
कुश्ती पर सियासत गर्म है. भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद बृजभूषण शरण सिंह समर्थित संजय सिंह बबलू की जीत के बाद से पहलवानों ने मोर्चा खोल रखा है. साक्षी मलिक कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर चुकी हैं तो वहीं बजरंग पूनिया ने पद्मश्री सम्मान प्रधानमंत्री आवास के बाहर छोड़ दिया था. विनेश फोगाट ने भी अर्जुन अवार्ड और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न सम्मान छोड़नेा का ऐलान कर दिया है. पहलवानी पर जारी सियासत के बीच बुधवार की सुबह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हरियाणा के झज्जर पहुंच गए.
राहुल गांधी ने झज्जर के छारा गांव स्थित वीरेंद्र अखाड़ा पहुंचकर पहलवानों से मुलाकात की. दीपक पूनिया छारा गांव के ही हैं और उन्होंने इसी अखाड़े में बजरंग पूनिया के साथ पहलवानी के दांव-पेच सीखे हैं. बृजभूषणशरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के आंदोलन का प्रमुख चेहरा बजरंग पूनिया भी इस दौरान राहुल गांधी के साथ नजर आए. राहुल ने पहलवानों से बातचीत कर उनके करियर की कठिनाइयां जानीं और कुश्ती के दांव-पेच भी सीखे. कुश्ती के अखाड़े में सीखे गए दांव-पेच का सियासी अखाड़े में क्या काम है, ये बहस का विषय हो सकता है लेकिन सवाल ये भी है कि क्या राहुल गांधी पहलवानों से मिलने ऐसे ही झज्जर पहुंच गए?
राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की इस दौरे के पीछे मंशा चाहे जो भी हो लेकिन इसके राजनीतिक मायने भी तलाशे जा रहे हैं. राहुल गांधी का झज्जर के वीरेंद्र अखाड़ा पहुंचना, पहलवानों से मुलाकात करना, बजरंग पूनिया का उनके साथ नजर आना, इन सभी को कांग्रेस की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. अब राहुल के झज्जर दौरे के पीछे कांग्रेस की क्या रणनीति है?
एंटी जाट इमेज सेट न हो जाए, इसकी काट
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों से 146 सांसदों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था. इसके विरोध में विपक्षी सांसदों ने संसद के बाहर धरना-प्रदर्शन किया. सांसदों के इसी प्रदर्शन के दौरान उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री का एक वीडियो सामने आया था. इस वीडियो में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी उपराष्ट्रपति धनखड़ की मिमिक्री करते और राहुल गांधी इस मिमिक्री का वीडियो बनाते नजर आ रहे थे.
जगदीप धनखड़ ने इसे संवैधानिक पद, किसान और अपने समाज का अपमान बताया तो इसे लेकर बीजेपी ने भी मोर्चा खोल दिया. जाट खाप की ओर से पंचायतें बुलाई जाने लगी थीं. अब राहुल का पहलवानों से मिलने झज्जर जाना एहतियातन उठाए गए कदन के रूप में भी देखा जा रहा है कि जिस तरह का माहौल बना है, उसमें उनकी इमेज एंटी जाट न सेट हो जाए. यही वजह बताई जा रही है कि राहुल गांधी जाट पॉलिटिक्स की पिच मजबूत करने खुद उतर आए. कांग्रेस ने साक्षी मलिक को जाट की बेटी बताते हुए बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. दरअसल, हरियाणा की राजनीति में जाट मजबूत दखल रखते ही हैं. पश्चिमी यूपी, राजस्थान जैसे प्रदेशों में भी जाट प्रभावी हैं.
बृजभूषण को लेकर बैकफुट पर बीजेपी
बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. मामला महिलाओं से जुड़ा है और ऐसा कहा जाता है कि महिलाएं बीजेपी का साइलेंट वोट बैंक है इसलिए बीजेपी बैकफुट पर है. बृजभूषण समर्थित संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया था. वहीं, बृजभूषण का एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें वह साधु-संतों की मौजूदगी में 'दबदबा तो है... दबदबा तो रहेगा... यह सब भगवान का दिया हुआ है' नारे लगवाते नजर आए थे.
खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को निलंबित कर दिया है लेकिन विपक्ष को इसके बाद खेल मंत्रालय की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को निलंबित कर दिया था. कांग्रेस की रणनीति अब महिला पहलवानों के मामले को बेस बनाकर बीजेपी के इस साइलेंट वोट बैंक में सेंध लगाने की है. प्रियंका गांधी की साक्षी मलिक से मुलाकात और अब राहुल गांधी के अखाड़े पहुंचकर पहलवानों से मिलने को इसी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है.
लोकसभा और हरियाणा के चुनाव
लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही समय बाकी है. लोकसभा चुनाव के कुछ ही महीने बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव भी होने हैं. इसलिए भी कांग्रेस पहलवानों के मुद्दे पर अधिक मुखर हो गई है. कहा तो यह भी जा रहा है कि जाट पॉलिटिक्स तो है ही, कांग्रेस की रणनीति जाति-वर्ग से ऊपर उठकर खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों के बीच पैठ बनाने की है.
हरियाणा की सियासत में जाट प्रभावी हैं ही, खिलाड़ी और खेलों से जुड़े लोग भी जीत-हार तय करने में निर्णायक रोल निभाते हैं. एक दूसरा पहलू यह भी है कि गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में हरियाणा का दौरा किया था. बीजेपी जमीन पर एक्टिव हो गई है जबकि कांग्रेस अभी संगठन तक खड़ा नहीं कर पाई है. ऐसे में कांग्रेस की गंभीरता और सक्रियता को लेकर भी सवाल उठ रहे थे.
कॉमन मैन की इमेज सेट करने की रणनीति
बीजेपी के नेता राहुल गांधी को चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुआ नेता बताते हुए निशाने पर लेते रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस की रणनीति राहुल की इमेज कॉमन मैन की इमेज सेट करने की रही है. झज्जर दौरा भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. राहुल गांधी का ट्रक में सफर करना हो, सब्जी मंडी पहुंच जाना हो, छात्रों के बीच पहुंच जाना हो या तेलंगाना चुनाव के दौरान स्वच्छताकर्मियों, ऑटो ड्राइवर्स और डिलीवरी बॉय से संवाद करना और अब झज्जर के अखाड़े में पहुंच जाना.
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने इसे कॉमन मैन की इमेज सेट करने की रणनीति का अंग बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संबोधनों में, मन की बात जैसे कार्यक्रमों में जनता से जुड़ी छोटी-छोटी बातों का जिक्र करते हैं. यह बात पीएम से जनता को कनेक्ट करती है लेकिन पिछले कुछ समय में बीजेपी नेताओं ने ही उनकी इमेज सुपरमैन की बना दी है. अब कांग्रेस की कोशिश राहुल की नई इमेज सेट करने की है जिससे चुनावी लड़ाई को सुपरमैन बनाम कॉमन मैन की शक्ल दी जा सके. कांग्रेस की कोशिश भारत जोड़ो यात्रा के मोमेंटम को आगे ले जाने की है.
हरियाणा से खेल और खिलाड़ियों पर नजर
राहुल गांधी का यह दौरा था तो हरियाणा का लेकिन इसके संदेश बहुत व्यापक हैं. राहुल गांधी के एक दौरे से कांग्रेस ने खेल और खिलाड़ियों के साथ ही गांवों की, उत्तर भारत की सियासत साधने की भी कोशिश की है. कुश्ती एक परंपरागत खेल है जो उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय है. इस खेल की पहुंच गांव-गांव तक है. उत्तर भारत के राज्यों में कांग्रेस खोई जमीन वापस पाने की कोशिशों में जुटी है. अब राहुल गांधी ने अखाड़े में पहुंच पहलवानों से उनके करियर की समस्याओं को लेकर जानकारी ली ही, कुश्ती के दांव-पेच भी सीखे. अब सियासी अखाड़े में यह कितने काम आते हैं, ये वक्त बताएगा.