
शिवसेना के नाम और चुनाव निशान को लेकर फैसला एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में आने के बाद उद्धव गुट ने चुनाव आयोग, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में लेख के जरिए बीजेपी पर हमला बोला है और गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही चुनाव आयोग को भी घेरा है.
सामना में लिखा है कि शिवसेना नाम और चुनाव निशान पर चुनाव आयोग ने मिंधों (शिंदे गुट) के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है. चुनाव आयोग ने ठाकरे की ओर से स्थापित, जतन की गई शिवसेना को दिल्ली के तलवे चाटने के लिए मिंधों के हाथ दे दी. फिर भी शिवसेना ठाकरे की थी, है और रहेगी. 40 बेईमान विधायक और 12 सांसद यानी शिवसेना, इस तरह का निर्णय देकर कानून और जनभावना की धज्जियां उड़ाई गईं. शिवसेना के लाखों कार्यकर्ताओं, शिवसेना पदाधिकारियों, जिला प्रमुखों ने ट्रक भरकर दिल्ली के चुनाव आयोग को शपथ पत्र भेजे थे. क्या इसका कोई मूल्य नहीं?
सामना के लेख में चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाए गए हैं. सामना में लिखा है कि जिन्हें शिवसैनिक जीताकर लाए, उनके सिर गिनकर धनुष-बाण पार्टी के नाम का फैसला सुनाना संविधान के साथ भी बेईमानी है. उन्हें ठाकरे के नाम पर वोट मिले थे. ये लोग कल भी चुनकर आएंगे ही, इसकी गारंटी न होते हुए भी शिवसेना और धनुष-बाण का भविष्य उन लफंगों के भरोसे सुनिश्चित किया गया. ये चुनाव आयोग के सत्ता पक्ष का गुलाम बनने का ही संकेत है.
महाराष्ट्र और छत्रपति शिवाजी का अपमान
सामना में छत्रपति शिवाजी को लेकर भी शिंदे गुट और बीजेपी पर निशाना साधा गया है. सामना में लिखा है कि पहले कम से कम दो हजार करोड़ रुपये में सरकार खरीदी गई और अब शिवसेना के नाम और चुनाव निशान का सौदा किया गया. यह कैसा लोकतंत्र है? ठाकरे की शिवसेना को उनसे छीन लिया गया. ये तरीका निरंकुशता का है और ये निरंकुश लोग महाराष्ट्र में आकर छत्रपति शिवाजी पर फूल बरसाते हैं. ये महाराष्ट्र और छत्रपति शिवाजी का अपमान है. अफजल खान की तरह शिवसेना की पीठ में छूरा मारा गया है. ये महाराष्ट्र और मराठी मानुस को दिया गया घाव है.
पीएम को करना चाहिए तानाशाही का ऐलान
सामना में बीजेपी पर हमला बोलते हुए लिखा है कि अगर वे इसकी जय-जयकार कर रहे हैं तो महाराष्ट्र उन्हें कभी माफ नहीं करेगा. पीएम मोदी को अब लाल किले से घोषणा करनी चाहिए कि हमने आजादी के 75 साल बर्बाद कर दिए हैं और देश में तानाशाही स्थापित हो गई है. न्यायालय, संसद और चुनाव आयोग जैसी संस्थाएं हमारे गुलाम के रूप में काम करेंगी. आजादी के लिए आवाज उठाने वालों को फांसी पर लटका दिया जाएगा. देश में लूटेरों को अहमियत दी जाएगी और ईमानदारी की कद्र नहीं होगी.
अपने ही पाखंड पर मुहर लगा रहे अमित शाह
सामना में महाराष्ट्र के घटनाक्रम को इसकी शुरुआत बताते हुए कहा गया है कि सत्ता का इतना मनमाना दुरुपयोग पहले कभी नहीं हुआ. महाराष्ट्र को मिला ये जख्म तानाशाही के अंत की शुरुआत साबित होगा. गृह मंत्री अमित शाह पुणे आकर कहते हैं कि धोखा देने वालों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए. ये बयान वे एक नंबर के धोखेबाजों के साथ मिलकर दे रहे हैं. वे अपने ही पाखंड पर मुहर लगा रहे हैं. अमित शाह महाराष्ट्र आए और मिंधों (शिंदे गुट) को शिवसेना और धनुष-बाण मिलने पर खुशी जताई. मिंधों को धनुष-बाण का चिह्न अमित शाह की मेहरबानी से मिला, क्या अब भी ये किसी से छिपा है?
अमित शाह मराठी लोगों के नंबर एक शत्रु
सामना में अमित शाह को मराठी लोगों का नंबर एक शत्रु बताते हुए लिखा है कि जो भी शाह के पीछे पड़कर अपनी राजनीतिक खुजली मिटाना चाहते हैं, उन सभी को क्या महाराष्ट्र का दुश्मना मानना पड़ेगा. छत्रपति शिवाजी ने महाराष्ट्र के स्वाभिमान के लिए हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की थी. उस स्वराज्य की जड़ खोदने आए हर शाह की अंतड़ी छत्रपति और उनके मावलों ने निकाल ली. शिवाजी महाराज ने बेईमान और गद्दारों को कड़ा सबक सिखाया, इस इतिहास को कोई नहीं भूल सकता. छत्रपति के वही विचार लेकर महाराष्ट्र आज भी जिंदा है और धधक रहा है.
ठाकरे के बिना बीजेपी को कोई नहीं पूछेगा
सामना में लिखा है कि बाला साहेब ठाकरे और और उनकी स्थापित की हुई शिवसेना के बिना महाराष्ट्र में बीजेपी को कोई नहीं पूछेगा, इसीलिए उन्होंने शिवसेना पर डाका डाला और अपने तलवे चाटने वाले मिंधे (एकनाथ शिंदे) को मुख्यमंत्री बना दिया. न्याय नहीं हुआ. फैसला खरीदा गया है. बेईमान विधायकों की अयोग्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने और फैसला आने तक चुनाव आयोग को रुकना चाहिए था.
रोज पत्ते के महल की तरह गिराई जाएंगी सरकारें
सामना में लिखा है कि कल कोई अडानी, अंबानी, नीरव मोदी उठेगा और इसी तरह विधायक-सांसद खरीदकर पूरी पार्टी और सरकार पर अपना मालिकाना हक जताएगा. देश की सरकारें रोज पत्ते के महल की तरह गिराई जाएंगी. मराठी लोगों की शान और हिंदुत्व की रक्षक शिवसेना का अस्तित्व नष्ट करने वाला ये फैसला महाराष्ट्र को स्वीकार नहीं है. व्यापारियों के राज में और क्या होगा? सामना के लेख में लड़ाई जारी रहने का भी ऐलान किया गया है.