
संसद का शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session 2022) आज बुधवार से शुरू हो गया. यह राज्यसभा का 258वां सत्र है. सभापति के तौर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) पहली बार उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे हैं. इस मौके पर, राज्यसभा के सदस्यों ने सभापति का अभिनंदन किया.
सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया. उन्होंने कहा- 'आज आप संसद के उच्च सदन के मुखिया के रूप में अपनी नई जिम्मेदारी का औपचारिक आरंभ कर रहे हैं. आज पहली बार महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के रूप में देश की गौरवशाली आदिवासी विरासत हमारा मार्ग दर्शन कर रही है. इससे पहले भी रामनाथ कोविंद ऐसे ही वंचित समाज से निकलकर देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे थे. और अब एक किसान के बेटे के रूप में आप भी करोड़ों देशवासियों की, गांव गरीब और किसान की ऊर्जा का प्रतिनधित्व कर रहे हैं.'
उपराष्ट्रपति में 'किसान और जवान' दोनों समाहित हैं
प्रधानमंत्री मोदी ने उपराष्ट्रपति के संघर्षों का जिक्र किया और कहा कि सिद्धि साधनों से नहीं, साधना से मिलती है. उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति के पास सीनियर एडवोकेट के तौर पर तीन दशक से ज्यादा का अनुभव है. उन्होंने उपराष्ट्रपति को यकीन दिलाया कि सदन में उन्हें कोर्ट की कमी महसूस नहीं होगी. उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति में 'किसान और जवान' दोनों समाहित हैं. अंत में उन्होंने देश और सदन की तरफ से उपराष्ट्रपति को शुभकामनाएं दीं.
उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने भी सभापति जगदीप धनकड़ का स्वागत किया. उन्होंने कहा- 'आपके अच्छे अनुभव सदन के बहुत काम आएंगे. उन्होंने सभापति के सौम्य स्वाभाव और व्यवहार कुशलता पर कहा कि ये 'सोने पे सुहागा' वाली बात है.
इसके बाद, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सभापति का स्वागत किया. उन्होंने कहा- 'उच्च सदन के संरक्षक के रूप में आपकी भूमिका बाकी भूमिकाओं से बहुत बड़ी है.' उन्होंने उन्हें भूमिपुत्र कहा. उन्होंने आगे कहा- 'पंडित नेहरू ने कभी राज्यसभा के अधिकारों को कम नहीं होने दिया. उन्होंने 1953 में बजट सत्र को दौरान साफ कहा था कि लोकसभा और राज्यसभा साथ मिलकर भारत की संसद बनाते हैं. हमारे संविधान के अनुसार दोनों सदनों की ऑथॉरिटी के बीच, मनी बिल्स को छोड़कर कोई अंतर नहीं है.'
उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष के लोग संख्या बल में भले ही कम हों, लेकिन उनके अनुभवों में ताकत होती है. लेकिन समस्या यह है कि इनकी जगह नंबरों की गिनती होती है, विचारों के बारे में नहीं सोचा जाता. उन्होंने कहा कि विपक्ष की तरफ से हम यही कहना चाहते हैं कि हम आपको अपनी तरफ से पूरा-पूरा सहयोग देंगे. उन्होंने अपनी बात एक शेर पढ़कर खत्म की. उन्हों कहा- 'मेरे बारे में कोई राय मत बनाना ग़ालिब, मेरा वक्त भी बदलेगा, मेरी राय भी बदलेगी'