
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चित्रकूट में चल रही पांच दिवसीय बैठक मंगलवार को समाप्त हो गई. इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए. यहां आरएसएस उस मास्टर प्लान का खाका तैयार करने में जुटा रहा, जिसके आधार पर बीजेपी और केंद्र सरकार को आगे बढ़ना है. साथ ही संघ ने मुस्लिम समुदाय को जोड़ने पर जोर दिया है.
चित्रकूट शिविर में कोरोनाकाल में आरएसएस के बंद पड़े कार्यक्रमों के साथ संघ की शाखाओं को फिर से शुरू करने का ऐलान किया गया है. यही नहीं, अब संघ के कार्यकर्ता गांव-गांव तक पहुचेंगे. सूत्रों की मानें तो संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुओं के साथ मुस्लिमों को आरएसएस से जोड़ने पर जोर दिया है. इसके लिए मुस्लिम बस्तियों में शाखाएं खोलने पर चर्चा हुई.
12.70 करोड़ परिवारों से जुड़ेगा संघ
बता दें कि संघ देश के करीब 12.70 करोड़ परिवारों से भी जुड़ेगा, जिन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण में आर्थिक योगदान दिया है. आरएसएस का मानना है कि जो परिवार या व्यक्ति राम मंदिर निर्माण के लिए एक रुपये का भी योगदान देता है, वह किसी न किसी रूप में हिंदुत्व की विचारधारा से प्रभावित होता है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि संघ इन परिवारों और लोगों के बीच अपने वैचारिक विस्तार की संभावनाओं को देख रहा है. इसके साथ ही संघ जल्द ही अभियान चलाकर इन परिवारों से संपर्क कर उन्हें किसी न किसी तरह से जोड़ने का प्रयास करेगा. चित्रकूट बैठक में इसकी रूपरेखा तैयार की गई है.
वहीं, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से मुलाकात कर अहम मुद्दों पर उनके सुझाव लिए. सूत्रों के अनुसार तुलसी पीठ के संस्थापक रामभद्राचार्य ने संघ प्रमुख को गुरुमंत्र के रूप में 7 अंक दिए, इनमें धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून भी शामिल हैं.
आरएसएस के चित्रकूट चिंतन शिविर में संघ ने सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ाने पर भी जोर दिया है. इसके लिए संस्था आईटी सेल की स्थापना करेगी जिसमें आईआईटी पासआउट युवाओं को मौका मिलेगा. मंगलवार को अखिल भारतीय संगठन के विभिन्न संबद्ध संगठनों के सचिव ने वर्चुअल तौर पर जुड़कर बैठक में भाग लिया.
संघ ने पश्चिम बंगाल को तीन भागों में विभाजित करने का निर्णय लिया अब से दक्षिण बंगाल का मुख्यालय कोलकाता होगा, मध्य बंगाल का मुख्यालय वर्धमान होगा और उत्तर बंगाल का मुख्यालय सिलीगुड़ी होगा. चिंतन शिविर में जिम्मेदारियों में भी कई बदलाव किए गए हैं.