
राज्यसभा के आठ सांसदों को निलंबित करने का मामला तूल पकड़ चुका है. कांग्रेस अब राज्यसभा के बाद लोकसभा का बहिष्कार कर सकती है. थोड़ी देर में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक होगी, जिसमें लोकसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया जा सकता है. इससे पहले कांग्रेस ने राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने का ऐलान किया था.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी अजाद ने कहा था कि जब तक हमारी तीन मांगें पूरी नहीं होतीं, विपक्ष सत्र का बहिष्कार जारी रखेगा. हम आठ सांसदों के निलंबन को रद्द करने, एक अन्य विधेयक लाने जिसके तहत कोई भी निजी कंपनी एमएसपी से नीचे कृषि उपज नहीं खरीद सके और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग करते हैं.
गुलाम नबी आजाद ने कहा था, 'कोई भी इस सदन में हुई घटनाओं से खुश नहीं है. जनता चाहती है कि उनके नेताओं को सुना जाए. कोई भी उनके विचारों को महज कुछ मिनटों में सामने नहीं ला सकता है. सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने सत्र के बहिष्कार के सात कारण बताए और आरोप लगाया कि सरकार विधेयकों को 'बुलडोजिंग' कर रही है.
इस बीच राज्यसभा के आठ निलंबित सदस्यों ने विपक्षी नेताओं के एक अनुरोध के बाद मंगलवार को अपना धरना समाप्त कर दिया. उन्होंने विपक्षी नेताओं के अनुरोध पर ऐसा किया जिन्होंने इन सांसदों से मानसून सत्र के बहिष्कार में शामिल होने का भी आग्रह किया. आंदोलनकारी सांसदों ने कहा कि यह उनके निलंबन को रद्द करने के बारे में नहीं था, बल्कि किसानों के प्रति कठोर कृषि विधेयकों को वापस लेने के बारे में था.
कांग्रेस के निलंबित सांसदों में से एक सैयद नासिर हुसैन ने कहा, 'हमने अपना विरोध खत्म कर दिया है, लेकिन सत्र के बहिष्कार में शामिल होंगे. उनके पार्टी के सहयोगी राजीव सातव, जिन्हें भी निलंबित कर दिया गया था, ने कहा कि उनका विरोध संसद से सड़कों पर होगा.