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India Today Conclave 2021 South: ‘BJP की विचारधारा दबाने शुरू की गई सेकुलरिज्म की झूठी बहस’- राम माधव

बीजेपी नेता राम माधव ने हिंदुत्व और सेकुलरिज्म के मुद्दे को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर पर जोरदार पलटवार किया. India Today Conclave 2021 South में ‘तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण की राजनीति’ के सत्र में उन्होंने कहा कि ये गलत बहस 70 के दशक में शुरू की गई. साथ ही सवाल किया कि महात्मा गांधी के खुद को सनातनी हिंदू कहने से क्या वह सांप्रदायिक हो गए?

बीजेपी नेता राम माधव (Photo: India Today) बीजेपी नेता राम माधव (Photo: India Today)
aajtak.in
  • चेन्नई,
  • 13 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 11:34 PM IST
  • ‘महात्मा गांधी सनातनी हिंदू होने से सांप्रदायिक हो गए क्या?’
  • ‘हिंदुत्व सर्वधर्म समभाव की विचारधारा भेदभाव करने वाली नहीं’

बीजेपी नेता राम माधव ने हिंदुत्व और सेकुलरिज्म के मुद्दे को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर पर जोरदार पलटवार किया. India Today Conclave 2021 South में ‘तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण की राजनीति’ के सत्र में उन्होंने कहा कि ये गलत बहस 70 के दशक में शुरू की गई. साथ ही सवाल किया कि महात्मा गांधी के खुद को सनातनी हिंदू कहने से क्या वह सांप्रदायिक हो गए? 

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‘हिंदुत्व सर्वधर्म समभाव की विचारधारा’

राम माधव ने कहा कि इस देश की मूल हिंदुत्व विचारधारा ‘सर्वधर्म समभाव’ की है, जो धर्म के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करती. इसलिए देश की संविधान सभा ने संविधान में ‘सेकुलर’ शब्द डालने की जरूरत नहीं समझी. हमारा समाज चरित्र से सेकुलर है.

‘महात्मा गांधी सनातनी हिंदू होने से सांप्रदायिक हो गए क्या?’

राम माधव ने आगे शशि थरूर से पूछा ‘महात्मा गांधी खुद को सनातनी हिंदू कहते थे, तो क्या वह सांप्रदायिक हिंदू हो गए.’

‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया में नेहरू ने भारत को कैसे दिखाया’

राम माधव यहीं नहीं रुके. उन्होंने थरूर से कहा कि संविधान सभा की बहसों के 3,000 पन्ने ना पढ़ें, बल्कि देखें कि ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में जवाहर लाल नेहरू ने भारत को कैसे दिखाया. उन्होंने भारत को पूरी तरह धर्म और संस्कृति के नजरिए से दिखाया. इतना ही नहीं नेहरू ने संविधान सभा की बहस में भी कहा कि भारत विविधताओं का देश है. इसलिए हमें सभी संस्कृति, परंपराओं, रीति-रिवाजों और धर्मों का सम्मान करना चाहिए. हम इन सबसे दूर नहीं रह सकते इसलिए हमें संविधान में सेकुलर शब्द डालने की जरूरत नहीं है.

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70 के दशक में शुरू हुआ सेकुलरिज्म का खेल

राम माधव ने कहा कि सेकुलरिज्म की यह गलत बहस देश में 70 के दशक में शुरू की गई. जब देश में एक वैकल्पिक विचारधारा (बीजेपी) ने उदय होना शुरू किया. उस विचारधारा को दबाने के लिए यह बहस शुरू की गई की आप सेकुलर नहीं हो, बल्कि सांप्रदायिक हो.

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