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सीट शेयरिंग का पेच, PM फेस कौन, कैंपेनिंग प्लान... 2024 की लड़ाई में 'INDIA' के सामने ये हैं चुनौतियां

2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी मोर्चा एकजुट हो गया है. बेंगलुरु में दो दिन तक विपक्ष की बैठक चली. इसमें 26 दलों के नेताओं ने आम सहमति पर पहुंचने के लिए कई दौर की बैठक की. लंबे वक्त तक विचार-विमर्श किया गया. इस बैठक में गठबंधन के नाम से लेकर भविष्य की रणनीति और मुद्दों की रूपरेखा तक पर चर्चा हुई. बैठक में सीट बंटवारे और पीएम फेस समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया.

बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और राहुल गांधी और हेमंत सोरेन भी उपस्थित रहे. (फोटो- PTI) बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और राहुल गांधी और हेमंत सोरेन भी उपस्थित रहे. (फोटो- PTI)
उदित नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST

2024 की लड़ाई का बिगुल बज गया है. आगामी लोकसभा चुनाव में सीधे तौर NDA बनाम I.N.D.I.A के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा. विपक्षी एकता धीरे-धीरे, मगर सधे हुए कदमों के साथ आगे बढ़ रही है. पटना और फिर बेंगलुरु की बैठक के बाद भी कई मसलों पर रायशुमारी नहीं हो सकी है, लेकिन चुनौतियों से निपटने की तैयारी शुरू कर दी गई है. यही वजह है कि उम्मीद के मुताबिक अब तक ना तो सीट शेयरिंग का फॉर्मूला निकाला जा सका. ना पीएम फेस पर सहमति. चुनावी कैंपेन पर भी चर्चा नहीं हो पाई है. हालांकि, विपक्ष ने जो 11 सदस्यीय पैनल गठित करने का ऐलान किया है, वो इन सारे सवालों के जवाब तलाशेगा और सहमति के लिए फॉर्मूला निकालेगा.

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दरअसल, विपक्ष का प्लान है कि वो प्रत्येक सीट पर अपना संयुक्त उम्मीदवार उतारे. विपक्ष की तरफ से एक उम्मीदवार होने से वोट नहीं बंट सकेंगे और एनडीए के कैंडिडेट को हराने में आसानी हो सकेगी. हालांकि, ये इतना आसान नहीं है. 2014 और 2019 के ट्रैक रिकॉर्ड के मुताबिक एनडीए ने कई सीटों पर 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल किए हैं और जीत दर्ज की है. वहीं, विपक्ष का कहना है कि हर चुनाव अलग होता है. मुद्दे से लेकर तमाम फैक्टर हार और जीत तय करते हैं.

एक ही कैंडिडेट उतारे जाने पर विचार

फिलहाल, 543 लोकसभा सीटों में अधिकांश सीटों पर NDA और I.N.D.I.A के बीच मुकाबला होगा. विपक्षी एकजुटता के फॉर्मूले के तहत लोकसभा की 543 सीटों में से 450 सीटों पर एडीए के खिलाफ एक ही कैंडिडेट उतारे जाने पर विचार किया जा रहा है. अगर यह संभव हो पाया तो इन सीटों पर सीधे तौर पर आमने-सामने की टक्कर होगी. माना जा रहा है कि सीट बंटवारे के लिए पिछले दो आम चुनाव के रिजल्ट और वोट प्रतिशत के हिसाब से कैंडिडेट को वरीयता दी जा सकती है. यूपी, बिहार, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में क्षेत्रीय दल खुद टिकट वितरण की जिम्मेदारी संभालने पर जोर लगा रहे हैं.. 

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बेंगलुरु की बैठक में सोनिया गांधी ने संभाला मोर्चा

बेंगलुरु की बैठक में विपक्षी एकता को एक बड़ी लीड भी मिली है. 23 जून को पटना महाजुटान में 15 दलों के 24 नेता पहुंचे थे. ये बैठक नीतीश कुमार की अगुवाई में बुलाई गई थी. जबकि 18 जुलाई को बेंगलुरु की बैठक में 26 दलों के नेता दो दिन तक मीटिंग का हिस्सा रहे. इस बैठक के लिए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने खुद मोर्चा संभाला था. उन्होंने कई नेताओं को कॉल किया और बैठक में शामिल होने के लिए अपील भी की. ममता बनर्जी को भी सोनिया ने फोन किया था.

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20 साल पुराना गठबंधन यूपीए खत्म

विपक्ष की बैठक में यूपीए की जगह नए गठबंधन का ऐलान किया गया है. नए गठबंधन का नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव एलायंस (I.N.D.I.A) दिया गया है. 2004 में बनाए गए यूपीए को खत्म कर दिया गया है. इस गठबंधन की चेयरपर्सन सोनिया गांधी रही हैं. यानी यूपीए के बाद अब विपक्षी मोर्चा I.N.D.I.A ही सत्तारूढ़ बीजेपी से लड़ेगा. बेंगलुरु की बैठक में कांग्रेस ने साफ कहा कि उसे सत्ता या प्रधानमंत्री पद पर कोई दिलचस्पी नहीं है. ये बात पहले ही बता चुके हैं. अपने लिए सत्ता हासिल करने का भी इरादा नहीं है. यह बैठक हमारे संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए है.

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11 सदस्यीय पैनल तय करेगा पीएम फेस

हालांकि, विपक्षी मोर्चे का नाम तो तय हो गया है. लेकिन, काम कैसे करेगा, ये तय होना बाकी है. इसके लिए 2024 के चुनाव के लिए लीडरशिप यानी पीएम फेस, कैंपेनिंग प्लान और सीट बंटवारे का फैसला करने के लिए 11 सदस्यीय पैनल का गठन किया जाएगा. इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- सभी दलों के साथ समन्वय किया जाएगा. इसके लिए 11 सदस्यों की एक कमेटी गठित होगी. मुंबई में विपक्ष की अगली बैठक होगी. इसकी तारीख अभी फाइनल नहीं हुई है.

पैनल पर सीट शेयरिंग के फॉर्मूले की जिम्मेदारी

मुंबई की बैठक में इस पैनल के लिए एक संयोजक का चयन किया जाएगा. गठबंधन के चुनावी अभियान के लिए दिल्ली में एक कार्यालय खोला जाएगा. यहीं से सारी व्यवस्थाएं और रणनीतियों को फाइनल किया जाएगा. विपक्ष में समन्वय बनाए रखने को अलग-अलग मुद्दों के लिए विशिष्ट कमेटियां भी बनाई जाएंगी. खड़गे ने कहा- मुंबई बैठक की तारीख की घोषणा जल्द होगी. जानकारों का कहना है कि विपक्ष आर्थिक विकास और समावेशिता के मुद्दे पर आगे बढ़ रहा है. अगले साल होने वाले आम चुनाव में बीजेपी से लड़ने के लिए हर मोर्चे पर तैयारी कर रहा है.

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कांग्रेस और राहुल का भी रहेगा अहम रोल

कांग्रेस ने बेंगलुरु की बैठक में भले सत्ता हासिल करने के लिए लड़ाई नहीं लड़ने का दावा किया है लेकिन, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस और राहुल गांधी का विपक्षी मोर्चेबंदी में अहम रोल नहीं होगा. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी भविष्य की रणनीति फाइनल करेंगे. जैसे- गठबंधन कैसे एनडीए से मुकाबला करेगा और उसका प्लान क्या होगा... गठबंधन आगे कैसे बढ़ेगा, मुद्दे क्या हो सकते हैं और अलग-अलग राज्यों में गठबंधन और उम्मीदवार तय करने का फॉर्मूला क्या रहेगा... इन सारे सवालों के जवाब राहुल गांधी भी कमेटी तक पहुंचाएंगे. माना जा रहा है कि विपक्ष, स्टेट-टू-स्टेट बेसिस पर सीट शेयरिंग पर चर्चा करना चाहता है. 

सीटों को लेकर फंसेगा पेच?

क्षेत्रीय दल प्रभाव वाले राज्यों में ज्यादा सीटें दिए जाने पर जोर लगा रहे हैं. यूपी में सपा की योजना है कि उसे चुनाव में ज्यादा सीटें दी जाएं. इतना ही नहीं, छोटे दल, बड़ी पार्टियों को नसीहत भी दे रहे है. यूपी में ही आरएलडी ने अलायंस बनाए रखने के लिए भरोसा ना तोड़ने का संदेश दिया है. दअसल, इन छोटे दलों का कहना है कि पहले गठबंधन में शामिल कर लिया जाता है लेकिन परिणामों के बाद ध्यान नहीं दिया जाता है. हालांकि, बेंगलुरु की बैठक में यह जरूर कहा गया कि अलग-अलग राज्यों में सहयोगी दलों में कई मतभेद भी उभर सकते हैं, लेकिन इसे दरकिनार करना चाहिए और लक्ष्य सिर्फ बीजेपी को हराने का ही होना चाहिए. एक ही टारगेट लेकर चुनावी मैदान में कूदेंगे तो मिशन में कामयाबी मिल सकती है.

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विपक्ष का PM फेस कौन?

विपक्षी मोर्चे से प्रधानमंत्री फेस को लेकर लंबे समय से कयासबाजी है. सबसे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम सामने आया था. तब उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि वो इस दौड़ में नहीं हैं. उन्होंने बीजेपी को हराने के लिए एक मात्र एजेंडे पर काम करना बताया था. उसके बाद राहुल गांधी का नाम तेजी से उभरकर सामने आया, लेकिन बेंगलुरु की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी साफ कर दिया कि कांग्रेस इस दौड़ में नहीं है. हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जरूर बेंगलुरु में राहुल गांधी की तरफ इशारा किया और कहा- वो विपक्ष में सबके पसंदीदा नेता हैं. 

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिका राहुल का भविष्य

ममता के बयान के बाद राहुल गांधी की दावेदारी पर फिलहाल विराम नहीं लगा है. हालांकि, आगे की स्थिति सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तय होगी. क्योंकि मोदी सरनेम मामले में राहुल को सजा सुनाई गई है और इसे गुजरात हाईकोर्ट ने बकरार रखा है. अगर सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक नहीं लगाई तो राहुल अगला चुनाव नहीं लड़ पाएंगे और उनके पीएम फेस की चर्चाओं पर विराम लग सकता है. इससे पहले शरद पवार और ममता बनर्जी भी अलग-अलग बैठकों में यह साफ कर चुके हैं कि वो पीएम फेस के दावेदार नहीं हैं. 

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TMC ने PM पद पर ठोका दावा

कांग्रेस के पीएम फेस की दावेदारी से पीछे हटते ही TMC एक्टिव मोड में आ गई. तृणमूल कांग्रेस (TMC) से सांसद शताब्दी राय ने कहा है कि अगर कांग्रेस 2024 के चुनाव में पीएम पद की दौड़ में नहीं है तो ममता बनर्जी विपक्ष का प्रधानमंत्री चेहरा होंगी. शताब्दी ने कहा- 'हम चाहते हैं कि हमारी नेता और राज्य की सीएम उस पद (PM) तक पहुंचें. लेकिन इसके लिए हमारा अगला कदम कुछ हटकर हो सकता है. सपने देखने या कोई इच्छा रखने में कोई बुराई नहीं है.

कैंपेनिंग प्लान क्या होगा?

11 सदस्यीय पैनल 2024 के चुनाव के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार करेगा. ये कमेटी साझा रैलियों, कार्यकर्ता सम्मेलन और आंदोलन के कार्यक्रम तय करेगी. केंद्रीय दफ्तर से रणनीति और उस पर इंप्लीमेंट का खाका भी तैयार होगा. हर राज्य में सीट बंटवारे की प्रक्रिया तय की जाएगी. EVM के मुद्दे और चुनाव आयोग को सुधारों के लिए सुझाव मसौदा तैयार भी किया जाएगा.

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विपक्ष के सामने क्या होंगी चुनौतियां...

- पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी विपक्षी मोर्चे में शामिल पार्टियों को सीटें देने के मूड़ में नहीं हैं. ममता को राज्य में कांग्रेस या लेफ्ट की मौजूदगी मंजूर नहीं हैं. वे चाहती हैं कि जो जहां मजबूत है, वो वहां से चुनाव लड़े. टीएमसी बंगाल में मजबूत है, इसलिए वो राज्य में चुनाव लड़ेगी.
- यूपी में विपक्षी गठबंधन की कमान को लेकर भी खींचतान है. सपा वहां बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहती है. विपक्षी गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियों को टिकट देने में खुद की मंजूरी चाहती है.
- बिहार के सीएम नीतीश कुमार चाहते हैं कि एनडीए के खिलाफ संयुक्त तौर पर एक ही उम्मीदवार उतारा जाए. उस पर सहमति कैसे बनेगी, यह बड़ा सवाल बन गया है. कई राज्यों में अभी से खींचतान देखने को मिलने लगी है.
- आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में टकराव अभी शांत नहीं हुआ है. दोनों दल दिल्ली और पंजाब में आमने-सामने हैं. कांग्रेस में स्थानीय नेतृत्व ना दिल्ली में हथियार डालने को तैयार है, ना पंजाब में. दोनों राज्य का कांग्रेस नेतृत्व AAP को दिल्ली अध्यादेश पर समर्थन देने के लिए भी तैयार नहीं था. फिलहाल, हाईकमान के फैसले के बाद चुप्पी साधे हुए है.
- 11 सदस्यीय समन्वय समिति गठित करने पर सहमति बनी, लेकिन इसके सदस्यों और संयोजक पर निर्णय नहीं हो सका. अब अगली बैठक में इस पर निर्णय होगा. वे 11 सदस्य कौन होंगे, इस पर 26 दलों में सहमति बन पाना कठिन माना जा रहा है.

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- हर पार्टी की कोशिश रहेगी कि उसका मेंबर भी पैनल में शामिल हो. लेकिन, संख्या निर्धारित होने से यह संभव नहीं हो पाएगा. चूंकि, यह पैनल बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसी पैनल पर सीट शेयरिंग से लेकर पीएम फेस का नाम तक तय करने की जिम्मेदारी रहेगी.
- पैनल ही अलग-अलग राज्यों में छोटे और बड़े दलों के बीच सहमति बनाने का फॉर्मूला निकालेगा. सीट शेयरिंग तय करेगा और किसके हिस्से में कहां कैंपेनिंग की जिम्मेदारी रहेगी, यह भी फाइनल करेगा.
- ऐसे में मुंबई की बैठक भी बेहद अहम मानी जा रही है. अगर तीसरी बैठक में पैनल के नाम घोषित कर दिए जाते हैं तो खींचतान और सामंजस्य की स्थिति भी साफ हो जाएगी.
- समझौता का फॉर्मूला निकालने के लिए कई राउंड में बैठकें होना है. आने वाले दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में यह बैठकें किए जाने का प्लान है. बैठकों से पहले अलग-अलग मसलों पर फॉर्मूला तय किए जाएंगे, फिर उन्हें इन बैठकों में रखा जाएगा. ऐसे में तकरार... मनमुटाव और सामंजस्य बनाए रखना बड़ी चुनौती होगा.
- विपक्ष की अब तक दो बैठकें हुईं और दोनों में मनमुटाव और तकरार देखने को मिली. पटना में AAP नेता नाराज हो गए थे और बैठक छोड़कर दिल्ली आ गए थे. बाद में कांग्रेस को दिल्ली अध्यादेश पर समर्थन देने के लिए सहमति देनी पड़ी, तब AAP ने बेंगलुरु बैठक में हिस्सा लिया.

बेंगलुरु की बैठक में भी दिखी तकरार और मनमुटाव...

- अब 18 जुलाई की बैठक में अलायंस के नाम पर भी असहमति और नाराजगी की खबरें आईं. टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नए अलायंस का नाम I.N.D.I.A रखने का सुझाव दिया और सहमति जताई. अधिकांश नेता सहमत हुए. लेकिन, सीपीआई-एम नेता सीताराम येचुरी ने 'वी फॉर इंडिया' का सुझाव दिया, जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 'इंडियाज मेन फ्रंट' का प्रस्ताव रखा.

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- नीतीश और येचुरी के आपत्तियां उठाने के बाद 'Democratic' शब्द की जगह 'Developmental' रखा गया. सूत्रों का कहना है कि पहले अलायंस का नाम सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की तरह लग रहा था.
- सूत्र बताते हैं कि नीतीश और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद चाहते थे कि आज की बैठक में ही पैनल के संयोजक का नाम घोषित किया जाए. ऐसा नहीं होने पर कथित तौर पर वे नाराज हो गए.
- बैठक के बाद नीतीश कुमार और लालू प्रसाद संयुक्त प्रेस वार्ता में भी शामिल नहीं हुए. सभी दलों की प्रेस ब्रीफिंग में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव भी मौजूद नहीं थे.
- हालांकि, कहा जा रहा है कि नीतीश और लालू छोटे चार्टेर्ड प्लेन से आए थे. उन्हें रात होने से पहले पटना पहुंचना था.
- एनसीपी के गुट एनडीए और इंडिया दोनों का हिस्सा हैं, इसलिए शरद पवार अपनी किरकिरी को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. एनसीपी का दावा है कि सीनियर पवार विपक्षी एकता में एक महत्वपूर्ण फैक्टर होंगे. वे महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए पहले से ही एक डराने वाले फैक्टर रहे हैं. क्या NCP के विभाजन का असर पवार की भूमिका पर होगा? 

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बंगाल में दूसरे दिन ही टकराव

बेंगलुरु की बैठक के दूसरे दिन ही सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी का बयान आया. उन्होंने टीएमसी के साथ किसी भी गठबंधन से इनकार किया और कहा- वाम और कांग्रेस समेत बीजेपी और टीएमसी दोनों के खिलाफ लड़ेंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि गठबंधन के सदस्य INDIA के प्रतिभागियों के बीच प्रतिस्पर्धा को कम करने का प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि बंगाल में टीएमसी के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा. फिलहाल INDIA में प्रधानमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं होगा. गठबंधन राज्य विशेष के लिए होगा. हालांकि पिछले हफ्ते बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने ऐलान कर दिया था कि बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव कांग्रेस और वामदल मिलकर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ेंगे.

I.N.D.I.A में कौन-कौन दल

विपक्षी गठबंधन में अब तक 26 दलों के नाम सामने आए हैं, उनमें कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, आम आदमी पार्टी, जेडीयू, आरजेडी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, एनसीपी (शरद पवार गुट), शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, सीपीएम, सीपीआई, आरएलडी, एमडीएमके, केएमडीके, वीसीके, आरएसपी, सीपीआई-एमएल (लिबरेशन), फॉरवर्ड ब्लॉक, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस (जोसेफ), केरल कांग्रेस (मणि), अपना दल (कमेरावादी) और एमएमके का नाम शामिल है.

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