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कांग्रेस की 'आत्मा' हिंदू... उद्धव गुट ने दी प्राण प्रतिष्ठा में जाने की सलाह, असमंजस में फंसे सोनिया-खड़गे अब क्या करेंगे?

अयोध्या में 22 जनवरी को नए राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को आमंत्रित किया गया है. इसके साथ ही 4 हजार संतों और 2500 प्रतिष्ठित नागरिकों को न्योता भेजे गए हैं.

राम मंदिर के कार्यक्रम में जाने के लिए कांग्रेस नेताओं को निमंत्रण दिया गया है. राम मंदिर के कार्यक्रम में जाने के लिए कांग्रेस नेताओं को निमंत्रण दिया गया है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा का न्योता मिलने के बाद कांग्रेस धर्मसंकट की स्थिति है. न्योता मिलने के 15 दिन बाद भी कांग्रेस हाईकमान यह साफ नहीं कर सका कि वो कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे या नहीं. कई वरिष्ठ नेताओं के बयान यह संकेत जरूर देते हैं कि पार्टी अंतिम समय में ही फैसला लेगी. हालांकि, अब कांग्रेस के INDIA अलायंस में सहयोगी दल शिवसेना (उद्धव) ने चुप्पी तोड़ी है और कांग्रेस की आत्मा को हिंदू बताया है. इसके साथ ही प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में जाने की सलाह दी है.

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बता दें कि 22 जनवरी को अयोध्या में नए राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को आमंत्रित किया गया है. इसके साथ ही 4 हजार संतों और 2500 प्रतिष्ठित नागरिकों को न्योता भेजे गए हैं. इनमें राजनेता, एक्टर, खिलाड़ी और अवॉर्ड विजेताओं के नाम शामिल हैं. कई नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है, लेकिन वहां जाने को लेकर विपक्षी दल बंटे नजर आ रहे हैं.

'कांग्रेस को न्योता मिला है तो जाना चाहिए'

मेहमानों की सूची में उद्धव ठाकरे का नाम नहीं है. लेकिन, उनकी पार्टी ने कांग्रेस को राम मंदिर के कार्यक्रम में जाने की सलाह दी है. शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि कांग्रेस की आत्मा हिंदू है. राजनीतिक मतभेदों को दूर रखते हुए यदि विशेष निमंत्रण मिला है तो उन्हें (कांग्रेस नेता) समारोह में हिस्सा लेना चाहिए. इसमें गलत क्या है?

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'तो बाबरी मस्जिद नहीं गिराई जाती'

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी में कांग्रेस की सहयोगी है और विपक्षी दलों के इंडिया ब्लॉक की भी सदस्य है. पार्टी के मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में शिवसेना (यूबीटी) ने बीजेपी पर कटाक्ष किया और कहा, अगर उस समय प्रधानमंत्री बीजेपी से होते तो बाबरी मस्जिद नहीं गिराई जाती. दिसंबर 1992 में जब ढांचा गिराया गया तब कांग्रेस की सरकार थी और पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे.

'कांग्रेस ने कभी विरोध नहीं किया'

शिवसेना (उद्धव) का कहना है कि कांग्रेस ने कभी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की राय थी कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए. राजीव गांधी के निर्देश पर ही दूरदर्शन पर प्रसिद्ध धारावाहिक ‘रामायण’ का प्रसारण किया गया था.

'कांग्रेस ने न्योता देने पर जताया था आभार'

बताते चलें कि राम मंदिर ट्रस्ट ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन को न्योता दिया है. इस संबंध में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा था कि कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में 22 जनवरी को पता चल जाएगा. उन्होंने कहा, हां, उन्होंने हमें आमंत्रित किया है. आमंत्रित करने के लिए हम उनके बहुत आभारी हैं.

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'सियासत का मुद्दा बनता जा रहा है राम मंदिर'

इसके अलावा, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक बयान में कहा, राम जी को धर्म के अंगने से निकाल कर सियासत के अंगने में ले जाया जा रहा है, जबकि राम को राजनीति में नहीं लाना चाहिए. राम सभी देशवासियों के प्रतीक हैं. राम सारे देशवासियों के लिए एक हैं. धीरे-धीरे राम मंदिर सियासत का मुद्दा बनता जा रहा है. इस पर राजनीति हो रही है, जो ठीक नहीं है.

'अपना प्रतिनिधि मंडल भेज सकती है कांग्रेस'

सूत्रों ने बताया कि ट्रस्ट से जुड़े लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने व्यक्तिगत रूप से सोनिया गांधी और अधीर रंजन को निमंत्रण दिया है. समारोह को लेकर पूर्व प्रधानमंत्रियों मनमोहन सिंह और एचडी देवगौड़ा को भी निमंत्रण भेजा गया है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि अगर खड़गे और सोनिया गांधी समारोह में जाना फाइनल नहीं हो पाता है तो पार्टी की तरफ से एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जा सकता है. जो ना सिर्फ कांग्रेस की उपस्थिति दर्शाएगा, बल्कि राजनीतिक संदेश भी देगा. पार्टी जानती है कि पूरी तरह अनुपस्थिति से उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है. कुछ ही महीने बाद आम चुनाव हैं और हिंदी बेल्ट में अपना प्रभाव वापस दिखाना है. इसके साथ ही शिवसेना (उद्धव गुट) समेत अन्य सहयोगी दलों को भी साधना है.

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'दिग्विजय ने भी प्रतिनिधिमंडल जाने का दिया संकेत'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने एक बयान में साफ कहा कि इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? उन्होंने आगे कहा, कार्यक्रम में या तो सोनिया गांधी जाएंगी या फिर पार्टी का प्रतिनिधिमंडल वहां भेजा जाएगा. दिग्विजय का कहना था कि सोनिया गांधी इसको लेकर बहुत सकारात्मक हैं.

'सीपीएम के नेता नहीं जाएंगे'

इससे पहले सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने अयोध्या जाने के निमंत्रण को ठुकरा दिया है. उन्होंने एक बयान में कहा, धर्म एक व्यक्तिगत पसंद से जुड़ा मामला है, इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. निमंत्रण मिलने के बावजूद हम समारोह में शामिल नहीं होंगे. दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी और आरएसएस ने एक धार्मिक समारोह को सरकारी कार्यक्रम में बदल दिया है, जिसमें सीधे प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और बाकी सरकारी पदाधिकारी शामिल हो रहे हैं.

सीपीएम की नेता वृंदा करात ने भी पार्टी के दूर होने के फैसले को सही ठहाराया है. करात ने कहा, 'नहीं, हम वहां नहीं जाएंगे. हमें धार्मिक आस्था का सम्मान है, लेकिन वे इस धार्मिक आयोजन को राजनीति से जोड़ रहे हैं. धर्म का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना सही नहीं है. 

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