Advertisement

UP में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष क्या ब्राह्मण ही होगा? 20 साल के पैटर्न से मिल रहे संकेत

स्वतंत्र देव सिंह के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद बीजेपी अब नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में जुट गई है, जिसकी अगुवाई में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा जा सके. पिछले पैटर्न को देखें तो ब्राह्मण समुदाय से किसी नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है. 2004 से लेकर 2019 तक ऐसे ही रहा है. इसीलिए ब्राह्मण चेहरे को लेकर सियासी चर्चाएं तेज हैं.

श्रीकांत शर्मा और दिनेश शर्मा श्रीकांत शर्मा और दिनेश शर्मा
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 05 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST
  • यूपी में बीजेपी नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में जुटी
  • 2004 से 2019 तक ब्राह्मण के हाथों में रही कमान
  • बीजेपी क्या ब्राह्मण समुदाय के सहारे यूपी में उतरेगी

उत्तर प्रदेश की सत्ता पर बीजेपी लगातार दूसरी बार काबिज हो चुकी है. योगी सरकार 2.0 के मंत्रिमंडल में स्वतंत्र देव सिंह के शामिल किए जाने के बाद बीजेपी अब नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में जुट गई है. सूबे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनाने के 20 साल के सियासी पैटर्न को देखें तो किसी ब्राह्मण समुदाय के हाथों में कमान दिए जाने की सबसे ज्यादा संभावना दिख रही है, जिसके चलते कई ब्राह्मण चेहरों के नाम पर चर्चा भी हो रही है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी 2004 से प्रदेश अध्यक्ष के लिए जो सियासी प्रयोग करती रही है, उसी पैटर्न पर नए चेहरे को चुनेगी या फिर नया सियासी दांव खेलेगी? 

Advertisement

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद अब जोर-शोर से संगठन की कमान किसी नए चेहरे को दिए जाने की चर्चा है. ऐसे में योगी आदित्यनाथ की नई सरकार में पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा को शामिल नहीं किए जाने के चलते प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में दोनों ही नेता शामिल हैं. इसके अलावा कन्नौज से सांसद सुब्रत पाठक और बस्ती से सांसद हरीश द्विवेदी भी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में बताए जा रहे हैं. 

ये प्रयोग करती रही है बीजेपी

उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के लिए अभी तक जो नाम चर्चा में आए हैं, वो सभी नाम ब्राह्मण समुदाय से हैं. ब्राह्मण समुदाय के नाम की चर्चा के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि बीजेपी पिछले दो दशक से लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी की कमान यूपी में ब्राह्मण समुदाय के हाथ में देती रही है तो विधानसभा चुनाव के दौरान ओबीसी समुदाय के अध्यक्ष बनाकर उतरती है. इसी के चलते ब्राह्मण समुदाय के अध्यक्ष बनने की ज्यादा संभावना दिख रही है. हालांकि, बीजेपी अपने फैसले से सरप्राइज करती रही है. 

Advertisement

2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान केशरीनाथ त्रिपाठी उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष थे जबकि 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान रमापति राम त्रिपाठी के हाथ में उत्तर प्रदेश बीजेपी की कमान थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष थे, जिनके अगुवाई में बीजेपी ने 71 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी ने महेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश में संगठन की कमान सौंपी हुई थी, जिनकी अगुवाई में बीजेपी 63 सीटें जीतने में सफल रही. 

बीजेपी के फार्मूले को देखते हुए माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी किसी ब्राह्मण चेहरे को पार्टी की कमान सौंप सकती है. इसकी एक वजह यह भी है कि सत्ता की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में है, जो ठाकुर समुदाय से आते हैं. ऐसे में बीजेपी सियासी संतुलन बनाए रखने के लिए किसी ब्राह्मण चेहरे को पार्टी की कमान सौंप कर सूबे के ब्राह्मण समुदाय को सियासी संदेश देना चाहती है. इसकी एक वजह यह भी है कि यूपी में ब्राह्मण और ठाकुर बीजेपी के कोर वोटबैंक माने जाते हैं. 

दरअसल, बीजेपी का अब पूरा फोकस 2024 के लोकसभा चुनाव पर है. इसके मद्देनजर सरकार गठन में बीजेपी ने जाति और क्षेत्रीय समीकरण को साधने की कवायद की है तो अब संगठन की कमान एक मजबूत हाथों में सौंपकर अपनी जीत के सिलसिले को बरकरार रखना चाहती है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी यूपी संगठन में बड़े बदलाव की भी तैयारी कर रही है.

Advertisement

बीजेपी ने इस बार सरकार गठन में सिर्फ स्वतंत्र देव सिंह को कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया बल्कि संगठन जुड़े कई नेताओं को भी शामिल किया गया है. इसमें प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह, अरविंद कुमार शर्मा, प्रदेश महासचिव जेपीएस राठौर और ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप शामिल हैं, जिन्हें योगी सरकार में इस बार मंत्री बनाया गया है. ऐसे में बीजेपी के संगठन में बड़े बदलाव के आसार हैं. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement