोटी-बड़ी कुल 27 पार्टियों का समर्थन है. विपक्षी दलों ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का एक ही तर्क दे रहे हैं कि वो एक आदिवासी महिला हैं और पहली आदिवासी महिला को राष्ट्रपति के रूप में देखना अद्भुत होगा.
द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में जिस तरह से विपक्षी दलों खड़े हुए हैं, उसे देखते हुए 6.65 लाख मूल्य से ज्यादा के वोट मिलने की संभावना है. गैर-बीजेपी दलों के वोटों को देखें तो बीजेडी के करीब 32,000 वोट हैं, जो कुल मतों का करीब 2.9% है. ऐसे ही वाईएसआर-कांग्रेस के पास करीब 44,000 वोट, टीडीपी के पास करीब 6,500 वोट, शिवसेना के पास 25,000 वोट, जनता दल (एस) के पास करीब 5,600 वोट और जेएमएम के पास 7380 वोट है. ऐसे ही यूपी से विपक्षी दलों के वोटों के देखें तो राजभर की पार्टी के पास 1248 वोट हैं, लेकिन बसपा के पास 7908 वोट हैं. इसके अलावा राजा भैया की पार्टी के पास 416 वोट है.
वहीं, विपक्षी कैंडिडेट यशवंत सिन्हा का अब तक कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, सपा, सीपीआई (एम), आरएलडी, आरजेडी, आरएसपी, टीआरएस, डीएमके, नेशनल कांफ्रेंस, भाकपा, केरल कांग्रेस (एम) जैसे दल समर्थन कर रहे हैं. विपक्ष के प्रत्याशी के पास अभी तक 3 लाख 89 हजार मूल्य के वोट हैं. इस तरह से साफ जाहिर हो रहा है कि द्रौपदी मुर्मू ऐतिहासिक जीत की तरफ अग्रसर हैं. ऐसे में देखना है कि द्रौपदी मुर्मू कितने फीसदी वोट हासिल कर यशवंत सिन्हा को सियासी मात देती है?