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'सहयोगियों के बीच का दोस्ताना मुकाबला', दिग्विजय सिंह से मुलाकात पर बोले शशि थरूर

कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव रोचक होता जा रहा है. इस पद की रेस में एक और नाम शामिल हो गया है. वो है दिग्विजय सिंह का. जिसके बाद इस रेस में अब शशि थरूर और दिग्विजय सिंह के बीच ये मुकाबला बताया जा रहा है. 

शशि थरूर और दिग्विजय सिंह शशि थरूर और दिग्विजय सिंह
सुप्रिया भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:43 PM IST

कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव रोचक होता जा रहा है. इस पद की रेस में एक और नाम शामिल हो गया है. वो है दिग्विजय सिंह का. जिसके बाद इस रेस में अब शशि थरूर और दिग्विजय सिंह के बीच ये मुकाबला बताया जा रहा है. उधर, राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चल रही तनातनी के कारण इस रेस से अशोक गहलोत बाहर हो गए हैं. इससे पहले तक गहलोत इस पद के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे.

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इस बीच शशि थरूर और दिग्विजय सिंह ने एक दूसरे से मुलाकात की. जिसकी जानकारी देते हुए थरूर ने ट्वीट कर दी. उन्होंने ट्वीट किया, "आज दोपहर दिग्विजय सिंह से मुलाकात हुई. मैं हमारी पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का स्वागत करता हूं. हम दोनों इस बात पर सहमत हैं कि हमारी प्रतिद्वंद्वियों के बीच की लड़ाई नहीं बल्कि सहयोगियों के बीच का एक दोस्ताना मुकाबला है. हम दोनों बस इतना चाहते हैं कि जो भी जीतेगा, कांग्रेसी -जीतेगी!"

कल नामांकन करेंगे शशि थरूर

बता दें कि शशि थरूर कल शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए दोपहर 12:15 बजे 24 अकबर रोड पर अपना नामांकन पत्र जमा करेंगे. इसके बाद वह दोपहर 1:00 बजे 97 लोधी एस्टेट स्थित अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. जहां वह पार्टी से जुड़े कई सवालों के जवाब दे सकते हैं. 

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शशि थरूर की दावेदारी कितनी मजबूत? 

गौरतलब है कि शशि थरूर केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद हैं. चुनाव में शशि थरूर का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है. करिश्माई व्यक्तित्व वाले थरूर तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. देश के साथ-साथ विदेश में थरूर की पहुंच है. संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर भी कुछ प्रोजेक्टस पर काम कर रहे हैं. मंत्री के तौर पर थरूर ने काम किया है इसलिए उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है.  

थरूर के सामने आ सकती हैं ये दिक्कतें

थरूर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि वह असंतोष धड़े जी-23 का हिस्सा थे. गहलोत जबतक फ्रेम में थे, तबतक माना जा रहा था कि थरूर को इस चुनाव में गांधी परिवार का समर्थन नहीं मिलेगा क्योंकि उनकी पसंद गहलोत हैं. पार्टी में वह ज्यादा पुराने भी नहीं है. 2009 में ही थरूर कांग्रेस में आए थे. विवादों से नाता, हिंदी पर कम पकड़ भी उनके खिलाफ जा सकता है.

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