
शिवसेना का नाम-निशान छिनने के बाद भी उद्धव ठाकरे गुट की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब उद्धव गुट के हाथ से विधानसभा में स्थित पार्टी दफ्तर भी छिन गया है. वहीं, एक वकील द्वारा चैरिटी कमिश्नर को नोटिस भेजकर पूछा गया है कि शिवई ट्रस्ट के कार्यालय का इस्तेमाल राजनीतिक गतिविधियों के लिए कैसे किया जा सकता है?
इसी बीच उद्वव ने कहा कि उन्हें (शिंदे गुट) मेरे पिता के ठाकरे नाम का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए और अपने पिता के नाम और फोटो को प्रमुख के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए और पार्टी को चलाना चाहिए.
उद्धव ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के बाद उन्हें शरद पवार और ममता बनर्जी का फोन आया था. इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा. जो हमारे साथ हुआ वो किसी और पार्टी के साथ भी हो सकता है.
उद्धव ने कहा कि मैं आहत हूं क्योंकि उन्होंने हमारी मां शिव सेना की पीठ में छुरा घोंपा है. हमने उन्हें एक परिवार के रूप में माना, लेकिन हमें नहीं पता था कि वे अपनी मां को मारने के लिए सुपारी लेंगे. वे देश में तानाशाही और अराजकता लाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं उन्हें ऐसा नहीं करने दूंगा.
वहीं, बीएमसी कार्यालय पर उद्धव गुट के पूर्व पार्षद बैठे थे. हालांकि बाद में वह उठकर चले गए. दिसंबर में दोनों गुटों के बीच आमने-सामने होने के बाद बीएमसी के सभी पार्टी कार्यालयों को सील कर दिया गया था.
चुनाव आयोग के फैसले के बाद ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा दफ्तर पर दावा करने की बात कही थी. मुख्य सचेतक विधायक भरत गोगावले ने विधानसभा में आधिकारिक पार्टी कार्यालय पर कब्जे की मांग करते हुए एक पत्र सौंपा था.
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