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कृषि कानूनों पर शरद पवार को ऐतराज लेकिन विरोध पर अभी फैसला नहीं

शरद पवार ने कहा कि कृषि कानून की कुछ बातों पर हम सहमत नहीं हैं लेकिन अभी हमें इसका विरोध करना है या नहीं इस पर फैसला लेना बाकी है. पवार ने कहा कि कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट जाना है या हमें विरोध प्रदर्शन का जरिया अपनाना चाहिए, अभी इस पर फैसला करना बाकी है.

शरद पवार शरद पवार
साहिल जोशी
  • मुंबई,
  • 29 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST
  • सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं विपक्षी दल
  • पवार बोले- कोर्ट जाने या विरोध पर निर्णय लेना बाकी
  • कृषि कानून के खिलाफ खुल कर नहीं आई एनसीपी

कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और विपक्षी दलों का विरोध जारी है. कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन को तेजी दी है और उसके कार्यकर्ता कई जगह सड़कों पर उतरे हैं. इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि कृषि कानून की कुछ बातों से वे सहमत नहीं हैं लेकिन विरोध प्रदर्शन पर अभी फैसला करना बाकी है.

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शरद पवार ने कहा, ''कृषि कानून की कुछ बातों पर हम सहमत नहीं हैं लेकिन अभी हमें इसका विरोध करना है या नहीं इस पर फैसला लेना बाकी है.'' शरद पवार ने कहा कि कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट जाना है या हमें विरोध प्रदर्शन का जरिया अपनाना चाहिए, अभी इस पर फैसला करना बाकी है.

शरद पवार कृषि कानूनों के खिलाफ खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं लेकिन अभी हाल में उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उसने किसानों के मुद्दे पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का साथ छोड़ दिया. अभी हाल में एसएडी ने कृषि बिल के मुद्दे पर एनडीए का साथ छोड़ दिया था. एसएडी नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 

पवार ने कौर के इस्तीफे के बाद एक ट्वीट में लिखा, ''शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल और पार्टी की सांसद हरसिमरत कौर को बधाई जिन्होंने प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में और कृषि बिलों के खिलाफ एनडीए से अलग होने का फैसला लिया. किसानों के साथ खड़े होने के लिए आप लोगों को बधाई.''

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शरद पवार की पार्टी एनसीपी महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार के साथ गठबंधन में है. इसे देखते हुए दोनों पार्टियों का विरोध को लेकर क्या रणनीति होगी, इसे लेकर राय मशविरा चल रही है. संसद में शिवसेना ने बिल का विरोध तो नहीं किया लेकिन उसने अभी तक ये फैसला नहीं लिया है कि इसे लेकर उसका अगला कदम क्या होगा.

यह बात भी गौर करने वाली है कि शिवसेना ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था लेकिन बाद में इस पर वह मुखर हो गई. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि यह बिल कृषि प्रधान देश के लिए दुखद है. अगर हरसिमरत कौर के इस्तीफे से केंद्र सरकार जाग गई तो ठीक, नहीं तो इसके विरोध में सभी विपक्षी दलों को एकजुट होना पड़ेगा.

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