
एक के बाद एक 2 बड़े प्रोजेक्ट महाराष्ट्र से फिसलकर गुजरात चले जाने के कारण महाराष्ट्र की शिंदे सरकार इन दिनों विपक्ष के निशान पर है. हाल ही में नागपुर में तय किया गया टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट भी महाराष्ट्र सरकार के हाथ से फिसलकर गुजरात के वडोदरा चला गया.
इस घटनाक्रम के बाद नागपुर से BJP सांसद और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के TATA संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन को पत्र लिखने की बात सामने आई थी. सूत्रों के मुताबिक गडकरी ने 7 अक्टूबर को लिखे पत्र में कहा था कि कैसे राज्य ने मिहान (नागपुर में मल्टी-मोडल इंटरनेशनल हब एयरपोर्ट) में एक एसईजेड बनाया था. गडकरी ने इस बात की वकालत की थी कि कैसे भूमि, जनशक्ति और गोदाम टाटा समूह के लिए लाभकारी साबित होगा.
TATA संस के चेयरमैन ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की चिट्ठी का जवाब दिया है. 19 अक्टूबर को जवाबी खत में चंद्रशेखरन ने गडकरी से कहा, 'हमारी टीम निश्चित रूप से विदर्भ आर्थिक विकास परिषद (VEDC) के सदस्यों के संपर्क में रहेगी. टाटा समूह निवेश के नए अवसरों का मूल्यांकन करता रहता है.
गडकरी ने अपने पत्र में बुनियादी ढांचे, भूमि की उपलब्धता और कनेक्टिविटी जैसी चीजों का हवाला देते हुए कहा था कि टाटा समूह की कंपनियां नागपुर में स्टील, ऑटो, उपभोक्ता उत्पाद, आईटी सेवाओं, विमानन जैसे व्यवसायों में निवेश कर सकती हैं.
प्रोजेक्ट छिनने पर उठ रहे सवाल
> 13 सितंबर को महाराष्ट्र से वेदांता-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट गुजरात के लिए चला गया. 27 अक्टूबर को राज्य टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट गुजरात चला गया. इतने ही महीनों में दो बड़े प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के हाथ से चले गए.
> सवाल यह उठ रहा है कि ऐसे बड़े प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के हाथ से क्यों जा रहे हैं. क्या प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता के माहौल और राज्य में भविष्य की राजनीतिक अनिश्चितता के कारण टाटा को गुजरात में अपने प्रोजेक्ट को ले जाना पड़ा, क्या बिजनेस सेंस की वजह से महाराष्ट्र की जगह गुजरात में प्रोजेक्ट लगाना ज्यादा सुरक्षित माना जा रहा है?
> 15 सितंबर को उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा था कि राज्य सरकार मिहान में टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट लाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने यह बयान वेदांता-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट के हाथ से निकलने के 48 घंटे बाद दिया गया था.
> एनसीपी का दावा है कि शिंदे सरकार की अक्षमता के कारण ही राज्य को दो परियोजनाओं की कीमत चुकानी पड़ी. एनसीपी नेता महेश तापसे ने कहा- मुख्यमंत्री के कहने पर ही उदय सामंत ने कहा था कि उन्हें महाराष्ट्र में टाटा-एयरबस परियोजना मिलेगी.
> एनसीपी ने यह भी कहा है कि वेदांता प्रोजेक्ट के गुजरात चले जाने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर बताया था कि राज्य के लिए परियोजना कितनी जरूरी है फिर भी वह असफल रहे. उन्हें अब लिज ट्रस के रूप में एक क्यू फॉर्म लेना चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए.
तो क्या इसलिए महाराष्ट्र से गुजरात जा रहे प्रोजेक्ट
सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए टाटा ने पहले ही गुजरात जाने का फैसला कर लिया था. 2021 से ही एमवीए सरकार के मौजूदा मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे. एमवीए सरकार में गृह मंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया गया. एंटीला मामले में भूमिका और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. नवाब मलिक को भी प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था.