Advertisement

सुनील जाखड़ पर पसोपेश, रवनीत बिट्टू का उभार... क्या पंजाब में नॉन-सिख चीफ वाले मोड से निकल रही BJP?

पंजाब में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से सुनील जाखड़ के इस्तीफे पर पसोपेश है. रवनीत बिट्टू के उभार के बाद अब बात इसे लेकर भी हो रही है कि क्या पंजाब में बीजेपी का फोकस शिफ्ट हो रहा है? क्या पार्टी सिख बहुल राज्य में नॉन सिख चीफ वाले मोड से निकल रही है? 

Sunil Jakhar, Ravneet Singh Bittu Sunil Jakhar, Ravneet Singh Bittu
बिकेश तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

पंजाब में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के इस्तीफे को लेकर पसोपेश है. सुनील जाखड़ के इस्तीफे की खबरों को नकारते हुए पंजाब बीजेपी के महासचिव अनिल सरीन ने इसे विपक्षी दलों की ओर फैलाई गई अफवाह बताया है. उन्होंने कहा है कि पंजाब में मजबूत होती बीजेपी से विरोधी परेशान हैं. हम सुनील जाखड़ की अगुवाई में ही काम कर रहे हैं. हालांकि, इसे लेकर सुनील जाखड़ की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. सुनील जाखड़ ने पार्टी की बैठकों से दूरी बना ली है.

Advertisement

पंजाब बीजेपी में वास्तव में चल क्या रहा है, ये तो सुनील जाखड़ और पार्टी का नेतृत्व ही जाने लेकिन बात रवनीत सिंह बिट्टू से लेकर सिख पॉलिटिक्स तक, कई चीजों को लेकर हो रही है. पहले रवनीत बिट्टू को लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद केंद्र में मंत्री बनाया जाना और अब सुनील जाखड़ के इस्तीफे की चर्चा, इसे पंजाब में हिंदू वोट पर फोकस कर चलती आई बीजेपी के 'फोकस शिफ्ट' का संकेत बताया जा रहा है. क्या बीजेपी पंजाब में गैर सिख चीफ वाले मोड से बाहर निकल रही है?

दरअसल, बीजेपी की पॉलिटिक्स का सेंटर पॉइंट मेजॉरिटी रहा है. ऐसा केवल धर्म के मामले में नहीं, वर्ग के मामले में भी है. पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा का ही उदाहरण ले लें तो पार्टी की रणनीति मेजॉरिटी कम्युनिटी ओबीसी के इर्द-गिर्द नजर आती है. हरियाणा में अनुमानों के मुताबिक करीब 35 फीसदी ओबीसी, करीब 25 से 27 फीसदी जाट और लगभग 21 फीसदी दलित आबादी है. इस प्रदेश में सरकार का चेहरा सीएम नायब सिंह सैनी ओबीसी ही हैं. लेकिन पंजाब में पार्टी की रणनीति गैर सिख वोटर्स पर फोकस की थी.

Advertisement

सिख बाहुल्य पंजाब में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ गैर सिख (हिंदू) हैं. पंजाब में मेजॉरिटी कम्युनिटी सिखों की आबादी 58 और हिंदू आबादी करीब 38 फीसदी है. बीजेपी नेतृत्व को सुनील जाखड़ के रूप में मजबूत चेहरा आगे करने और कैप्टन अमरिंदर जैसे दिग्गजों की वजह से एकमुश्त हिंदू वोट और सिख समाज से भी समर्थन की उम्मीद रही होगी लेकिन पंजाब चुनाव के बाद हालिया लोकसभा चुनाव में भी ऐसा हुआ नहीं.

पंजाब में जड़ें जमाने की कोशिश में जुटी बीजेपी ने पहले रवनीत को चुनाव हारने के बावजूद केंद्र में मंत्री बनाया और राहुल गांधी पर बयानों को लेकर हुए विवादों के दौरान भी बैक किया, अब प्रदेश अध्यक्ष पद से जाखड़ के इस्तीफे को लेकर बने माहौल को पार्टी के सिख पॉलिटिक्स पर शिफ्ट होने का संकेत बताया जा रहा है. इसके मायने क्या हैं, इसे चार पॉइंट्स में समझा जा सकता है.

1- मेजॉरिटी पॉलिटिक्स

बीजेपी पंजाब के पिछले चुनाव के समय से ही सिख समुदाय को अपने साथ लाने की कोशिश में जुटी है. गुरु गोविंद सिंह जी के बेटों की स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने का ऐलान हो या फिर कंगना की फिल्म इमरजेंसी की रिलीज पर रोक, सिख सियासत से जोड़कर ही देखे गए. बिट्टू को केंद्र में मंत्री बनाए जाने के बाद पंजाब में बीजेपी किसी सिख चेहरे को संगठन की कमान सौंप सकती है.

Advertisement

2- भविष्य की रणनीति

सुनील जाखड़ हों या कैप्टन अमरिंदर सिंह, दोनों ही बहुत वरिष्ठ नेता हैं. बीजेपी पंजाब में अब भविष्य के लिए लीडरशिप तैयार करने के प्लान पर काम कर रही है. सुनील जाखड़ की पार्टी नेतृत्व से नाराजगी की भी चर्चा है और इसके पीछे बिट्टू को मंत्री बनाया जाना वजह बताया जा रहा है. बिट्टू अगर वरिष्ठों को पछाड़ मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाने में सफल रहे तो उसके पीछे भी भविष्य की राजनीति पर पार्टी की नजर ही है.

यह भी पढ़ें: क्या पंजाब BJP चीफ सुनील जाखड़ ने पद से दिया इस्तीफा? पार्टी ने दिया ये रिएक्शन

3- बाहरी बनाम कैडर

प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ से लेकर केंद्रीय मंत्री बिट्टू तक, दोनों ही नेता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हुए नेता हैं. शिरोमणि अकाली दल के जूनियर पार्टनर के तौर पर ही सही, सूबे की सियासत में बीजेपी की मौजूदगी पुरानी है. पार्टी के साथ वर्षों पहले से जुड़े रहे नेता हैं, कैडर है. ऐसे में प्रदेश संगठन की कमान से लेकर मंत्री बनने के अवसर तक, बाहरियों के बाजी मार ले जाने को लेकर असंतोष की भी चर्चा है. पंजाब बीजेपी में बाहरी और कैडर को बैलेंस करने के लिए पार्टी अब प्रदेश संगठन की कमान पार्टी के किसी पुराने कद्दावर को सौंप सकती है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: पंजाब BJP चीफ ने की इस्तीफे की पेशकश, जानें क्यों पद छोड़ना चाहते हैं सुनील जाखड़

4- गैर जाट ट्रैक

सुनील जाखड़ जाट समाज से आते हैं और पंजाब की राजनीति के सबसे बड़े गैर सिख चेहरों में गिने जाते हैं. हरियाणा के चुनाव में जाट समाज की बीजेपी को लेकर नाराजगी की चर्चा के बीच जाखड़ के पार्टी की बैठकों से दूरी बनाने को दो तरह से देखा जा रहा है- पहला जाट समाज की नाराजगी और दूसरा बीजेपी का गैर जाट पॉलिटिक्स वाली राह पर आगे बढ़ जाने की रणनीति.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement