
महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल जारी है. शिवसेना उद्धव गुट और शिंदे गुट के बीच अब एक नए मुद्दे को लेकर सियासी जंग छिड़ गई है. ये मुद्दा दशहरे पर शिवाजी पार्क में मेगा रैली करने का है. दरअसल, हर साल दशहरे पर शिवसेना शिवाजी पार्क में परंपरागत रैली करती आई है. लेकिन इस बार सीएम एकनाथ शिंदे दशहरा मैदान में रैली करना चाहते हैं. अब इस मुद्दे पर शिवसेना के शिंदे और उद्धव गुट में ठन गई है. दोनों ने इसे वर्चस्व का मुद्दा बना लिया है.
दरअसल, इस बार उद्धव अपनी रैली को और ज्यादा भव्य रूप में करना चाहते हैं. इस रैली में बड़ी तादाद में शिवसैनिकों के आने की बात कही जा रही है. उद्धव इस रैली के जरिए पूरे देश को ये संदेश भी देना चाह रहे थे कि शिवसेना में अभी उनकी स्थिति मजबूत है.
ये लड़ाई अब शिवसेना पर दावे को लेकर भी है. एकनाथ शिंदे अपने गुट को असली शिवसेना बताते आए हैं. ऐसे में शिवाजी पार्क में रैली कर वे अपने दावे को और ज्यादा मजबूत करना चाहते हैं. हालांकि, अब इस विवाद पर उद्धव ठाकरे ने 2 टूक जवाब देने का काम किया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि हर कीमत पर उनकी शिवसेना की रैली शिवाजी पार्क में होने वाली है. उन्होंने कहा है कि असली शिवसेना की यानी हमारी दशहरा रैली मुंबई के शिवाजी पार्क में ही होगी. राज्यभर से शिवसैनिक इस रैली के लिए पहुंचेंगे. सरकार अनुमति देगी या नहीं देगी, ये तकनीकी बाते हैं. हम नहीं जानते कोई रैली कर रहा है या नहीं कर रहा, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता.
शिवसेना कोई वस्तु नहीं जेब में डाल ले
पार्टी में हुई बगावत को लेकर भी उद्धव ठाकरे तल्ख टिप्पणी कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि शिवसेना गद्दारों से नहीं शिवसैनिकों के खून से बनी है. उन्होंने आगे कहा था कि महाराष्ट्र की मिट्टी गद्दारी के बाद मर्दों को जन्म देती है नामर्दो को नहीं. शिवसेना कोई रास्ते पर पड़ी हुई वस्तु नहीं जो कोई भी उठा कर उसे अपने जेब में डाल ले.
क्या है विवाद?
बता दें कि पिछले दो साल से कोरोना की वजह से दशहरा के मौके पर शिवसेना की शिवाजी पार्क में रैली नहीं हो पा रही थी. लेकिन इस बार स्थिति सामान्य है, ऐसे में रैली की पूरी तैयारी की जा रही है. लेकिन सवाल ये है कि इस रैली को एकनाथ शिंदे संबोधित करेंगे या फिर उद्धव ठाकरे?