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किसान आंदोलन को खत्म किए जाने की अपील के साथ प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है. लेकिन कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति के सदस्य का मानना है कि यह कदम आने वाले समय में कृषि में निवेश को बाधित कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्य प्रमोद जोशी ने कहा कि चीजों में सुधार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ये कानून सरकार इसलिए लेकर आई थी कि किसानों की मदद के लिए बाजार खोले जा सकें. शुरू में सभी खुश थे, जब कानून पेश किए गए, लेकिन कुछ महीनों के बाद विरोध शुरू हो गया. इसके बाद कोर्ट ने कृषि कानूनों पर समिति नियुक्त की.
जोशी ने कहा कि केवल पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के समूह कृषि कानूनों पर सहमत नहीं थे, देश के बाकी किसान इससे खुश थे. कृषि कानूनों का उद्देश्य कृषि और कृषि और इससे जुड़े बुनियादी ढांचे में ज्यादा से ज्यादा निवेश लाना था. यह माना जा रहा था कि कृषि में एक नए तरीके की साझेदारी होगी और उसका लोगों को फायदा मिलेगा.
निजी स्तर पर बुनियादी ढांचा तैयार करने की जरूरत
उन्होंने कहा कि अब जब सरकार ने कृषि के लिए 11 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की है, जब तक कि निजी स्तर पर एक बुनियादी ढांचा नहीं बनता है, यह अभी तय नहीं है कि इस राशि का उपयोग कैसे किया जाएगा, लेकिन चूंकि कानूनों को निरस्त कर दिया गया है, इसलिए यह भी तय नहीं है कि वे वापस आएंगे या नहीं. उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि अब कृषि व्यवसाय का क्या होगा. उन्होंने कहा कि इससे कृषि क्षेत्र प्रभावित होगा.
जोशी ने कहा कि जहां सरकार ने किसान आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया है, वहीं पीएम ने खुद स्वीकार किया है कि वे किसानों के एक छोटे समूह को कृषि कानूनों के लाभों के बारे में नहीं समझा सकते. उन्होंने कहा है कि कृषि कानूनों से अगर किसान खुश नहीं हैं, तो इन्हें वापस ले लिया गया.
जोशी उस समिति का हिस्सा थे, जिसका गठन सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर गौर करने और इस साल की शुरुआत में एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए किया था.
कोर्ट में नहीं खुली है समिति की रिपोर्ट
जोशी ने कहा कि हमारे द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभी रिपोर्ट को खोला नहीं गया है. चूंकि रिपोर्ट को अभी खोला जाना बाकी है, इसलिए सुझावों को अधिनियम में शामिल नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि रिपोर्ट में दिए गए हमारे सुझावों का उपयोग समिति द्वारा किया जाए. उन्होंने यह भी कि शायद भविष्य में आने वाले नए कानूनों से किसान खुश होंगे.