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'अब कोई भी कुर्बानी देनी पड़े, सपा के साथ ही रहेंगे', अखिलेश से मुलाकात के बाद बोले शिवपाल

अखिलेश यादव के साथ मुलाकात करने के बाद, शिवपाल यादव ने पहली बार बयान दिया है. गठबंधन के बाद शिवपाल यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अब चाहे कोई कुर्बानी देनी पड़े, जब फैसला ले लिया है तो सपा के साथ ही जाएंगे.

'जब फैसला ले लिया है तो सपा के साथ ही जाएंगे'- शिवपाल यादव 'जब फैसला ले लिया है तो सपा के साथ ही जाएंगे'- शिवपाल यादव
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 17 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST
  • अखिलेश और शिवपाल सिंह यादव ने दूर किए गिले-शिकवे
  • शिवपाल सिंह ने गठबंधन पर लगाई मुहर
  • कहा- जब फैसला ले लिया है तो सपा के साथ ही जाएंगे

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अपने गिले-शिकवे दूर कर लिए हैं और दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर सहमति जता दी है.

अखिलेश यादव के साथ मुलाकात करने के बाद, शिवपाल यादव ने पहली बार बयान दिया है. गठबंधन के बाद शिवपाल यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा - 'अब चाहे कोई कुर्बानी देनी पड़े, जब फैसला ले लिया है तो सपा के साथ ही जाएंगे.'

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उन्होंने कहा, 'अब सबकुछ हो गया, गठबंधन हो गया. मैंने कल भी कहा था कि अगर गठबंधन होगा तो सीटें कम मिलेंगी. मैंने पहले ही कहा था अगर समाजवादी पार्टी ने 200 सीटों पर तैयारी कर ली होती, तो बहुत पहले ये फैसला हो जाता. लेकिन 3 सालों में भी समाजवादी पार्टी 100 सीटों पर भी तैयारी नहीं कर पाई.'

उन्होंने आगे कहा, 'खैर अब कुछ नहीं, अब देखना यह है कि अब हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे त्याग करना पड़ेगा तो त्याग भी करेंगे. बीजेपी की सरकार को मिलकर हटाना है और हम लोग मिलकर यह सरकार बनाएंगे.' 

बता दें कि गुरुवार को अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच 45 मिनट की मुलाकात हुई. मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव के साथ फोटो ट्वीट करते लिखा था- 'प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात हुई और गठबंधन की बात तय हुई. क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा व अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है.

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इसके बाद शिवपाल यादव ने भी ट्वीट किया- 'समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आवास पर शिष्टाचार भेंट की. इस दौरान उनके साथ आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में साथ मिलकर लड़ने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई.
 
हालांकि चाचा-भतीजे के एक होने के बाद असल सवाल सीटों को लेकर उठ रहे हैं, क्योंकि दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद न तो सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सामने आया और न ही समझौते की शर्त. 

 

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