
कांग्रेस पार्टी 1 नवंबर से सदस्यता अभियान शुरू करने जा रही है. इसको लेकर मंगलवार को अहम मीटिंग भी हुई. लेकिन पुराने कुछ नियमों को लेकर मामला गर्म हो गया. इसमें राहुल गांधी ने मीटिंग में मौजूद कांग्रेसी नेताओं से पूछा कि यहां मौजूद कितने लोग शराब पीते हैं? मीटिंग में पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि उनके राज्य में तो अधिकांश लोग शराब पीते हैं.
दरअसल, कांग्रेस पार्टी संविधान के मुताबिक कांग्रेस का सदस्य बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को यह घोषणा करनी पड़ती है वह शराब और किसी भी तरह के नशे का सेवन नहीं करता और खादी पहनने का आदी है. ये नियम काफी पहले बनाए गए थे जिनका पालन अब बहुत मुश्किल है. राहुल गांधी ने भी मीटिंग में इस बात को माना. राहुल ने माना कि खादी अब काफी महंगी है, जिससे सबकी पहुंच से बाहर है. अब आने वाले दिनों में इन नियमों को हटाया भी जा सकता है.
महात्मा गांधी के वक्त बना था शराब वाला नियम
पार्टी के सीनियर नेता मानते हैं कि शराब वाला नियम महात्मा गांधी के वक्त आया था. महात्मा गांधी ने AICC अध्यक्ष के रूप में एक साल से भी कम वक्त तक काम किया. यह दिसंबर 1924 की बात है, जब उनको कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया. तब यंग इंडिया में गांधी ने लिखा था, 'आप इस तरह के तर्क से धोखा नहीं खाएंगे कि भारत को जबरन सौम्य नहीं बनाया जा सकता. इसलिए जिनको शराब पीनी है उनके लिए व्यवस्था की जाए. ध्यान रखना होगा कि हम चोरों को उनकी चोरी करने की प्रवृत्ति में शामिल होने की सुविधा प्रदान नहीं करते हैं. मैं शराब को चोरी और शायद वेश्यावृत्ति से भी अधिक हानिकारक मानता हूं. क्या यह अक्सर दोनों की वजह नहीं होता?'
वहीं महात्मा गांधी ने 'इंडिया केस फॉर स्वराज' में लिखा था, 'शराब शैतान का आविष्कार है. इस्लाम में यह कहा जाता है कि जब शैतान ने पुरुषों और महिलाओं को बहकाना शुरू किया तो उसने उनके सामने 'लाल पानी' लटका दिया. मैंने देखा है कि शराब ने ना केवल लोगों को आर्थिक रूप से बर्बाद किया बल्कि इसकी वजह से लोग कानूनी और गैर कानूनी का फर्क तक भूल गए.' फिर 1934 में हरिजन में भी गांधी ने शराब के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए थे.