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2024 चुनाव: राहुल गांधी के सामने अवसर से ज्यादा चुनौतियां

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा पूरी कर ली है. पार्टी को भरोसा है कि इस यात्रा ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के पक्ष में एक रोडमैप तैयार कर दिया है. लेकिन अभी राहुल गांधी के सामने कई चुनौतिया हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (पीटीआई) कांग्रेस नेता राहुल गांधी (पीटीआई)
रशीद किदवई
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:40 AM IST

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हजारों किलोमीटर चल अपनी भारत जोड़ो यात्रा पूरी कर ली है. इस यात्रा में तमिलनाडु से लेकर जम्मू-कश्मीर तक हर अहम राज्य को कवर किया गया है. अब इस भारत जोड़ो यात्रा के बाद भी राहुल गांधी के सामने कई चुनौतियां हैं, ये चुनौतियां सिर्फ उनकी सियासी पारी पर असर नहीं डालने वाली हैं बल्कि देश की सबसे पुरानी पार्टी पर भी इसका असर दिखेगा. इस समय पीएम उम्मीदवारी, राजस्थान में जारी सियासी उथल-पुथल जैसे कई मुद्दे राहुल गांधी को भी परेशान कर सकते हैं.

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राहुल गांधी और पीएम दावेदारी

इस समय देखा जा रहा है कि राहुल गांधी के सामने चुनौतियां तो कई हैं, लेकिन सबसे अहम चैलेंज पार्टी के अंदर से ही आ रहा है. जब कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पंजाब पहुंची थी, कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने बिना पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का नाम लेते हुए बड़ा संदेश दिया था. मंच से उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी अब फिर प्रॉक्सी ना बने अगर उन्हें पीएम बनने का मौका मिल जाए. अब राहुल गांधी की तरफ से उस बयान का ज्यादा स्वागत तो नहीं किया गया लेकिन बिना बोले भी उनका संदेश पार्टी तक पहुंच गया. इसी पीएम उम्मीदवारी का दूसरा पहलू ये भी है कि विपक्ष के कई दूसरे बड़े चेहरे शायद न्यूट्रल रहना ज्यादा पसंद करें. दूसरे शब्दों में कहें तो वे शायद खुलकर राहुल गांधी की पीएम दावेदारी को स्वीकार ना करें. इस लिस्ट में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल जैसे कई नेता शामिल हैं. 

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इसके अलावा वर्तमान स्थिति में चुनावी सर्वे भी कांग्रेस और राहुल गांधी का ज्यादा उत्साह नहीं बढ़ाते हैं. हाल ही में आजतक ने जो मूड ऑफ द नेशन सर्वे किया था, उसमें पाया गया कि अगर आज चुनाव होंगे तो कांग्रेस को 68 सीटें मिलेंगी. अब अगर कांग्रेस या कह लीजिए राहुल गांधी को एक निर्णायक भूमिका में आना है, उसके लिए इस 68 से दोगुनी सीटें पार्टी को जीतनी होंगी, वहीं बीजेपी को भी 272 के जादुई आंकड़े से दूर रखना होगा. अभी के लिए भारत जोड़ो यात्रा ने इतना जरूर कर दिया है कांग्रेस के अंदर ही राहुल गांधी को लेकर विश्वास बढ़ा है. लेकिन फिर भी राहुल गांधी आगे से आकर जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं. 

राजस्थान का सियासी ड्रामा बना सिरदर्दी

अब कुछ चुनौतियां अगर राहुल गांधी के लिए खड़ी हैं तो कुछ ऐसी भी हैं जो राज्यों में चल रही कांग्रेस सरकार की वजह से हैं. असल में अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस हाईकमान को राजस्थान में जारी सियासी उथल पुथल से कोई फर्क भी पढ़ता है? असल में पार्टी ने अशोक गहलोत को 85वीं अधिवेशन के लिए ऑर्गनाइजिंग कमेटी का सदस्य बनवा दिया है. इस वजह से सचिन पायलट के पास ज्यादा अवसर नहीं बचते हैं. पायलट गुट को इस बात का भी दुख है कि हाईकमान एक बार ये बात स्पष्टता के साथ नहीं कह पाया है कि गहलोत ही चुनाव तक सीएम पद संभालने जा रहे हैं. 

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अब संगठन के अंदर लोकतांत्रिक तरीके से हर प्रक्रिया का पालन हो, ये सुनिश्चित करना भी राहुल गांधी के लिए चुनौती है. पार्टी में वे औपचारिक रूप से कोई पद लें, अभी स्पष्ट नहीं, लेकिन वे एक अहम भूमिका जरूर निभा सकते हैं. इसी कडी़ में सवाल उठता है कि क्या रायपुर अधिवेशन के दौरान CWC के चुनाव भी हो सकते हैं? जी23 गुट के नेता ये उम्मीद तो जरूर लगा रहे हैं कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे अपने वादे को पूरा करते हुए इस चुनाव को निष्पक्ष तरीके से करवाएंगे. 

नियम टूट रहे, लोकतंत्र है या नहीं?

अब चुनाव तो हो जाएंगे, लेकिन क्या नियमों का पालन पार्टी में हो रहा है? कांग्रेस में वन मैन वन पोस्ट का नियम सख्ती से लागू रहता है, लेकिन वर्तमान में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में भी मौजूद हैं जो वन मैन वो पोस्ट उल्लंघन है. इसी तरह लोकसभा में भी अधीर रंजन चौधरी के पास कई महीनों से नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं है, वहीं दूसरी तरफ वे बंगाल प्रदेश कमेटी के भी हेड हैं. ऐसे में यहां भी नियम टूट रहा है.
 

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