
त्रिपुरा चुनाव संपन्न हो चुका है. जनता अपना वोट डाल चुकी है, ईवीएम में नतीजे कैद हैं, कौन जीतेगा, 2 मार्च को पता चल जाएगा. अब असल नतीजों से पहले एग्जिट पोल के नतीजे आ गए हैं. Axis My India और आजतक के एग्जिट पोल में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ फिर वापसी करने जा रही है.
त्रिपुरा में फिर खिलता दिख रहा कमल
त्रिपुरा चुनाव को लेकर Axis My India और आजतक का एग्जिट पोल बताता है कि बीजेपी के खाते में 36 से 45 सीटें जा सकती हैं. लेफ्ट-कांग्रेस का गठबंधन सरकार बनाने से चूक रहा है. उसके खाते में 9 से 11 सीटें आ सकती हैं. वो सरकार बनाने से काफी दूर दिखाई दे रहा है. त्रिपुरा चुनाव में टीएमपी लेफ्ट से भी बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है. एग्जिट पोल के मुताबिक इस चुनाव में टीएमपी को 9 से 16 सीटें मिल सकती हैं.
चुनाव में बीजेपी को 45 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं, वहीं लेफ्ट-कांग्रेस के गठबंधन का 32 प्रतिशत वोट शेयर रह सकता है. टीएमपी की बात करें तो उसका वोट शेयर 20 फीसदी रह सकता है.
हर जाति में बीजेपी की सेंधमारी
अगर जातियों के लिहाज से देखें, तो बीजेपी को जबरदस्त फायदा होता दिख रहा है. पार्टी को एसटी का 30 प्रतिशत, एससी का 57 प्रतिशत, ओबीसी का 60 फीसदी और सामान्य का 61 फीसदी वोट मिल रहा है. लेफ्ट-कांग्रेस की बात करें तो उसे एसटी का 18 फीसदी, एससी का 36 फीसदी, ओबीसी का 35 प्रतिशत और सामान्य वर्ग का 34 फीसदी वोट मिल सकता है. टीएमपी को एसटी का 51 फीसदी, एससी का 3 फीसदी, ओबीसी का 2 प्रतिशत और सामान्य का 2 प्रतिशट वोट मिल सकता है.
पिछले चुनाव के क्या नतीजे?
त्रिपुरा चुनाव में साल 2018 में बीजेपी ने इतिहास रचते हुए लेफ्ट के 25 साल के शासनकाल को खत्म किया था. पहली बार पूर्वोत्तर के इस राज्य में कमल खिला था. उस चुनाव में 60 विधानसभा सीटों में से बीजेपी और उसके सहयोगी दल ने साथ मिलकर 43 सीटें जीत ली थीं. वहीं सीपीएम को 16 सीटों से संतुष्ट करना पड़ा था. वहीं कांग्रेस का तो खाता भी नहीं खुला था. लेकिन इस बार जमीन पर समीकरण बदले हैं. लेफ्ट और कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है, टीएमसी भी चुनावी मैदान में खड़ी हुई है. ऐसे में बीजेपी को दोनों तरफ से चुनौती मिल रही है.
कितने बदले जमीन पर समीकरण?
त्रिपुरा में कुल 60 विधानसभा सीटें आती हैं. यहां बहुमत का आंकड़ा 31 रहता है. इस राज्य में दो तरह के वोटर सक्रिय रहते हैं. एक आदिवासी समाज का वोट है तो दूसरा बांग्लादेश से आया बड़ी संख्या में शरणार्थियों वाला वोट है. अब कहने को त्रिपुरा में हमेशा से ही आदिवासी समुदाय का वर्चस्व रहा है, उन्हीं की राजनीति चलती रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में पूर्वोत्तर के इस राज्य में बांग्लादेश से कई शरणार्थी आ गए हैं. उनकी एंट्री से त्रिपुरा में बांग्ला भाषी का एक अलग वोटबैंक तैयार हो गया है. वैसे इस चुनाव को दिलचस्प टिपरा मोथा पार्टी ने भी बना दिया है. वो पूरे दमखम के साथ जमीन पर उतरी है.
किसके कितने उम्मीदवार?
त्रिपुरा की कुल 60 विधानसभा सीटों के लिए 259 प्रत्याशी मैदान में हैं. बीजेपी आईपीएफटी के साथ मिलकर चुनावी में उतरी है. बीजेपी ने 55 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं तो आईपीएफटी 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस-लेफ्ट में सीटों पर समझौते के तहत वाम मोर्चा 43 और कांग्रेस 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि एक सीट पर निर्दलीय को समर्थन दिया है. प्रद्योत बिक्रम की नई पार्टी टिपरा मोथा ने 42 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी 28 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है. इसके अलावा, 58 उम्मीदवार निर्दलीय हैं और कुछ अन्य दलों से भी मैदान में हैं.