Advertisement

'सनातन को किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं', मोहन भागवत का उत्तराखंड के हरिद्वार में बड़ा बयान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चीफ मोहन भागवत ने कहा है कि सनातन धर्म को किसी भी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. बाकी सब बदल जाता है, लेकिन सनातन कभी नहीं बदलता. उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि सनातन समय की कसौटी पर खरा साबित हुआ है.

मोहन भागवत (फाइल फोटो) मोहन भागवत (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • हरिद्वार,
  • 29 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 11:20 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने उत्तराखंड के हरिद्वार में कहा है कि सनातन धर्म को किसी को किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. 

सनातन समय की कसौटी पर खरा साबित हुआ है. बाकी सब बदल जाता है. यह पहले भी शुरू हुआ था, आज भी है और कल भी रहेगा. हमें अपने आचरण से लोगों को 'सनातन' समझाना होगा.

Advertisement

इससे पहले उन्होंने जनवरी की शुरुआत में नागपुर में कहा था कि हमें अपने धर्म पर दृढ़ रहना चाहिए, भले ही इसके लिए हमें मरना ही क्यों ना पड़े. उन्होंने कहा था कि सनातक धर्म ही हिंदू राष्ट्र है. जब जब हिंदू राष्ट्र की उन्नति होती है, वो धर्म के उन्नति के लिए होती है. अब भगवान की इच्छा है कि सनातन धर्म का उत्थान हो. ऐसे में हिंदुस्तान का उत्थान निश्चित है.

संघ प्रमुख नागपुर में 'धर्मभास्कर' पुरस्कार कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा था कि विश्व के सार को धारण करने वाला भारत सदा अमर और अपराजित रहा है. धर्म इस देश का सत्व (प्रकृति) है, सार है. सनातन धर्म, हिंदू राष्ट्र है जब भी हिंदू राष्ट्र का उत्थान होता है तो वह देश के लिए होता है. धर्म का दायरा बहुत बड़ा है जिसके बिना जीवन नहीं चल सकता.

Advertisement

उन्होंने कहा था कि अनुकूल परिस्थितियों में सब ठीक रहता है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में हम संतों को याद करते हैं. मोहन भागवत ने कहा था कि अंग्रेजों ने भारत के 'सत्व' को दूर करने के लिए एक नई शिक्षा प्रणाली शुरू की और देश गरीब हो गया.

धर्म इस देश का सत्व है और सनातन धर्म हिंदू राष्ट्र है. हिंदू राष्ट्र जब-जब उन्नति करता है, उस धर्म के लिए ही प्रगति करता है और अब यह ईश्वर की इच्छा है कि सनातन धर्म का उदय हो और इसलिए हिंदुस्तान का उत्थान निश्चित है.

भागवत ने कहा था कि धर्म केवल एक पंथ, संप्रदाय या पूजा का एक रूप नहीं है. धर्म के मूल्य, यानी सत्य, करुणा, शुद्धता और तपस्या समान रूप से महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा था कि कई आक्रमणों के बावजूद भारत दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक बना हुआ है, क्योंकि यहां के लोगों ने 'धर्म के सत्व' को बनाए रखा है.

भागवत ने दावा किया था कि भारत 1,600 वर्षों तक आर्थिक रूप से नंबर एक पर था और बाद में भी इसे पहले पांच देशों में स्थान मिला. लेकिन 1860 में एक आक्रमणकारी (ब्रिटिश) ने 'सत्व' के महत्व को समझा और उस 'सत्व' को नष्ट करने के लिए एक नई शिक्षा प्रणाली की शुरुआत की.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement