
नीतीश कुमार के पालाबदल से बिहार में शुरू हुए सियासी ड्रामे का विधानसभा में शक्ति परीक्षण के साथ ही पटाक्षेप हो चुका है. बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार ने विश्वास मत जीत लिया और इसके साथ ही खारिज हो गए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की ओर से किए जाते रहे खेला के दावे भी लेकिन चर्चा हो रही तेजस्वी यादव के संबोधन की. नीतीश के पिछले पालाबदल के बाद तेजस्वी यादव ने सड़क से सदन तक उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. तेजस्वी ने नीतीश पर प्रहार का कोई मौका इस बार भी नहीं छोड़ा लेकिन तरीका अलग था.
तेजस्वी के संबोधन में बॉडी लैंगुएज आक्रामक थी लेकिन भाषा पूरी तरह संयमित. नीतीश कुमार की ओर से पेश किए गए विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत तेजस्वी यादव ने ही की. तेजस्वी यादव जब बोलने के लिए खड़े हुए, उनका अलग ही अंदाज नजर आया. तेजस्वी ने अपने संबोधन की शुरुआत नीतीश कुमार पर एक विधानसभा के कार्यकाल में तीन-तीन बार शपथ लेने के तंज से की और फिर बार-बार उन्हें अपना अभिभावक, पिता के समान भी बताया. खुद को बच्चे जैसा बताते हुए उन्होंने नीतीश को भगवान राम के पिता दशरथ जैसा गार्जियन भी बता दिया और बिना किसी बातचीत के चुपचाप राज्यपाल को इस्तीफा सौंप आने के लिए उन्हें दोषी भी बता दिया.
तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को बीजेपी से पहली बार गठबंधन तोड़ने के बाद की याद दिलाई और इस बार महागठबंधन से अलग होने के पहले बातचीत नहीं करने को लेकर नाराजगी भी जाहिर कर दी. उनका यह कहना कि आपने बात तो की होती, हम अपने सभी मंत्री हटा लेते, बाहर से समर्थन दे देते और कोई आपकी सरकार नहीं हिला पाता. गठबंधन टूटने के लिए जेडीयू पर ठीकरा फोड़ने जैसा ही है. बिहार विधानसभा में तेजस्वी 40 मिनट बोले. तेजस्वी के इस संबोधन में नाराजगी थी, तल्खी थी तो साथ ही संयम और भविष्य का रोडमैप भी था.
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नीतीश कुमार हों या विधानसभा में पाला बदल लेने वाले आरजेडी के तीनों विधायक, तेजस्वी ने यह कहा कि बात बने ना बने बाद में हमको जरूर याद कर लेना. उनका यह बोलना एक तरह से भविष्य के लिए आश्वासन की तरह ही देखा जा रहा है कि अगर भविष्य में कभी ऐसी परिस्थिति बनती है तो वह फिर से नीतीश के साथ आने को तैयार हैं. तेजस्वी ने विकास के लिए स्थिर सरकार को जरूरी बताया और यह भी कहा कि नीतीश कुमार ने जो अच्छे काम किए हैं, उनकी क्रेडिट हम उनको भी देंगे.
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि तेजस्वी यादव ने जिस तरह से संयमित और मर्यादित भाषा में आक्रामकता के साथ नीतीश पर हमला बोला, संयम दिखाया, वह बताता है कि वह अब परिपक्व हो चले हैं. नीतीश के साथ सरकार बनाने के बाद भी बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी जिस तरह से बीजेपी सरकार को बार-बार अपना लक्ष्य बता रहे हैं, यह इस गठबंधन और गठबंधन सरकार के लिए शुभ संकेत तो कत्तई नहीं कहा जा सकता. लोकसभा चुनाव के बाद हो सकता है कि बीजेपी नीतीश पर दबाव बनाए और जिस तरह का मिजाज है, लगता नहीं है कि सुशासन बाबू दबाव में अधिक दिनों तक किसी के साथ रहेंगे. नीतीश को लेकर तेजस्वी के तेवर पुराने फिल्मी गीत के बोल 'मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा' का संदेश ही है.
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बीजेपी अगर नीतीश कुमार पर सीएम की कुर्सी छोड़ने के लिए दबाव बनाती है तो फिर वह अपनी कुर्सी बचाने के लिए पाला बदल कर सकते हैं. चुनाव रणनीतिकार और बिहार में जन सुराज पदयात्रा पर निकले प्रशांत किशोर भी यह कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार पाला बदलेंगे. हो सकता है कि आरजेडी के थिंकटैंक और तेजस्वी यादव को भी ऐसा ही लगता हो और शायद इसीलिए पार्टी की रणनीति नीतीश के साथ रिश्ते अधिक तल्ख कर लेने की जगह किसी भी समय फिर से साथ आने की गुंजाइश बाकी रखने और बीजेपी को टारगेट करने की हो.