
शिवसेना के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में पड़ी फूट से अब शरद पवार वाले गुट में खलबली मची हुई है और बयानों का दौर जारी है. शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने रविवार को ठीक उसी अंदाज में उपमुख्यमंत्री पद शपथ ली, जैसा उन्होंने 2019 में बगावत के समय किया था और गुपचुप तरीके से डिप्टी सीएम की शपथ ली थी. इस बार अंतर इतना था कि उनके साथ एनसीपी के 8 और नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली. अजित का दावा है कि उनके साथ एनसीपी के 40 विधायकों का समर्थन है.
2019 में की थी पहली बगावत
यह पहली बार नहीं है जब एनसीपी में अंदरुनी कलह के बाद इस तरह की बगावत हुई हो.साल 2019 में जब महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव हुआ जिसमें बीजेपी और तब की शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा और शानदार सफलता हासिल की. लेकिन मामला सीएम की कुर्सी को लेकर फंस गया. जहां बीजेपी और उद्धव ठाकरे दोनों ने दावा ठोक दिया.
मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई के बाद उद्धव ने बीजेपी से अलग होकर कांग्रेस-एनसीपी से हाथ मिला लिया. रणनीति परवान चढ़ती कि उससे पहले अजित पवार बीजेपी से जा मिले, जिससे हर कोई हैरान रह गया. तब तड़के ही जहां देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अजित पवार ने तब दावा किया कि उन्हें अधिकांश एनसीपी विधायकों का समर्थन प्राप्त है. हालांकि बहुमत का आंकड़ा ना जुटा पाने के कारण यह सरकार महज 80 घंटे में ही गिर गई .
पवार ने दिखाया था दम
तब शरद पवार ने तुरंत सक्रियता दिखाई और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अजित पवार का बीजेपी के साथ जाना निजी फैसला है और सारे विधायक उनके साथ है. इसके बाद पवार ने सभी विधायकों को एकजुट किया और अजित पवार को ऐसा झटका लगा कि वह 80 घंटे भी डिप्टी सीएम नहीं बन सके. पार्टी में हुई तब की सबसे बड़ी बगावत को रोकने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में शरद पवार का कद और बढ़ गया.
29 जून, 2023 को शरद पवार ने एक बयान दिया जिससे हर कोई हैरान रह गया है. 2019 में हुई इस बगावत का जिक्र करते हुए पवार ने बताया, 'मैं यही साबित करना चाहता था और यह साबित हो गया. आप इसे मेरा जाल कह सकते हैं या कुछ और. यह आपको तय करना है.' शरद पवार इस बयान के जरिए साबित करते दिखे कि अजित पवार ने बगावत नहीं की थी, बल्कि फडणवीस को समर्थन देकर सरकार बनाना और फिर गिरा देना दोनों शरद पवार के प्लान का हिस्सा थे.
अप्रैल 2023 में दिया रोटी वाला बयान
शरद पवार ने 27 अप्रैल, 2023 को मुंबई में आयोजित युवा मंथन कार्यक्रम के दौरान कहा था, 'किसी ने मुझे कहा कि रोटी सही समय पर पलटनी होती है और अगर सही समय पर नहीं पलटी तो वो कड़वी हो जाती है. अब सही समय आ गया है रोटी पलटने का, उसमे देरी नहीं होनी चाहिए. इस बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को आग्रह करूंगा कि वो इस पर काम करें.' शरद पवार के इस बयान से कयास लगाए जाने लगे थे कि उनका इशारा भतीजे अजित पवार की तरफ है. इसके बाद एकाएक कई ऐसे घटनाक्रम हुए, जिनसे साफ होने लगा था कि अजित पवार अब कभी भी बगावत कर सकते हैं. इंतजार था तो सिर्फ सही मौके का.
2 मई, 2023 को पवार ने किया इस्तीफे का ऐलान
इसी साल 2 मई को जब शरद पवार ने एनसीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान तो हर कोई हैरान रह गया. इसी दौरान पवार ने एक और अहम ऐलान करते हुए कमेटी का गठन भी कर दिया और कहा कि ये कमेटी बैठेगी, मिलेगी और यह तय करेगी कि नया अध्यक्ष कौन बनेगा. तमाम नेताओं ने उस समय पवार से अपना इस्तीफा वापस लेने को कहा लेकिन उन्होंने दो टूक कह दिया कि वह इस्तीफा वापस नहीं लेंगे. इसके बाद पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए थे. काफी मनाने के बाद 5 मई को उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया.
10 जून, 2023 को पड़े थे बगावत के बीज?
यूं तो एनसीपी में दरार काफी पहले ही पड़ चुकी थी. अजित पवार के खेमे ने इसके कई दिन पहले ही बगवात के संदेश दे दिए थे. इसी बीच 2 मई 2023 को शरद पवार ने एनसीपी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा का ऐलान कर दिया. इस घटनाक्रम को शरद पवार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा था. चर्चा होने लगी थी कि एनसीपी में अब सबकुछ सही है. लेकिन इसी बीच 10 जून को एनसीपी के 25वें स्थापना दिवस के मौके पर शरद पवार ने भतीजे अजित पवार को बड़ा झटका दे दिया. उन्होंने पार्टी के दो कार्यकारी अध्यक्षों के नाम ऐलान किया. ये दोनों नाम थे प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले. वहीं जब अजित पवार को लेकर सवाल पूछा गया तो शरद पवार ने कहा कि अजित नेता विपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
अब 2 जुलाई की बगावत
एनसीपी की 10 जून को हुई बैठक के बाद से ही अजित पवार शांत थे. इस दौरान कई बार ऐसी खबरें आईं कि वह बीजेपी नेताओं से मिल रहे हैं, हालांकि वह इसे खारिज करते रहे. रविवार को जो घटनाक्रम हुआ वह इतनी तेजी से घटा कि किसी को भनक तक नहीं लगी. अजित पवार ने सबसे पहले अपने समर्थक विधायकों के साथ घर पर बैठक की और फिर राजभवन की तरफ निकल गए. इसके बाद साफ हो गया कि अजित पवार फिर डिप्टी सीएम बनने वाले हैं. राजभवन में हुए शपथग्रहण समारोह में ना केवल अजित पवार ने शपथ ली बल्कि 8 और एनसीपी नेता भी मंत्री बने. गौर करने वाली बात ये रही कि इस बार पवार के साथ में शरद पवार के खास माने जाने वाले प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल और धनंजय मुंडे जैसे नेता साथ में थे.