
एक तरफ देश में कोरोना वायरस चल रहा है तो दूसरी तरफ दिल्ली के बॉर्डर पर किसान पिछले छः महीने से धरनारत है. न सरकार पीछे हटने को तैयार है न किसान पीछे हटते नजर आ रहे हैं. किसान नेता राकेश टिकैत ने भी दोहराया है कि जब तक तीनों कृषि क़ानून वापस नहीं होते वे दिल्ली बॉर्डर से नहीं हटेंगे और न वापस घर जाएंगे.
ट्विटर पर लिखते हुए राकेश टिकैत ने कहा है ''किसान दिल्ली की सीमाओं को छोड़ने वाला नहीं है, किसान एक ही शर्त पर लौट सकता है, तीनों कानून रद्द कर दो और एमएसपी पर कानून बना दो..''
किसान दिल्ली की सीमाओं को छोड़ने वाला नहीं है, किसान एक ही शर्त पर लौट सकता है, तीनों कानून रद्द कर दो और एमएसपी पर कानून बना दो..।
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) May 30, 2021इसके अलावा एक दूसरे ट्वीट में राकेश टिकैत ने कहा है ''इस आंदोलन में पूरे देश के किसान एकजुट हैं, दवाओं की तरह अनाज की कालाबाज़ारी नहीं होने देंगे.''
राकेश टिकैत ने सरकार को भी आगाह किया है कि अगर किसानों पर पर कार्रवाई की गई तो वे आंदोलन को और अधिक तेज कर देंगे. राकेश टिकैत ने कहा है ''देशभर में आंदोलित किसानों पर, कहीं भी किसी भी किसान पर, मुकदमे दर्ज किए गए तो आंदोलन को देशव्यापी धार दी जाएगी ''
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इससे पहले भी राकेश टिकैत ने कृषि कानूनों को हटाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा था कि ''आन्दोलन जब तक भी करना पड़े, आंदोलन के लिए तैयार रहना है, इस आंदोलन को भी अपनी फसल की तरह सींचना है, समय लगेगा. बिना हिंसा का सहारा लिए लड़ते रहना है.''
कल राकेश टिकैत ने कहा था कि रोटी तिजोरी की वस्तु न बने, इसलिए किसान छह माह से सड़कों पर पड़ा है, भूख का व्यापार हम नहीं करने देंगे और आंदोलन की वजह भी यही है. आंदोलन लंबा चलेगा, कोरोना काल में कानून बन सकते हैं तो रद्द क्यों नहीं हो सकतें.''
वहीं दूसरी तरफ सरकार कोशिश कर रही है कि किसान दिल्ली बॉर्डर से वापस चले जाएं, मगर सरकार कृषि कानूनों पर वापस होती नजर नहीं आ रही. जिस कारण ये कहना मुश्किल है कि आने वाले दिनों में किसान आंदोलन किस दिशा में जाएगा.