
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को गुजरात दौरे के दौरान नाम लिए बिना जवाहर लाल नेहरू पर जमकर निशाना साधा था. यहां उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने तत्कालीन रियासतों के विलय से संबंधित सभी मुद्दों को हल कर दिया था. लेकिन 'एक व्यक्ति' कश्मीर के मुद्दे को नहीं हल कर सका. पीएम के इस बयान के बाद से बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने नजर आ रही है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पीएम पर निशाना साधते हुए मंगलवार को कई ट्वीट किए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि सरदार वल्लभभाई पटेल को जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में शामिल होने से परेशानी नहीं थी. उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी असली इतिहास को मिटा रहे हैं. वहीं अब जयराम रमेश पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने पलटवार किया है.
किरेन रिजिजू ने किए 6 ट्वीट
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कुल छह ट्वीट कर जवाहरलाल नेहरू पर जमकर निशाना साधा और कहा कि ये ऐतिहासिक झूठ है कि महाराजा हरि सिंह ने भारत में कश्मीर के विलय के सवाल को टाल दिया था. कश्मीर मामले में नेहरू की संदिग्ध भूमिका की रक्षा के लिए ये झूठ लंबे समय से चला आ रहा है. शेख अब्दुल्ला के साथ समझौते के बाद 24 जुलाई, 1952 को नेहरू ने लोकसभा में कहा था कि आजादी से एक महीने पहले महाराजा हरि सिंह ने भारत में कश्मीर के शामिल होने के लिए उनसे संपर्क किया था. लेकिन नेहरू ने महाराजा हरि सिंह के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था.
'...लेकिन कश्मीर को खारिज कर दिया'
किरेन रिजिजू ने अगले ट्वीट में कहा कि महाराजा हरि सिंह तो भारत में कश्मीर को शामिल करने को तैयार थे, लेकिन खुद नेहरू ऐसा नहीं चाहते थे. उन्होंने कश्मीर को भारत में शामिल करने में देरी की. अन्य सभी रियासतों की तरह ही महाराजा हरि सिंह ने भी जुलाई 1947 में ही संपर्क किया था. अन्य राज्यों को तो स्वीकार किया गया, लेकिन कश्मीर को खारिज कर दिया गया था.
वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसा कर रहे थे- केंद्रीय मंत्री
उन्होंने कहा कि जुलाई 1947 में नेहरू ने न केवल महाराजा हरि सिंह के अनुरोध को अस्वीकार किया था, बल्कि अक्टूबर 1947 में भी इसे खारिज कर दिया था. यह तब हुआ जब पाकिस्तानी आक्रमणकारी श्रीनगर के एक किलोमीटर के दायरे में पहुंच गए थे. नेहरू ने कश्मीर के लिए कुछ 'विशेष' मामला गढ़ा. वे केवल विलय के बजाय 'बहुत अधिक' चाहते थे. वे वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसा कर रहे थे.
सरदार पटेल सोच रहे थे: जयराम रमेश
जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा था कि राजमोहन गांधी ने जो सरदार पटेल की जीवनी लिखी है, उसमें सारे तथ्य हैं. महाराजा हरि सिंह ने विलय पर रोक लगा दी थी. लेकिन जब पाकिस्तान ने आक्रमण किया तो हरि सिंह ने भारत में विलय को मंजूरी दी थी. शेख अब्दुल्ला ने नेहरू के साथ मित्रता और गांधी के प्रति सम्मान के कारण पूरी तरह से भारत में विलय का समर्थन किया था. जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में शामिल होने को लेकर सरदार पटेल 13 सितंबर 1947 तक सोच रहे थे कि अगर विलय होता है तो हो जाए. लेकिन जब जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में विलय को मंजूरी दी तब उन्होंने अपना मन बदल दिया और तय किया कि जम्मू कश्मीर को भारत में ही रहना चाहिए."
कश्मीर की आजादी के विचार के साथ खिलवाड़ कर रहे जयराम
अब महाराजा हरि सिंह के पोते युवराज विक्रमादित्य सिंह ने जयराम रमेश की इस टिप्पणी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि महाराजा जम्मू-कश्मीर की स्वतंत्रता के विचार के साथ खिलवाड़ कर रहे थे. महाराजा हरि सिंह एक सच्चे राष्ट्रवादी थे. 1931 में लंदन के आरटीसी में उन्होंने कहा था कि भारतीय रियासतें "अखिल भारतीय संघ" में शामिल होंगी. भारत ने 1947 से नेहरू-शेख गठबंधन की भारी कीमत चुकाई है.