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'भारत में मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं, छोड़ना होगा महानता का भाव', मोहन भागवत की सलाह

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत में मुसलमानों को डरने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन उन्हें श्रेष्ठता बोध का नैरेटिव छोड़ देना चाहिए. मोहन भागवत ने कहा कि हम कभी नहीं कहते हैं कि सिर्फ हमारा सत्य ही सत्य है और तुम्हारा मिथ्या. आप अपनी जगह पर अच्छे हो, हम अपनी जगह पर अच्छे हैं. इसके लिए लड़ाई क्यों, चलिए साथ आगे बढ़ें-यही हिन्दुत्व है.

संघ प्रमुख मोहन भागवत (फोटो- पीटीआई) संघ प्रमुख मोहन भागवत (फोटो- पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:50 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारत के मुसलमानों को लेकर एक बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि भारत में मुस्लिमों को डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है लेकिन उन्हें अपनी श्रेष्ठता को लेकर बड़बोले बयानबाजी निश्चित ही छोड़ देनी चाहिए. 

संघ प्रमुख ने आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर और पांचजन्य को दिए एक इंटरव्यू में विस्तार से अपनी बात रखी. मोहन भागवत ने कहा कि यह सरल सत्य है कि हिन्दुस्तान को हिन्दुस्तान ही रहना चाहिए. आज भारत में रह रहे मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है. इस्लाम को कोई भय नहीं है. लेकिन साथ साथ मुसलमान अपनी श्रेष्ठता से जुड़े बड़बोले बयानों को छोड़ दें. 

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मुस्लिमों को ये नैरेटिव को छोड़ना चाहिए

मोहन भागवत ने मुस्लिमों को लेकर कहा, "हम एक महान नस्ल के हैं, हमने एक बार इस देश पर शासन किया था, और इस पर फिर से शासन करेंगे, सिर्फ हमारा रास्ता सही है, बाकी सब गलत हैं. हम अलग हैं, इसलिए हम ऐसे ही रहेंगे, हम साथ नहीं रह सकते, मुस्लिमों को,  इस नैरेटिव को छोड़ देना चाहिए. वास्तव में, यहां रहने वाले सभी लोग - चाहे हिंदू हों या कम्युनिस्ट - इस तर्क को छोड़ देना चाहिए." 

संघ प्रमुख ने कहा कि दुनिया भर के हिन्दुओं में एक तरह की आक्रमकता (aggression) दिख रही है, क्योंकि 1000 साल तक युद्धरत रहे इस समाज में एक जागृति आई है. उन्होंने कहा, "आप देखते होंगे कि हिन्दू समाज 1000 सालों तक युद्ध की मुद्रा में रहा. ये लड़ाई विदेशी कब्जे, विदेशी प्रभाव और विदेशी षडयंत्र के खिलाफ चलती रही. संघ ने इसे समर्थन दिया है. दूसरे लोगों का भी इसे सपोर्ट मिला है. 

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मोहन भागवत ने कहा कि कई लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. और इन्हीं वजहों से हिन्दू समाज जागृत हुआ है, जो लंबे समय तक युद्धरत रहे उनके लिए आक्रामक होना स्वभाविक है. 

हिन्दू भावना को भुलाया गया तो भारत बंटता गया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख ने कहा कि इतिहास की गणना जब से रखनी शुरू की गई तभी से भारत अखंड रहा है, लेकिन जब भी हिन्दू भावना को भुलाया गया तो भारत बंटता गया. उन्होंने कहा, "हिंदू हमारी पहचान है, हमारी राष्ट्रीयता है, हमारी सभ्यता की विशेषता है - एक ऐसा गुण जो सभी को अपना मानता है, सभी को अपने साथ लेकर चलता है. हम कभी नहीं कहते हैं कि सिर्फ हमारा सत्य ही सत्य है और तुम्हारा मिथ्या. आप अपनी जगह पर अच्छे हो, हम अपनी जगह पर अच्छे हैं. इसके लिए लड़ाई क्यों, चलिए साथ आगे बढ़ें-यही हिन्दु्त्व है." 

पहले अपमान की दृष्टि से देखा जाता था

मोहन भागवत ने कहा कि संघ को पहले अपमान की दृष्टि से देखा जाता था, लेकिन अब वो दिन समाप्त हो गया है. मोहन भागवत ने कहा कि हमने अपने रास्ते में पहले जिन कांटों का सामना करना पड़ा था, उन कांटों ने अब अपना चरित्र बदल लिया है. अतीत में हमें विरोध और तिरस्कार के कांटों का सामना करना पड़ा. जिनसे हम बच सकते थे. और कई बार हमने उनसे परहेज भी किया है. लेकिन हमें मिली नई स्वीकृति ने हमें संसाधन, सुविधा और प्रचुरता प्रदान की है.

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LGBT ग्रुप का समर्थन

मोहन भागवत इस इंटरव्यू में LGBT ग्रुप के समर्थन में भी बोले. उन्होंने कहा कि उनका भी अपना निजी स्पेस होना चाहिए और संघ इस विचार को आगे बढ़ाएगी. 

LGBT ग्रुप के अधिकारों की पैरवी करते हुए उन्होंने कहा, "ऐसे झुकाव वाले लोग हमेशा से रहे हैं, जब से मनुष्य का अस्तित्व रहा है. यह जैविक है, जीवन का एक तरीका है. हम चाहते हैं कि उनका अपना निजी स्पेस हो और यह महसूस हो कि वे भी समाज का एक हिस्सा हैं. यह तो इतना सरल मामला है. हमें इस दृष्टिकोण को बढ़ावा देना होगा क्योंकि इसे हल करने के अन्य सभी तरीके कामयाब साबित नहीं होंगे."

 

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