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किसान आंदोलन को लेकर रिहाना के ट्वीट पर राहुल गांधी बोले- ये भारत का घरेलू मामला

प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा कि किसान हिन्दुस्तान की शक्ति है, उसे दबाना, धमकाना, मारना सरकार का काम नहीं है. सरकार का काम किसान से बात करके इस समस्या का समाधान करना है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)
आनंद पटेल
  • नई दिल्ली ,
  • 03 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 5:31 PM IST
  • राहुल गांधी ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
  • किसानों के मुद्दे पर केंद्र को घेरा
  • कहा- किसान पीछे हटने वाले नहीं

नए कृषि कानून के खिलाफ देश में किसानों का प्रदर्शन जारी है. इस बीच अब किसानों के समर्थन में पॉप स्टार रिहाना और ग्रेटा थनबर्ग समेत कई इंटरनेशनल सेलिब्रिटीज भी आ गए हैं. वहीं, पॉप स्टार रिहाना के ट्वीट पर राहुल गांधी ने कहा है कि ये भारत का घरेलू मामला है. सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए. 

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बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा कि किसान हिन्दुस्तान की शक्ति है, उसे दबाना, धमकाना, मारना सरकार का काम नहीं है. सरकार का काम किसान से बात करके इस समस्या का समाधान करना है. मैं किसानों को बहुत अच्छे से जानता हूं, ये पीछे हटने वाले नहीं हैं. सरकार को ही पीछे हटना होगा. फायदा इसी में हैं कानून वापस ले लिया जाए. 

राहुल गांधी ने कहा कि किसान परेशान हैं, फिर सरकार किलेबंदी क्यों कर रही है? आज दिल्ली किसानों से घिरी है. ये समस्या देश के लिए अच्छी नहीं है. इस मसले का समाधान निकलना चाहिए. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी से इंटरनेशनल सेलिब्रिटीज के दखल को लेकर भी सवाल किया गया, जिस पर उन्होंने कहा कि ये भारत का घरेलू मामला है. 

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दरअसल, पॉप स्टार रिहाना ने अपने ट्विटर पर किसान आंदोलन से जुड़ी खबर शेयर करते हुए लिखा था कि हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे? रिहाना ने हैशटैग #FarmersProtest के साथ यह ट्वीट किया था. वहीं, पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने कहा है कि हम भारत में किसानों के प्रदर्शन में एकजुटता से खड़े हैं. इनके ट्वीट्स पर विदेश मंत्रालय ने सख्त तेवर दिखाया और इसे गैर-जिम्मेदाराना हरकत ठहराया. 

इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने कहा, 'इस तरह के मामलों पर टिप्पणी करने से पहले हम आग्रह करते हैं कि तथ्यों का पता लगाया जाए और मुद्दों की उचित समझ की जाए. भारत की संसद ने पूर्ण बहस और चर्चा के बाद कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानून पारित किए.'

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