
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने कहा है कि विवादास्पद कृषि कानूनों को पूरी तरह से खारिज कर देने के बजाए इसके उस भाग में संशोधन किया जाना चाहिए जिससे किसानों को इससे दिक्कत है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों का एक समूह केंद्र से पारित कृषि कानून के अलग-अलग पहलुओं का अध्ययन कर रहा है.
क्या कृषि कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाएगी महाराष्ट्र सरकार?
शरद पवार से पूछा गया था कि क्या किसानों की मांग को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में प्रस्ताव लाएगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा, "पूरे बिल को खारिज कर देने के बजाए हम उस भाग में संशोधन कर सकते हैं जिसे लेकर किसानों को आपत्ति है, उन्होंने कहा कि इस कानून से संबंधित सभी पक्षों से विचार करने के बाद ही इसे विधानसभा के पटल पर लाया जाएगा.
देश के पूर्व कृषि मंत्री रहे शरद पवार ने कहा कि राज्यों को अपने यहां इस कानून को पास करने से पहले इसके विवादित पहलुओं पर विचार करना चाहिए तभी कोई फैसला लेना चाहिए. शरद पवार ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि महाराष्ट्र के दो दिनों के सत्र में ये आ पाएगा. एनसीपी अध्यक्ष ने कहा कि यदि ये आता है तो इस पर विचार किया जाना चाहिए.
बता दें कि केंद्र के द्वारा पास किए गए कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली में पिछले साल 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. किसान गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
शरद पवार ने कहा कि मंत्रियों का एक समूह इस कानून पर विचार कर रहा है. अगर ये समूह कुछ अच्छे और किसानों के हक में जरूरी बदलाव लेकर आता है तो इन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं है.
केंद्र करे पहल
कृषि कानूनों पर केंद्र से पुनर्विचार की मांग कर चुके शरद पवार ने एक बार फिर कहा कि ये लोग पिछले 6 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों और केंद्र के बीच डेडलॉक की स्थिति बन गई है. इसलिए ये लोग यहां बैठे हुए हैं. केंद्र को इन किसानों से बातचीत करनी चाहिए. इस मामले में केंद्र को ही पहल करनी चाहिए.